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शन नोंग शी
5000 से ज्यादा वर्षों से पहले, शन नोंग शी चांग नाम वाले शन नोंग शी परिवारों के कबीले का सरगना था। उस समय, शन नोंग शी को कबीले के सामान्य सदस्यों की ही तरह खेती में काम करना पड़ता था। श्रम करते हुए उस ने चीन के सब से पुराने कृषि साधन----लेई ल्वू की रचना की, जिस ने भारी हद तक कृषि के विकास को आगे बढ़ाया । लोगों ने उस का सम्मान करते हुए उसे शन नोंग शी का नाम दिया।

शन नोंग शी पितृसत्तात्मक समाज के प्रारंभिक काल में रहते थे। उस समय, शोषण नहीं होता था। लोग मैत्रीपूर्ण ढंग से एक दूसरे से मिलकर प्रेमपूर्वक रहते थे। ऐतिहासिक पुस्तकों के अनुसार, शन नोंग शी के युग में पुरुष बाहर का खेती का काम करते थे, जबकि महिलाएं घर में काम करती थईं और कपड़े बुनती थीं। जेल और सज़ा की जरुरत नहीं थी। राजा को सेना व पुलिस की जरुरत भी नहीं थी।

शन नोंग शी चीन का सब से पुराना चिकित्सक भी था। कहते हैं कि शन नोंग शी ने जब जनता को अकसर रोगों से पीड़ित देखा , तो उसे बहुत चिंता हुई।और उस ने यह भी देखा कि अनाज खाने से लोग स्वस्थ रह सकते थे। तो उस ने सोचा कि शायद घास व फूलों के फलों या अंकुर से लोगों के रोगों का इलाज किया जा सकता है। शन नोंग शी ने पहाड़ों पर चढ़कर विभिन्न जड़ी बूटी ढूंढने की कोशिश की। विभिन्न जड़ी बूटियों की विशेषताओं को अच्छी तरह जानने के लिए शन नोंग शी ने विभिन्न जड़ी बूटियां खायीं। यहां तक कि कई बार एक ही दिन में उस ने 70 से ज्यादा बार ज़हरीली जड़ी बूटियां खायीं। कहा जाता है कि शन नोंग शी ने ' शन नोंग बेई छ्याओ ' नामक ग्रंथ में विभिन्न रोगों का इलाज करने वाले नुस्खे लिखे थे।

शन नोंग शी एक खगोलज्ञ भी था। उस ने फ़ू सी शी द्वारा रचना की गयी ' बा क्वा ' को 64 क्वा तक परिवर्तित किया और उन्हें क्वेई च्यांग का नाम दिया। लोग इस से न केवल घटनाओं को लिख सकते थे , बल्कि भविषयवाणी भी कर सकते थे। इस के अलावा, जब शन नोंग शी ने देखा कि अनेक लोग अपनी जरुरत की सारी चीज़ों का खुद उत्पादन नहीं कर सकते और उन के द्वारा उत्पादित की गयीं अनेक चीजें अन्य लोगों की जरुरत में हैं, तो शन नोंग शी ने लोगों का आह्वान किया कि वे लोग अपने द्वारा उत्पादित की गयी चीज़ों को अन्य एक जगह में लाऐं, और जहां चीज़ों का लेन देन और आदान प्रदान किया जा सकता था। इसी तरह, चीन में सब से पुराना बाजार पैदा हुआ था।

श्रम के बाद आराम देने के लिए, शन नोंग शी ने ' वू श्येन छिंग ' नामक वाद्य यंत्र का निर्माण किया। इसे बजाने से पक्षियों की ही मधुर आवाज़ की तरह की सुन्दर धुन निकलती थी। इस के बाद, शन नोंग शी के बेटे ने ' च्योंग ' नामक एक वाद्य यंत्र का निर्माण किया और अनेक गीतों की रचना की। ये वाद्य यंत्र पीढ़ी दर पीढ़ी बरकरार रखे गये थे।

शन नोंग शी 140 वर्षों के लिए राजा रहा था। बाद में ह्वांग दी ने उस का स्थान ले किया। आज हम हू नान प्रांत के छांग शा में शन नोंग शी का मकबरा येन दी लींग भी देख सकते हैं।

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