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(GMT+08:00) 2008-01-11 09:18:30    
सिन्चांग में जंगली घोड़ा पालक चांग हेफ्यान

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क्या आप को मालूम है कि एशिया का प्रथम और विश्व का दूसरा बड़ा जंगली घोड़ा पालन केन्द्र यानी सिन्चांग उइगुर स्वायत्त प्रदेश का जंगली घोड़ा पालन केन्द्र सिन्चांग के जुंगार बेसिन में फैले रेगिस्तान में स्थित है । इस जंगली घोड़ा पालन केन्द्र में एकमात्र महिला पालक काम करती है , उन का नाम चांग हेफ्यान है । सुश्री चांग हेफ्यान आज से 12 साल पहले विश्वविद्यालय से स्नातक होने के बाद सिन्चांग के जंगली घोड़ा पालन केन्द्र में आयी और यहां जंगली घोड़ा पालने में अच्छी सफलता प्राप्त की

जंगली घोड़े की उत्पत्ति चीन में हुई थी , लेकिन कालांतर में जंगली घोड़े का चीन में नामनिशान मिट गया । जंगली घोड़े की जाति को बचाने के लिए चीन ने ब्रिटेन और जर्मनी से कुल 18 जंगली घोड़ों का आयात किया और सिन्चांग के जुंगार बेसिन में जंगली घोड़ा पालन व प्रजनन् अनुसंधान केन्द्र स्थापित कर जंगली घोड़ों की संख्या का वर्द्धन करना शुरू किया । यह केन्द्र वर्ष 1986 में कायम हुआ और पिछले बीस से ज्यादा सालों के निरंतर प्रयास के परिणामस्वरूप अब इस केन्द्र में जंगली घोड़ों की संख्या 275 जा पहुंची है ।

वर्ष 1995 में 21 वर्षीय सुश्री चांग हेफ्यान सिन्चांग के कृषि विश्वविद्यालय से स्नातक हुई और सिन्चांग के जंगली घोड़ा पालन व प्रजनन् अनुसंधान केन्द्र में काम करने आयी । केन्द्र के 15 पशु चिकित्सकों में चांग हेफ्यान एकमात्र महिला है । इस पर सुश्री चांग हेफ्यान ने कहाः

यहां की परिस्थिति बहुत कठोर है , इसलिए यहां आने के बाद शुरू शुरू में मैं बहुत हताश हुई थी । घोड़ा पालक का वेतन ऊंचा नहीं है , अंततः वे लम्बे समय के लिए यह काम करना नहीं चाहते हैं और एक के बाद एक घोड़ा पालन का काम छोड़ कर चले गए । ऐसी स्थिति में मुझे भी घोड़ा पालने का भार उठाना पड़ा । पहले यहां का मार्ग मिट्टी का था , पेड़ बहुत कम थे , जिस दिन धूप पड़ती थी , तब मार्ग पर धूल उड़ उठता था , जिस दिन वर्षा हुई , तो हर जगह कीचड़ पड़ी रहती थी । धन राशि की कमी होने के कारण हमें खुद सड़क बनाने का काम करना पड़ा । केन्द्र के नेतृत्व दल ने हम से स्वावलंबन व कठोर संघर्ष के साथ पर्यावरण को सुधारने का आह्वान किया , तो हम ने रेगिस्तान में गड्ढे खोद कर पेड़ लगाना तथा नहर खोद कर पानी लाना आरंभ किया । यहां मरूभूमि फैली है ,मिट्टी खारी होती है , जिस पर पेड़ जीवित नहीं हो सकता , तो हम दूसरी जगह से गाड़ी में मिट्टी ला कर यहां डालते है और उस पर पेड़ रोप देते हैं । हमारे निवास के मकान फटे पुराने पड़ गये , दीवारों पर दरार पड़े और मकान के भीतर जमीन भी समतल नहीं थी , तो हम ने अपने हाथों से उन की मरम्मत की ।

जीवन की स्थिति अत्यन्त कठिन होने के साथ साथ अकसर वित्तीय संकट भी हुआ करता था , जो एक नव युवती के लिए बिलकुल एक असहनीय बात थी । अंततः सुश्री चांग हेफ्यान ने इस पिछड़े और वीरान स्थान को छोड़ कर चले जाने के लिए नौकरी से इस्तीफा देने का निश्चय किया ।

