आज के इस कार्यक्रम में फरीदपुर उत्तर प्रदेश के शकील अहमद अंसारी, मऊ उत्तर प्रदेश के राजेन्द्र यादव भारती, उषा देवी भारती, दीपाजंली, बानो बेगम और समस्तीपुर बिहार के संजय गुप्ता के पत्र शामिल किए जा रहे हैं।
फरीदपुर उत्तर-प्रदेश के शकील अहमद अंसारी और बानो बेगम ने अलग-अलग तौर पर पूछा है कि चीन में कितने घास मैदान हैं? पेइचिंग का दिल कहे जाने वाले स्थान का क्या नाम है?
चीन में घास मैदानों का क्षेत्रफल करीब 23 करोड़ हेक्टर है जो देश के कुल भू-भाग का 23.1प्रतिशत बनता है.चीन के प्राकृतिक संसाधनों में घास मैदान पहले पायदान पर रहते है और विश्व के अपने किस्म के अग्रणी पंक्ति में हैं.
चीन में घास मैदान आम तौर पर पूर्वोत्तर से दक्षिण पश्चिम की ओर फैले हुए हैं,जिन्होंने चीन को दक्षिण पूर्वी और उत्तर पश्चिमी दो भागों में बांट दिया है.उत्तर पश्चिमी भाग में घास मैदान बहुत विशाल हैं,जो मुख्य रूप से चरागाहों के काम आते हैं.दक्षिण पूर्वी भाग में घास मैदानों ,खेतीयोग्य भूमि तथा जंगलों के बीच स्पष्ट सीमा-रेखा नहीं है.घास मैदानों का क्षेत्रफल उन के कुल क्षेत्रफल का करीब 30 फीसदी है.
सुश्री बानो बेगम,पेइचिंग का दिल कहलाने वाले स्थान का नाम है थ्येन आन-मन चौक.
थ्येन आन-मन चौक पेइचिंग के केंद्र में स्थित है,जो विश्व में सब से बड़े चौकों में से एक है.इस का क्षेत्रफल 4 लाख वर्गमीटर है और 5 लाख लोगों के एक साथ वहां एकत्र होने की जगह है.इस चौक की ऐतिहासिकता इन यादगारे-ज़माने से जाहिर है कि चीन में चार मई 1919 को साम्राज्यवाद व सामंतवाद विरोधी नौजवानों के आन्दोलन में पूरे देश के युवा लोगों ने और 29 जनवरी 1935 को जापानी आक्रमण का मुकाबला न करने वाली कोमिंगतांग पाटी के खिलाफ़ चीन के मुख्य विश्वविद्यालयों के छात्रों ने इस चौक पर एकत्र हो कर प्रभावशाली रैलियां आयोजित की थीं.पहली अक्तूबर 1949 को चीन लोक गणराज्य के प्रथम राष्ट्राध्यक्ष माओ त्ज़े-तुंग ने इस चौक के मंच पर सारी दुनिया के समक्ष चीन लोक गणराज्य की स्थापना की औपचारिक घोषणा की थी और गंभीरता से कहा था कि चीनी जनता आज उठ कर खड़ी हो गई है.
अब इस चौक के केंद्र में चीन की मुक्ति में शहीद हुए लोगों के लिए 37.94 मीटर उंचा एक स्मारक खड़ा है.चौक के दक्षिण में राष्ट्राध्यक्ष माओ त्जे-तुंग का यादगार भवन,पूर्व में चीनी क्रांतिकारी इतिहास का संग्रहालय और पश्चिम में वृहद जन सभा-भवन है.
थ्येन आन-मन से लगी छांग-आन सड़क पेइचिंग की सर्वाधिक चहल-पहल वाली सड़क है.
विशाल थ्येन आन-मन चौक का प्राचीन सभ्य परिवेश और इस सड़क के दोनों ओर खडी आलीशान इमारतों से पेइचिंग की प्राचीनता और आधुनिकता के संगम का सा एहसास होता है.
मऊ उत्तर प्रदेश के राजेन्द्र यादव भारती, उषा देवी भारती और दीपाजंली पूछते हैं कि चीन की स्थलीय सीमा से लगे देशों के नाम क्या-क्या हैं और प्रशांत महासागर चीन के किस ओर स्थित है?
दोस्तो,चीन की थल सीमा रेखा कोई 20 हजार किलोमीटर लम्बी है और 14 देशों की सीमाओं से जुड़ी हुई हैं.ये देश हैं उत्तर-पूर्व में कोरिया,उत्तर में रूस और मंगोलिया,पश्चिम में कज्जाकिस्तान,किरगिजस्तान,ताजिकस्तान,पश्चिम-दक्षिण में अफगानिस्तान,
पाकिस्तान,भारत,नेपाल,औऱ भूटान तथा दक्षिण में म्यांमार,लाओस और वियतनाम.चीन इन देशों में से अधिकत्तर के साथ सीमा-संधि कर सीमा-विवादों का शांतिपूर्ण समाधान कर चुका है.भारत के साथ भी चीन की सीमा-वार्ता चल रही है और सीमा के मध्य भाग पर एक समझौता हुआ है.चीन के कुछ दक्षिणी व पूर्वी क्षेत्र समुद्र से घिरे हैं.उस की पूर्वी ओर प्रशांत महासागर है.
समस्तीपुर बिहार के संजय गुप्ता और उस के साथियों का सवाल है कि चीनी लिपि में कितने अक्षर होते हैं?
भैय्या,चीनी भाषा की विशेषता यह है कि एक ही अक्षर एक शब्द होता है और ध्वनिगत लघुतम इकाई भी। वह हिन्दी की तरह नहीं है जिस में कम से कम दो अक्षरों से शब्द बनता है।कहने का मतलब यह है कि एक शब्द एक ही अक्षर होता है।एक वृहद चीनी कोष में चालीस हजार से अधिक चीनी शब्द यानी अक्षर सम्मिलित किए गए हैं।लेकिन वास्तव में आम प्रयोग के अक्षरों की संख्या पांच से आठ हजार होती है।यानी चीनी जानने के लिए इतने ही अक्षर याद करने होते हैं।चीनी सीखने में आसानी के लिए चीनी अक्षरों की लिखावट को सरल किया जा चुका है और ध्वनिप्रतीक विषयक वर्णमाला भी तैयार की गई हैं जिस में लैटिन अक्षर अपनाए गए हैं।अब विदेशियों के लिए चीनी सीखना आसान हो गया है।

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