|
आज के इस कार्यक्रम में कोआथ बिहार के सुनील केशरी, डी डी साहिबा, संजय केशरी, प्रियंका केशरी और पटेल नगर दिल्ली के अमिताभ सज्जन के पत्र शामिल किए जा रहे हैं।
कोआथ बिहार के सुनील केशरी, डी डी साहिबा, संजय केशरी, प्रियंका केशरी जानना चाहते है कि चीन में सूचना के कुल कितने साधन हैं और चीन के अखबार के नाम क्या हैं ?
चीन में सूचना के मुख्य साधन आधुनिक संचार माध्यम हैं। इन में सिंगह्वा समाचार एजेंसी,चीनी केंद्रीय टीवी स्टेशन यानी सीसीटीवी,चीनी केंद्रीय जन-रेडियो स्टेशन और हमारे चाइना रेड़ियो इंटरनेशनल के अलावा जन-दैनिक,क्वांगमिंग दैनिक,इकनौमिक डेली और चाइना डेली अखबार प्रमुख हैं।
सिंगह्व समाचार एजेंसी चीन की एकमात्र राष्ट्रीय समाचार एजेंसी है। उस की स्थापना नवम्बर 1931 में हुई थी।थाइवान को छोड चीन के बाकी सभी प्रांतों,स्वायत्त प्रदेशों,केंद्र शासित शहरों औऱ हांगकांग व मकाओ विशेष प्रशासनिक क्षेत्रों में उस की लगभग 35 शाखाएं हैं।100 से अधिक देशों व इलाकों में उस ने अपने कार्यालय कायम किए हुए हैं।सिंगह्व समाचार एजेंसी प्रतिदिन चीनी भाषा में कोई 5 लाख शब्दों वाले समाचार प्रस्तुत करती है औऱ अंग्रेजी,फ्रांसीसी,स्पेनिश,रूसी,अरबी एवं पुर्तगाली में कोई 4 लाख शब्दों वाले समाचारों तथा समाचारों से जुडी करीब डेढ़ सौ तस्वीरों की भी आपूर्ति करती है।
चीनी केंद्रीय टीवी स्टेशन यानी सीसीटीवी ने सितम्बर 1958 में औपचारिक तौर पर काम करना शुरू किया था ।अब वह चीन का सब से पुराना व सब से बड़ा टीवी स्टेशन है और उस के दर्शकों की सख्या चीन के अन्य टीवी स्टेशनों की अपेक्षा कहीं ज्यादा है। सीसीटीवी में इस समय चीनी कार्यक्रमों के 14 चैनल औऱ अंग्रेजी का 1 चैनल है,जिन पर प्रतिदिन कोई 250 घंटों के कार्यक्रम प्रसारित होते हैं।कार्यक्रमों में देश-विदेश के समाचार,सामयिक चर्चा,अर्थतंत्र,कृषि,संस्कृति,कानून,कला,खेलकूद आदि समाज के विभिन्न क्षेत्रों से जुड़ी रिपोर्टें तथा फिल्में प्रसारित की जाती हैं। देश के लगभग 90 प्रतिशत इलाकों के कोई 1.3 अरब दर्शक इन कार्यक्रमों को देख सकते हैं।
चीनी केंद्रीय जन-रेडियो स्टेशन देश का सब से बड़ा प्रतिष्ठित रेडियो स्टेशन है,जो प्रतिदिन हान के अलावा मंगोल,वेवूर,तिब्बती,कज्जाक और कोरियाई जैसी अल्पसंख्यक जातियों की भाषाओं में लगभग 170 घँटों के कार्यक्रम प्रसारित करता है।
चाइना रेडियो इंटरनेशनल की स्थापना सन् 1941 में हुई थी। वर्तमान में वह प्रतिदिन 38 विदेशी भाषाओं के साथ-साथ,हान और 4 स्थानीय बोलियों में भी करीब 422 घंटों का प्रसारण करता है। विश्व के 160 से अधिक देशों व इलाकों में इस के कार्यक्रम सुने जा सकते हैं।
समाचार पत्र जन-दैनिक चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का सब से बड़ा अखबार है,जो सन् 1948 में अस्तित्व में आया था । वह अपने 16 पृष्ठों के अखबार में हर रोज चीन सरकार की नवीनतम नीतियों,देश व विदेशों के सामयिक मामलों से जुड़े समाचार औऱ रिपोर्टें आदि छापता है।
क्वांगमिग दैनिक की विशेषता है गहन दार्शनिक और कलात्मक बोध।
इक्नोमिक डेली चीन का एकमात्र शत-प्रतिशत आर्थिक मामलों पर आधारित समाचार-पत्र है। इस में चीन सरकार की आर्थिक व वित्तीय नीतियों व निर्देश सिद्धांतों से संबंधित आधिकारिक समाचार,रिपोर्टें व टिप्पणियां प्रकाशित होती है।
चाइना डेली चीन का एकमात्र राष्ट्रीय अंग्रेजी अखबार है। सन्,1961 में स्थापित होने के बाद वह बहुत तेजी से फला-फूला है। उल्लेखनीय है कि वह चीन का ऐसा प्रथम अखबार है,जो उपग्रह के माध्यम से विदेशों में भी प्रकाशित होता है। उस के मुख्य पाठक विदेशी,चीन में कार्यरत विदेशी राजनयिक,विशेषज्ञ,अध्यापक और छात्र हैं।
पटेल नगर दिल्ली के अमिताभ सज्जन यह जानना चाहते हैं कि क्या चीन के बाजार में भी सोने का भाव ऊंचा है?
दोस्तो,चीन में सोने का भाव जितना ऊंचा है,उतने से अधिक ऊंचा भारत में है।भारत में दीवाली जैसे महोत्सव औऱ शादियों के मौसम में सोने का भाव आसमान तक पहुंच जाता है। चीन में सोने की कीमत अंतरराष्ट्रीय सोना-बाजार की स्थिति के अनुसार बदलती है। सोने के भाव में चमक आने के कई कारण हैं और उस का भावी रूख अनेक अंतरराष्ट्रीय परिस्तिथियों पर निर्भर करता है। विश्व बाजार में कच्चे तेल के बढ़ते दाम,डालर में आई कमजोरी,अमरीका के बढते राजकोषीय घाटे और अधिकतर देशों में कम ब्याज दरों के चलते अस्थायित्व की भावना पैदा हुई है। इस का नतीजा सोने में निवेश के रूप में सामने आ रहा है। मुमकिन है कि यह सिलसिला कुछ और समय तक चले,लेकिन हालात के नया मोड़ लेने पर सोने के भाव में गिरावट दर्ज हो,तो कोई आश्चर्य नहीं होगा। यदि संस्थागत निवेशक और कुछ देशों,जैसे रूस,दक्षिण अफ्रीका,अर्जेटीना आदि के केंद्रीय बैंक आज अपना स्वर्ण भंडार बढा रहे हैं, तो इस बात की क्या गारंटी है कि वे सदैव इसे बनाए रखेंगे और बाजार में कभी भी इसे नहीं बेचेंगे? कुछ साल पहले स्विट्जरलैंड व ऑस्ट्रेलिया के बैंकों ने भारी मात्रा में सोना बेचने की याजना बनाई थी,पर तब भाव कम होने के कारण उसे टाल दिया गया।हमारा विचार है कि बढ़ रहा वर्तमान सोना-बाजार उन के लिए एक सुनहरा मौका है।

|