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आज के इस कार्यक्रम में पटेल-नगर दिल्ली के नरेश कुमार,आजमगढ़ उत्तर प्रदेश के मसूद अहमद आजमी औऱ लदूसर राजस्थान के गफ़ार अहमद-खान के पत्र शामिल हैं।
पटेल नगर दिल्ली के नरेश कुमार पूछते हैं कि सुनामी के कहर ने भारत को छोड और किन-किन देशों को नुकसान पहुंचाया तथा अब तक पुनर्निमाण की क्या स्थिति है? आजमगढ़ उत्तर प्रदेश के मसूद अहमद आजमी इस के संदर्भ में पूछते हैं कि सुनामी लहर के कहर में चीन के कुल कितने पर्यटक मारे गए ?
मित्रो,वर्ष 2004 के क्रिसमस के अगले दिन आई सुनामी का खौफ लोगों के मन में अब भी घर किए हुए है।ऐसा इसलिए क्योंकि इस भयंकर आपदा ने भारत के अलावा श्रीलंका, थाईलैंड, इंडोनेशिया और मालदीव में भी भारी जान-माल की क्षति पहुंचाई थी।सुनामी के एक वर्ष बाद अंतरराष्ट्रीय रेड क्रॉस द्वारा किए गए सर्वेक्षण के अनुसार सुनामी से श्रीलंका को कुल 100 मिलियन डॉलर का नुकसान पहुंचा।30 हजार लोगों की मृत्यु हुई।पांच लाख विस्थापित,दो लाख बच्चे प्रभावित और डेढ़ लाख लोगों ने रोजगार के साधन गंवाए।90 हजार घर टूटे। कृषि योग्य 23 हजार एकड़ जमीन प्रभावित हुई।अब तक 34 हजार घरों का निर्माण हुआ है और 56 हजार घरों की और ज़रूरत है,11 हजार 500 बेघरों को घर निर्माण के लिए पहली किश्त के रूप में 50 हजार रुपए दिए गए हैं।विश्व बैंक ने डेढ़ सौ,अमरीका ने 134.6 मिलियन डॉलर और इंग्लैंड ने 2.8 मिलियन पाउंड की सहायता दी है।अमरीका के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के अनुसार लगभग 90 फीसदी बच्चे फिर से स्कूलों में दाखिल हुए हैं।
सुनामी से इंडोनेशिया के 1 लाख 66 हजार लोगों की मृत्यु हुई।इन में 75 प्रतिशत महिलाएं हैं।सवा लाख लापता,साढे 6 लाख विस्थापित,110 पुल,5 बंदरगाह,2 एयरपोर्ट और 82 फीसदी सड़कें क्षतिग्रस्त हुईं।आज भी 66 हजार लोग अस्थाई टेंटों में रह रहे हैं।पर्यटन में 60 फीसदी कमी आयी है।अब तक अंतरराष्ट्रीय सहायता से 25 हजार घरों का पुनर्निर्माण हो गया है।पर 1 लाख घरों की और ज़रूरत है। इंडोनेशिया सरकार को 2009 तक पुनर्वास का कार्य पूरा होने की उम्मीद है।अमरीका और इंग्लैंड ने इंडोनेशिया को क्रमश: 400.1 मिलियन डालर और 59.2 मिलियन पाउंड की सहायता दी है।
थाईलैंड में सुनामी से 5 हजार से अधिक लोगों की जानें गईं। इन में 520 जर्मन शामिल हैं।5 हजार लापता और एक हजार से ज्यादा विदेशी पर्यटक प्रभावित हुए।इस के अलावा 54 हजार लोग विस्थापित हुए और 971 बिलियिन डॉलर का पर्यटन उद्योग भी प्रभावित हुआ।अब तक पुनर्वास का 15 फीसदी कार्य पूरा किया गया है ,24 हजार से अधिक मछुआरों को नावें दी गयी हैं और 2 हजार घरों का पुनर्निमाण किया गया है।81 फीसदी बच्चे चाहते हैं कि सर्वप्रथम सहायता शिक्षा के लिए मिले।अमरीकी सहायता 5.3 मिलियन डालर की रही है।