किन्तु जिस दिन सुश्री चांग हेफ्यान ने नौकरी का त्याग पत्र पेश किया था , उसी दिन की रात काला कोयला नाम के एक जंगली घोड़े के अग्र पैर में जोड़ उखड़ गया । सुश्री चांग हेफ्यान और उन के साथियों ने इस जंगली घोड़े का उपचार करने में पूरी रात बितायी और कड़ाके की सर्दी झेली । चीन का परम्परागत त्यौहार वसंत त्यौहार आया , वह भी घर नहीं लौटी , जंगली घोड़ा पालन केन्द्र में डटे रहते हुए काला कोयला नामक घोड़े की देखभाल करती रही । सेहतमंद होने के बाद काला कोयला नामक घोड़े को सुश्री चांग से बड़ी आत्मियता दिखाई पड़ी । वह हर वक्त सुश्री चांग हेफ्यान के पास घूमना फिरना चाहता था , सुश्री चांग हेफ्यान को मालूम है कि घोड़ा एक ऐसा जानवर है , जो मानव से लगाव की भावना रखता है । यदि पालक उस के साथ अच्छा व्यवहार करता हो , तो वह पालक से स्नेह रखता है और अपने ढंग से मित्रता और आभार प्रकट करता है । इस जंगली घोड़े के मैत्रीपूर्ण बर्ताव से सुश्री चांग हेफ्यान बहुत प्रभावित हुई , उन्हों ने नौकरी को त्याग देने की बात भूल कर जंगली घोड़ा पालने के काम में पूरा मन लगाया । जंगली घोड़ा पालन केन्द्र के प्रधान श्री छाओ च्ये ने सुश्री चांग हेफ्यान को बड़ी मदद दी है । उन्हों ने कहाः

एक जवान लड़की के लिए सुनसान रेगिस्तान जैसी घोर कठोर परिस्थिति में काम करना अवश्य ही बेहद मुश्किल बात है , हम इतना ही कर सकते है कि काम और जीवन में उस का ज्यादा तरजीह करते रहते हैं।

28 अगस्त 2001 को सिन्चांग जंगली घोड़ा पालन केन्द्र ने जंगली घोड़ों को प्रकृति में खुला चराने की योजना बनायी , जिस के अनुसार प्रथम जत्थे के जंगली घोड़े प्राकृतिक स्थिति में छोड़े गए , ताकि सिन्चांग में जंगली घोड़ों के प्रकृति में लौटने का लक्ष्य प्राप्त हो । जब देखा कि अपने द्वारा पालित पोषित घोड़े सफलतापूर्वक निर्जन रेगिस्तान में लौट गए , तो सुश्री चांग हेफ्यान बहुत उत्साहित हो उठी । उन्हों ने कहाः

मैं इस प्रकार के कार्य पर और अधिक आश्वस्त हो गयी हूं । अब मैं इस कार्य के प्रति शुरूआत की हिचकिचाहट की हालत से निजाद हो कर पक्की कटिबद्धता प्राप्त कर चुकी हूं । मैं इस कार्य को और ज्यादा पसंद करती हूं । मुझे लगता है कि जंगली घोड़े से अलग होना मेरे लिए बहुत मुश्किल हो गया है ।

सुश्री चांग हेफ्यान रोज जंगली घोड़े की हालत को अपनी डायरी में लिख देती हैं । जंगली घोड़े प्रकृति में छोड़े जाने के बाद आम लोगों को जंगली घोड़े के बारे में जानकारी प्राप्त कराने के लिए सुश्री चांग ने एक किताब लिखी , जिस का शीर्षक है कारामैली में लौटे जंगली घोड़े । इस पुस्तक में दस लाख शब्दों में जंगली घोड़ों की कहानियां कलमबद्ध हुई हैं , जिसे पढ़ कर मानव और जंगली घोड़े के बीच मेल से रहने की जानकारी मिल सकती है ।

