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दुश्मन से बाण उधार लेने की कहानी
ईस्वी तीसरी शताब्दी में चीन में वी , शु और वु त्रिराज्य काल हो रहा था । उत्तरी चीन पर वी राज्य , दक्षिण पश्चिमी चीन पर शु राज्य तथा दक्षिण चीन पर वु राज्य का नियंत्रण हुआ था । तीनों राज्यों के बीच अकसर युद्ध हुआ करता था । एक बार वी राज्य की सेना ने जल मार्ग से यांगत्सी नदी के किनारे पर स्थित वी राज्य पर हमला बोलने का युद्ध चलाया । वी राज्य की सेना वु राज्य की भूमि के नजदीक यांगत्सी नदी के तट पर पहुंची और वु राज्य पर धावा बोलने की तैयारी में तैनात हो गई ।

वु राज्य की सेनापति चोयु ने वी सेना की तैनाति स्थिति का जायज करने के बाद दुश्मन के हमले को रोकने में तीर धनुषों का सहारा लेने का निर्णय किया , इस के लिए एक लाख बाणों की जरूरत थी , वु राज्य की कारिगरी शक्ति के हिसाब से एक लाख तीर बनाने में दस दिन की आवश्यकता थी । लेकिन वु राज्य की सेना के लिए इतना लम्बा समय नहीं रह गया ।

वी राज्य के हमले के मुकाबले के लिए वु और शु राज्यों में गठबंधन कायम हुआ था , शु राज्य की सैनिक सलाहकार चुगल्यांग इस समय वु राज्य की यात्रा पर था । चु गल्यांग चीन के इतिहास में असाधारण प्रतिभा और युद्ध कला में अद्भुत कुशलता के लिए बहुत मशहूर था । वु राज्य के सेनापति चो यु ने जब चु गल्यांग से कम से कम समय के भीतर अवश्यक तीर बनाने का उपाय पूछा , तो चु गल्यांग ने कहा कि एक लाख तीर पाने के लिए तीन दिन का समय काफी है । सभी लोग समझते थे कि चु गल्यांग डींग मार करता है । लेकिन चु गल्यांग ने तीन दिन के भीतर तीर निर्माण काम पूरा करने का आश्वासन पत्र लिख डाला , जिस के अनुसार यदि तीन दिन के भीतर जरूरी तीर नहीं बनाये जा पाए , तो उसे मौत की सजा दी जाएगी । एक लाख तीर बनाने का काम स्वीकार करने के बाद भी चु गल्यांग ने जल्द से काम शुरू नहीं किया था , उस ने वु राज्य के वरिष्ठ मंत्री लुसू से कहा कि ऐसा कठोर काम सामान्य तरीके से पूरा नहीं हो पाएगा । उसे लुसू की मदद की जरूरत है , उस ने लुसू से बीस जहाज और हर जहाज के लिए बीस सैनिक मांगे और सभी जहाजों का काला कपड़ों से आवरण किया जाएगा और जहाजों पर चारों ओर घास फूस की मानव पुतलियां खड़ी की जाएगी । इस के अलावा चु गल्यांग ने लुसू से उस की रहस्यमय योजना को गोपनीय रखने का वायदा भी ले लिया ।

इस प्रकार की तैयारी की जाने के बाद चु गल्यांग बड़े आराम के साथ बैठे रहा , पहला दिन बिना कुछ किए गुजरा , दूसरा दिन भी कोई काम नहीं हुआ । तीसरा दिन का समय आया , लेकिन चु गल्यांग ने एक तीर भी नहीं बनवाया । सभी लोग बहुत चिंचित हो उठे । तीसरे दिन की रात को चु गल्यांग चुपचाप से लुसू को एक जहाज पर ले गया , बड़े आश्चर्य के साथ लुसू ने पूछा कि यहां हम क्या करने आए हैं ? चु गल्यांग ने मुस्कराते हुए कहा कि अभी आप को मालूम होगा । चु गल्यांग के आदेश पर पहले से तैयार हुए बीस जहाजों को एक रस्सी से बांधे एक लम्बे काफिले के रूप में यांगत्सी नदी के उस पार तैनात वी राज्य के सैन्य शिविर की ओर रवाना किया गया ।

