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(GMT+08:00) 2006-09-11 12:07:09    
चीन में मुख्य पर्यटन, चीनी मजूदर यूनियन

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आज के इस कार्यक्रम में कोआथ रोहतास बिहार के किशोर कुमार केशरी,नरनौल हरियाणा के उमेश कुमार, बलीदपुर मऊ उत्तर प्रदेश के डॉक्टर एस ए फारूकी, बोका बिहार के कुमोद नारायण सिंह, आजमगढ़, उत्तर प्रदेश के फय्याज अन्सारी, कोआथ बिहार के सुनील केशरी, डी डी साहिबा, संजय केशरी, सीताराम केशरी, किशोर कुमार केशरी, सोनू कुमार केशरी और राज कुमार केशरी के पत्र शामिल हैं।

कोआथ रोहतास बिहार के किशोर कुमार केशरी का सवाल है कि चीन में मुख्य पर्यटन स्थल कौन-कौन से हैं? बोका बिहार के कुमोद नारायण सिंह,नरनौल हरियाणा के उमेश कुमार और बलीदपुर मऊ उत्तर प्रदेश के डॉक्टर एस ए फारूकी तथा आजमगढ़,उत्तर प्रदेश के फय्याज अन्सारी और कलेर बिहार के मुहम्मद आसिफ़ ख़ान व उन के साथियों ने भी इस से मिलता-जुलता सवाल किया है।

दोस्तो,चीन में प्रमुख पर्यटन स्थल प्राय:बौद्ध संस्कृति से जुड़े हैं,जैसे फूथो,ऊथाई,च्यूह्वा और अर्मई आदि पहाड़

फूथो पहाड पूर्वी चीन के समुद्री जलक्षेत्र में फूथो द्वीप पर स्थित है।कहा जाता है कि बोधिसत्व अवलोकितेश्वर ने इसी पहाड़ पर बौद्ध सूत्रों का पर्वचन किया था।यहां स्थित मंदिरों में उन की पूजा की जाती है।पर उल्लेखनीय बात यह है कि अवलोकितेश्वर को चीन में नारी के रूप में चित्रित किया जाता है।

ऊथाई पर्वत उत्तरी चीन के शानशी प्रांत में है।यहां बोधिसत्व मंजूश्री ने बौद्धसूत्रों का पर्वचन किया था।

च्यूहा पहाड़ पूर्वी चीन के आनह्वई प्रांत में स्थित है।कहते हैं कि यहां बोधिसत्व क्षितिगर्भ ने बौद्धसूत्रों का प्रवचन किया था।बौद्ध मान्यता है कि क्षितिगर्भ शाक्यमुनि के महानिर्वाण के बाद और मैत्रेय के जन्म से पूर्व के बीच की अवधि में इहलोक में हुए सभी प्राणियों का उद्धार करने को प्रतिबद्ध हैं।

अमई पर्वत दक्षिण पश्चिमी चीन के स्छ्वान प्रांत में स्थित है।माना जाता है कि यहां बोधिसत्व सामंतभद्र ने बौद्धसूत्रों का प्रवचन किया था।

दोस्तो,चीन में देखने लायक अन्य बहुत से स्थल भी हैं,जिस का बौद्ध संस्कृति से कोई रिश्ता नहीं है।जैसे चांगच्याचे,शननुंगच्या,क्वेलिन शहर,हाईनान द्वीप,सूचो उद्यान और पेताह समुद्र-तट आदि क्षेत्र आप की सुन्दर दृश्य देखने की भूख को शांत कर सकते हैं।जहां तक प्राचीन ऐतिहासिक व सांस्कृतिक अवशेष है,पेइचिंग की लम्बी दीवार,प्राचीन राज्य प्रासाद,समर पैलेस,शीआन के वृहद घंटी-भवन,सैनिकों व घोडॉ की आदमकद मूर्तियों का समूह,शानतुंग के कंफ्यूशियस मंदिर,कानसू की तुंगह्वांग की गुफाएं,तिब्बत का पोताला महल,जुखला खाड मठ आदि।नानचिंग के वृहद शाही भवन,प्राचीन शहरी गेट और तोपखाना आदि मुख्य तौर पर उल्लेखनीय हैं।विश्व के पर्यटन मानचित्र पर भी चीन के उक्त पर्यटन स्थलों को आन्नदप्रद माना जाता है।भैय्या,हमारे साप्ताहिक कार्यक्रम चीन का भ्रमण में अक्सर चीन के पर्यटन स्थलों की जानकारी दी जाती है।चाहे तो हर सोमवार को यह कार्यक्रम सुन सकते हैं।

कोआथ बिहार के सुनील केशरी, डी डी साहिबा, संजय केशरी, सीताराम केशरी, किशोर कुमार केशरी, सोनू कुमार केशरी और राज कुमार केशरी का सवाल है कि चीनी यूनियन मजूदर दिवस क्या है?

दोस्तो,चीन में यूनियन मजदूर दिवस नहीं है।हां,मजूदर यूनियन जरूर है।राष्ट्रीय स्तर की मजदूर यूनियन का पूरा नाम है अखिल चीन मजदूर संघ।वह देश के विभिन्न क्षेत्रों व विभिन्न व्यवसायों के मजदूर संघों की नेतृत्वकारी संस्था है औऱ इस की स्थापना मई 1925 में हुई थी।इस संस्था का मुख्य दायित्व हैं मजदूरों व कर्मचारियों के वैध अधिकारों व हितों तथा लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा करना,मजदूरों व कर्मचारियों को देश के निर्माण व सुधार-कार्य में भाग लेने और आर्थिक व सामाजिक विकास के कार्यों को पूरा करने के लिए लामबंद करना,उपक्रमों के लोकतात्रिक प्रबंधन में शामिल होना औऱ मजदूरों व कर्मचारियों को वैचारिक नैतिकता तथा वैज्ञानिक व तकनीकी एवं सांस्कृतिक गुणों के विकास में शैक्षिक मदद देना।अखिल चीन मजदूर-संघ विश्व के 140 देशों औऱ क्षेत्रों के विभिन्न राजनीतिक दलों के देशव्यापी मजदूर संघों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध स्थापित कर चुका है।

चीन में मजूदर दिवस मनाया जाता है।वह वास्तव में पहली मई अंतर्राष्ठ्रीय श्रमिक दिवस है।

14 जुलाई 1889 को विभिन्न देशों के मार्क्सवादियों की एक प्रतिनिधि सभा फ्रांस की राजधानी पेरिस में धूमधाम से उद्घाटित हुई।इस सभा में फ्रांसीसी प्रतिनिधियों ने यह सुझाव रखा कि पहली मई को सभी देशों के सर्वहारा के समान दिवस के रूप में मनाया जाए,क्योंकि वर्ष 1886 के इसी दिन अमरीकी मजदूरों ने रोजाना 8 घंटों की कार्य-प्रणाली के लिए आम हड़ताल की थी।सभा में उपस्थित सभी प्रतिनिधियों ने इस सुझाव पर हामी भरी।तब से पहली मई अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस के रुप में मनाने की परंपरा की शुरुआत हुई ।