वर्ष 2005 में कारामैली में लौटे जंगली घोड़े नामक पुस्तक की विमोचन रस्म दक्षिण चीन के क्वांगचाओ शहर में हुई , इस पर देश के विभिन्न मीडिया का ध्यान आकर्षित हो गया । सुश्री चांग हेफ्यान की यह पुस्तक देश के विभिन्न स्थानों में हाथोंहाथ बिक गयी और वह लोकप्रिय पुस्तकों की सूती में गिनी गयी । जंगली घोड़ों पर देशव्यापी ध्यान आया , सरकारी संस्थाओं , गैर सरकारी जन संगठनों और निजी व्यक्तियों ने जंगली घोड़ों के पालन प्रजनन् पर ध्यान दिया और सिन्चांग जंगली घोड़ा पालन केन्द्र को हर तरह की मदद और समर्थन प्रदान किए , अन्तरराष्ट्रीय फिल्म जगत में मशहूर स्टार श्री जैकी छन जैसे नामी गिरामी व्यक्तियों ने भी जंगली घोड़ा पालन केन्द्र में आ कर चंदा दिया ।

इस तरह 12 साल गुजरे हैं , सुश्री चांग हेफ्यान भी एक स्नातक से विकसित हो कर जंगली घोड़ा पालन केन्द्र की इंजीनियर बन गयी , उन्हें अब अपनी नौकरी पर बड़ा गर्व महसूस हुआ है । इस की चर्चा में उन्हों ने कहाः

अब मुझे अनुभव हुआ है कि मैं बहुत सुखमय व्यक्ति हूं । मानव के एक अच्छे प्राकृतिक मित्र -- जंगली घोड़ों के संरक्षण के लिए मैं ने योगदान किया है । शुरू शुरू में कठोर जीवन स्थिति के कारण मुझे इस काम को छोड़ने का मन आया था , किन्तु मैं नहीं चली , और यहां डटे रह कर जंगली घोड़ों के पालन काम में 12 साल तक काम कर चुकी हूं । यह मेरी जिन्दगी का एक अमोल खजाना है । मैं ने असाधारण योगदान नहीं किया है , मैं सिर्फ एक साधारण कार्य के लिए अथक कोशिश करती हूं । औरों की नजर में यह एक बहुत मुश्किल बात है कि एक युवती इतने सालों से इस प्रकार के कठोर काम पर कायम रही है , लेकिन वास्तव में बहुत से अन्य लोगों ने इस से ज्यादा कठिन काम किए है और असाधारण मुसिबतें झेली हैं । सिन्चांग जंगली घोड़ा पालन केन्द्र में बहुत से लोग कठोर संघर्ष करते हुए आज तक मेहनत करते रहें ,उन्हों ने अपना यौवन जीवन को इस काम में अर्पित किया है , वे सराहने तथा आदर करने के काबिले हैं ।

आज से दो साल पहले वांग श्यांगफिंग नाम की एक लड़की भी सिन्चांग जंगली घोड़ा पालन केन्द्र में आयी , वह जंगली घोड़ा पालन केन्द्र के प्रदर्शनी भवन का गाइड नियुक्त हुई है , वह इस केन्द्र की दूसरी महिला कर्मचारी है । इस पर उन्हों ने कहाः

सुश्री चांग हेफ्यान विश्वविद्यालय से स्नातक होने के बाद यहां काम करती रही , मैं भी जंगली घोड़ा पालन कार्य को पसंद करने के कारण यहां आयी हूं । मुझे लगा कि यहां की परिस्थिति अत्यन्त कठोर है ,रेतीली तूफान और मुसलाधार वर्षा न जाने कब आ धमकता है , सर्दियों में पूरा इलाका सफेद बर्फ से ढका हुआ है , हड्डी चुभोने वाली कड़ाके की सर्दी होती है । यहां हरियाली बहुत कम देखने को मिलती है , जो पेड़ पौधे हैं , वे भी हम द्वारा अपने हाथों रोपे गए हैं । रेगिस्तान में रहते हुए हम भी जंगली मनुष्य सा बन गए । मैं कल्पना नहीं कर सकती हूं कि सुश्री चांग हेफ्यान का इन 12 सालों का जीवन किस तरह गुजरा था । मैं उन की भावना से बहुत प्रभावित हुई हूं । दुनिया में दुर्लभ जंगली घोड़ों की रक्षा करने के लिए मैं भी मन कड़ा करके इस काम पर डटे रहने को तैयार हूं ।