दोस्तो,आज के इस कार्यक्रम में राजेंद्र नगर दिल्ली के हरप्रीत सिंह, कोआथ बिहार के सुनील केशरी, राकेश रौश और उन के साथियों के पत्र शामिल हैं।
राजेंद्र नगर दिल्ली के हरप्रीत सिंह पूछते हैं कि बुढापे में याददाश्त को खोने से कैसे रोका जा सकता है?
दोस्तो,आम तौर पर यह देखा जाता है कि अक्सर बढती उम्र में लोगों की याददाश्त काफी कमजोर होने लगती है। इसे हम अपने ही घर में माता-पिता या दादा-दादी,नाना-नानी को देख कर महसूस कर सकते हैं। वे चीजें कहीं रखकर भूल जाते हैं और कभी-कभी अपनी हंसी उड़ाते हुए पूछते हैं कि क्या दुनिया में कोई ऐसी दवा है,जिससे मेरी याददाश्त चुस्त बन जाए?
लेकिन भविष्य में इस अवस्था में प्रवेश करने वाली पीढ़ियां चाहें तो इस बीमारी से काफी हद तक निजात पा सकती हैं। एक अध्ययन में वैज्ञानिकों ने यह स्पष्ट किया है कि नियमित व्यायाम और पौष्टिक आहार के सेवन से बुढापे में कमज़ोर होती याददाश्त को रोका जा सकता है।
आज के दौर में लोग लम्बी उम्र तक सक्रिय रहना चाहते हैं। ऐसे में वृद्धावस्था में दिमागी स्फूर्ति की क्षति को रोकना दिन-प्रतिदिन काफी महत्वपूर्ण होता जा रहा है। इस में कोई संदेह नहीं है कि यदि हम वृद्धावस्था में भी सुचारू रूप से काम करना चाहते हैं,तो इस में सब से अहम भूमिका दिमाग की ही होती है। ऐसी स्थिति में दिमाग को स्वस्थ रखना और उसे कमजोर याददाश्त से बचाए रखना बेहद ज़रूरी है।
यह देखा गया है कि जो लोग नियमित रूप से व्यायाम करते हैं,शारीरिक रूप से स्वस्थ रहते हैं,साथ ही ज्यादा तनाव में नहीं रहते और जिन्हों ने एक बेहतर सामाजिक जीवन व्यतीत किया है,वे बुढापे में भी चुस्त-दुरूस्त बने रहते हैं। इस के अलावा दिमागी स्फूर्ति बरकरार रखने के लिए तरह-तरह से प्रोत्साहित होना,नई-नई चीजों के बारे में जानकारी प्राप्त करना, हरदम कुछ नया सीखना आदि भी याददाश्त को तेज रखने में काफी कारगर सिद्ध हुए हैं।
व्यायाम और सकारात्मक मानसिकता के अलावा बुढापे में खासकर मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए जो बात सब से ज्यादा महत्वपूर्ण है,वह है पौष्टिक आहार का सेवन। संतुलित आहार,हरी सब्जियां तथा फलों का सेवन बुढापे में याददाश्त बनाए रखने में बेहद मददगार होता है। उल्लेखनीय है कि मछली का तेल याददाश्त के लिए जिम्मेदार कोशिकाओं को नष्ट होने से रोकता है।
इसलिए व्यस्तता चाहे कितनी भी हो,अपने खानपान पर ध्यान दें और व्यायाम के लिए भी समय निकालें,ताकि बुढापे में आप की याददाश्त सही रहे।
कोआथ बिहार के राकेश रौश, शेख जफर हसन, हरद्वार प्रसाद केशरी, राजू कुमार भार्गव, मुन्ना प्रसाद गुप्ता, किशोर कुमार केशरी, दोपमाला रानी, पिन्दू केशरी, टिन्कू केशरी पूछते है कि चीन में कुल कितने चिड़ियाघर हैं और इस में कौन-कौन से दुर्लभ जानवर हैं?
चीन में छोटे-बड़े आकार के 1000 से अधिक चिडिया घर हैं। असलियत यह है कि चीन के हरेक नगर व कस्बे में विभिन्न पैमाने वाले चिड़िया-घर हैं। चीन में दुर्लभ जानवरों की किस्में ज्यादा है और कुछ अभयारण्यों में उन की संख्या भी ज्यादा है। पांडा चीनी राष्ट्रीय प्राथमिकता प्राप्त प्रथम दर्जे का दुर्लभ जानवर है। चीन के महानगरों के चिड़िया-घरों में इसे देखा जा सकता है। इस के अतिरिक्त यहां के चिड़िया-घरों में पूर्वोत्तर चीन में पाए जाने वाले बाघ,सुनहरे बाल वाले बन्दर,लाल गर्दन वाले सारस,सफेद लम्बे पूंछ वाले बकरे,पीले मुंह वाले राजहंस और तिब्बती नील-गाय आदि दुर्लभ जानवर हैं।
कोआथ बिहार के सुनील केशरी, डी डी साहिबा, संजय केशरी, प्रियंका केशरी ने सवाल किया है कि एशियान मंच का गठन कब हुआ था ? इन के सदस्य कौन कौन हैं?
दोस्तो,एशियान का पूरा नाम है एसोसिएशन आफ़ साउथ-ईस्ट एशियन नेशनस। उस का मूलरूप मलेशिया,फिलिपीन्स और थाईलैंड द्वारा 31 जुलाई 1961 को बैंकॉक में स्थापित दक्षिण पूर्व संघ था। 7 और 8 अगस्त 1967 को इंडोनेशिया,सिंगापुर,थाईलैंड और फिलिपीन्स चार देशों के विदेश मंत्रियों तथा मलेशिया के उपप्रधान मंत्री ने थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में एक संयुक्त सम्मेलन बुलाया,जिस में बैंकॉक घोषणा-पत्र जारी कर एशियान की स्थापना की औपचारिक घोषणा की गयी। तब से अब तक के करीब 40 वर्षों में एशियान दक्षिण पूर्वी क्षेत्र में आर्थिक सहयोग के आधार पर राजनीति,अर्थतंत्र एवं सुरक्षा से जुड़ा एक एकीकृत संगठन बन चुका है और उस की सिलसिलेवार सहयोगी व्यवस्थाएं भी कायम हुई हैं।
इंडोनेशिया,मलेशिया,फिलिपीन्स,सिंगापुर औऱ थाईलैंड निस्संदेह एशियान के पांच संस्थापक देश हैं। पिछली शताब्दी के 80 वाले दशक के बाद,ब्रुनेई,वियतनाम,लाओस,म्यांमार और कंबोदिया क्रमश: इस संगठन में शामिल हुए,जिस से एशियान के सदस्य देशों की संख्या 5 से 10 तक जा पहुंची है। एशियान के इन दस सदस्य देशों की भूमि का कुल क्षेत्रफल 45 लाख वर्गकिलोमीटर है और आबादी लगभग 53 करोड़ है। बाबुआ न्यूगिनी इस संगठन का पर्यवेक्षक देश है। इस के अलावा एशियान के 10 वार्ताकार देश भी हैं,वे हैं- ऑस्ट्रेलिया,
कैनेडा,चीन,भारत,जापान,न्यूजीलैंड,रूस,दक्षिण-कोरिया,अमरीका और यूरोपीय-संघ के
सदस्य देश।(जारी)

|