उस रात में घुप का अंधेरा छाया रहा था और हवा में गाढ़ा कोहरा फैल रहा था । नदी की सतह पर ऊंगली दिखाए भी नहीं दिखती थी । चु गल्यांग ने जहाज काफिले को वेग गति से वी राज्य के सैन्य शिविर के नजदीक जा पहुंचने तथा शिविर की ओर मुख करते हुए कतार में खड़े होने की हुक्म दी और जहाजों पर सवार सैनिकों को ढोल बजाते हुए ललकार करने को कहा । इस हरकत पर लुसू का होश हवास उड़ बैठा । उस ने च ग्लांग से कहा कि हमारे पास केवल बीस जहाज और चार सौ सैनिक हैं , अगर वी राज्य की सेना हम पर हमला बोले , तो हम जिन्दा नहीं रहेंगे । चु गल्यांन मुस्कराते हुए बोलाः मुझे पक्का यकीन है कि वी सेना घने कोहरे में हमला नहीं बोलेगी , हम जहाज में आराम से मदिरा का आनंद ले सकते हैं ।

ढोल की ऊंची आवाज और सैनिकों का ललकार सुनने पर वी राज्य के सेनापति छो छाओ ने तुरंत अपने जनरलों को बुला कर स्थिति का जायज किया और यह फैसला किया कि यांगत्सी नदी पर गाढ़ा कोहरा छाया होने के कारण आक्रमण करने आए दुश्मन की स्थिति साफ पता नहीं है ,इसलिए बेहतर होगा कि उसे रोकने के लिए सेना के सभी तीरंदाज दुश्मन जहाजों पर बाण छोड़ दें । अल्प समय में दस हजार तीरंदाजी सैनिक नदी के तट पर तैनात कर दिए गए , जो ललकार की आवाज आने की दिशा में दुश्मन जहाजों पर अंधाधुंध बाणों की वर्षा छोड़ने लगे । थोड़ी देर में ही सभी बीस जहाजों की घास पुतलियों पर भर तीर लग गए , तब चु गल्यांग ने बीस जहाजों का दूसरा पक्ष घूमा कर वी सेना की ओर मुख करने की हुक्म दी । वी सेना के तीर फिर जहाजों के इस पक्ष पर खड़े घास पुतलियों पर जा लगने लगे । कुछ समय फिर गुजरा कि सभी जहाजों पर भर तीर लग चुके हैं , तो चु गल्यांग के आदेश पर वु सेना के ये बीस जहाज जल्दी ही वापस अपने शिविर में लौटे । इस समय नदी पर कोहरा छटने लगा , वी राज्य की सेना को जब असलियत का पता चला , तो उसे बड़ी पछताछ हुई ।

चु गल्यांग का जहाज सुरक्षित रूप से वु राज्य के सैन्य शिविर लौटा , वहां वु सेना के सेनापति चोयु द्वारा भेजे पांच सौ सैनिक तीर लेने के इंतजार में थे । गिने जाने से पता कि तीर एक लाख से भी अधिक मिले हैं । वु राज्य के सेनापति चोयु चुगल्यांग की बुद्धिमता और साहस माने बगैर नहीं रह गया । दरअसल चु गल्यांग मौसम विज्ञान में भी पारंगत था , मौसम सर्वेक्षण से उसे मालूम था कि यांगत्सी नदी पर उसी रात घना कोहरा आयेगा , उस से फायदा उठा कर उस ने अपनी अक्ल से दुश्मन सेना को ऊल्लू बना कर एक लाख तीन प्राप्त किए ।

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