मालदीव भी सुनामी की चपेट में आया।इस से उस का 100 मिलियन डॉलर का पर्यटन उद्योग चौपट हो गया । 82 जानें गईं,26 लापता ,21 पर्यटन स्थल क्षतिग्रस्त हुए,29 हजार लोग विस्थापित हुए,और कुल 5 हजार घरों की ज़रूरत है। कुल नुकसान 470 मिलियन डॉलर का हुआ,पुनर्निमाण के लिए वित्तीय ज़रूरत 370 मिलियन डॉलर की है।विश्व बैंक ने 14 मिलियन,यूरोपीय यूनियन ने 16 मिलियन यूरो डॉलर और अमरीका ने 10.1 मिलियन डॉलर की सहायता की है।
इस सुनामी में चार चीनी मारे गए।वे सब थाईलैंड के फूकी द्वीप की यात्रा के दौरान मारे गए।अन्य लगभग 50 चीनी पर्यटक भी प्रभावित हुए।
दोस्तो,सुनामी ने लोगों के मन में जो दहशत पैदा की है,उस का साया दूर करने में समय जरूर लगेगा।आशा है कि पीड़ित लोग जल्द ही इस से मुक्ति पाएंगे।वर्तमान में सुनामी के कहर से सबक लेते हुए विभिन्न स्तरों पर इस से बचाव के उपाय तलाशे जा रहे हैं।सरकारों और वैज्ञानिकों की कोशिश है कि भविष्य में ऐसी आपदा आने पर लोगों को समय रहते सतर्क किया जा सके।
लदूसर राजस्थान के गफ़ार अहमद खान का सवाल है कि चीन की "पिंगपांग डिप्लोमेसी" का क्या मतलब है?
भैय्या, "पिंगपांग डिप्लोमेसी " का संबंध चीन और अमरीका के बीच राजनयिक संबंधों की पुन:स्थापना की प्रक्रिया से है।सभी लोग जानते हैं कि वर्ष 1949 में नए चीन की स्थापना होने के बाद से ही अमरीका उस के विरुद्ध शत्रुतापूर्ण नीति अपनाता रहा था।इस से दोनों देशों के बीच संबंध लम्बे अरसे तक असामान्य बने रहे।पर पिछली शताब्दी के 8वें दशक के शुरू में दुनिया की बदलती स्थिति को देखते हुए दोनों देशों ने आपसी संबंध सुधारने की इच्छा प्रकट की।अमरीका ने उसी दौरान समाप्त हुई विश्व टेबिल-टेनिस चैम्पियनशिप के बहाने एक टेबिल-टेनिस यानी पिंगपांग टीम चीन भेजने का प्रस्ताव रखा।चीन ने इस का स्वागत किया।यह पिछले कई दशकों में चीन में आया प्रथम औपचारिक अमरीकी प्रतिनिधि मंडल था।इस के बाद दोनों देशों के बीच आवागमन आरंभ हो गया।जुलाई 1971 में निक्सन प्रशासन ने डॉक्टर हेनरी किसिंगर को चीन के साथ वार्ता के लिए पेइचिंग भेजा।अमरीकी राष्ट्रपति निक्सन स्वयं फरवरी 1972 में चीन आए।उन्हों ने अध्यक्ष माओ जे-तुंग से मुलाकात की औऱ प्रधान मंत्री चो अन-लाई के सात वार्ताएं कीं।श्री निक्सन की यात्रा की समाप्ति पर दोनों पक्षों ने एक संयुक्त विज्ञप्ति जारी कर द्विपक्षीय संबंधों के सामान्यीकरण को आगे बढ़ाने की इच्छा व्यक्त की।पहली जनवरी 1979 को चीन और अमरीका ने आपस में विधिवत् राजनयिक संबंध स्थापित कर लिए।चूंकि यह प्रक्रिया पिंगपांग टीमों के आदान-प्रदान से शुरू हुई थी,इसलिए उसे "पिंगपांग डिप्लोमेसी " की संज्ञा दी गई।

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