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आज के इस सभा में हौज़खास नयी दिल्ली के दीपक ठाकुर और आजमगढ उत्तर प्रदेश के मसऊद अहमद आजमी के पत्र शामिल हैं।
हौज़खास नयी दिल्ली के दीपक ठाकुर ने पूछा है कि चीन बर्ड फ्लू का शिकार हुआ है, क्या पक्षी बर्ड फ्लू का वाहक है?
(दूसरा भाग) वायरस प्रोटीन व डीएनए का एक ऐसा समूह होता है, जिस में खुद से प्रजनन करने की सामर्थ्य नहीं होती। इस कारण वह किसी अन्य कोशिका के भीतर प्रवेश कर उस की आंतरिक संरचना पर आधिपत्य जमा लेता है। इस के बाद वह इतनी तेजी से प्रजनन करता है कि उस की बढती आबादी के दबाव से वह कोशिका फट पड़ती है। इस तरह वहां से फैलने वाले वायरस से अन्य स्वस्थ कोशिकाएं भी प्रभावित हो जाती हैं।
फ्लू के खतरनाक होने की एक वजह यह है कि इस का वायरस लगातर अपना स्वरूप बदलता रहता है। फ्लू का वायरस दो प्रकार से अपना स्वरूप बदलता है। एक आम तौर पर डीएनए में होने वाला परिवर्तन है तो दूसरा उस की सतह पर पाए जाने वाली प्रोटीन में आने वाला बदलाव, जिसे एंटिजेनिक शिफ्ट कहते हैं। एंटिजेनिक शिफ्ट में वायरस में पाए जाने वाली सतही प्रोटीन अपने आप को नए सिरे से पुनर्संयोजित करती है। सैद्धांतिक रूप से ऐसा संयोजन ज्यादा खतरनाक है, जिस में एक सतही प्रोटीन अपने आप को इस ढंग से पुनर्संजित करे कि उस के खिलाफ मानव में प्रतिरोधक क्षमता नहीं हो।अगर मनुष्यों में पाए जाने वाले फ्लू के वायरस से संक्रमित किसी सुअर को पक्षियों में पाए जाने वाले फ्लू के वायरस का संक्रमण हो जाए तो ऐसी संभावना है कि जेनेटिक सूचनाओं के घालमेल से ऐसा वॉयरस पैदा हो, जिस में दोनों सतही प्रोटीन तो पक्षियों को फ्लू से पीड़ित करने वाले वायरस की हो किंतु बाकी जेनेटिक संरचना मनुष्य को संक्रमित करने वाले फ्लू वायरस की हो।ऐसा वॉयरस फ्लू से संक्रमित किसी आदमी के पक्षियों के फ्लू वायरस के संक्रमण से भी हो सकता है। इस स्थिति में मनुष्य के प्रतिरोध तंत्र में इस वायरस को पहचानने की क्षमता नहीं होगी और यह आसानी से एक मनुष्य से दूसरे मनुष्य में संक्रमण फैलाएगा।
इस वायरस में पक्षियों से फैलने वाले फ्लू-वायरस की सफलतम एंटिवायरस दवाओं में से एक टैमीफ्लू के प्रतिरोधक क्षमता के विकसित होने के लक्षण भी देखे गए हैं। इस को फैलाने वाले कुछ प्रवासी पक्षी इस खतरनाक वायरस के लिए ट्रॉजन हॉर्स की तरह काम करते हैं, अथार्त वे इस वायरस से बीमार पड़े बिना इस का संक्रमण फैलाते रहते हैं। कुछ मनुष्यों में भी ऐसी स्थिति होती है कि उन के अन्दर फ्लू के संक्रमण के लक्षण प्रकट नहीं होते किंतु वे इस का संक्रमण फैलाते रहते हैं।
प्रवासी पक्षियों के दुनिया भर में घूमने के कारण बर्ड-फ्लू के महामारी का रूप धारण करने की आशंका बढ़ गयी है।
आजमगढ, उत्तर प्रदेश के मसऊद अहमद आजमी का सवाल है कि क्या चीन संयुक्त राष्ट्र के पुनर्सुधार से सहमत है?
जी हां, चीन जरूर संयुक्त राष्ट में सुधार से सहमत है। चीन का हमेशा से मानना हैं कि संयुक्त राष्ट्र संघ की अंतरराष्ट्रीय मामलों में अनिवार्य भूमिका रही है। चीन संयुक्त राष्ट्र में सुधार का साथ देता है, ताकि उस की भूमिका व बहुराष्ट्रवाद को बल मिले और अंतरराष्ट्रीय खतरे व चुनौतियों का सही ढंग से मुकाबला किया जाए।
संयुक्त राष्ट्र में सुधार का सवाल लम्बे अरसे से मौजूद रहा है। शीतयुद्ध की समाप्ति के उपरांत ही यह सवाल उठाया गया था,जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार पर केंद्रित है।
नवंबर 2003 में संयुक्त राष्ट्र महासचिव कोफी अन्नान ने चीन के पूर्व उपप्रधान मंत्री छ्यानछीछन समेत संयुक्त राष्ट्र में सुधार के सवाल संबंधी उच्च स्तरीय अधिकारियों से गठित एक दल को अंतरराष्ट्रीय शांति व सुरक्षा के सामने मौजूद चुनौतियों तथा संयुक्त राष्ट्र सुधार जैसे सवालों का अध्ययन करने का निर्देश दिया था। एक साल बाद इस दल ने एक अधिक सुरक्षित संसार: हमारा समान दायित्व विषयक रिपोर्ट जारी कर सुधार संबंधी 101 सुझाव पेश किए और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के विस्तार को लेकर दो प्रस्ताव भी प्रस्तुत किए। एक है सुरक्षा परिषद में वीटो के अधिकार से वंचित 6 स्थाई सदस्य देश और 3 अस्थाई सदस्य देश जोडे जाएं। दूसरा है सुरक्षा परिषद में अर्द्धस्थाई सदस्यता प्राप्त ऐसे 8 देशों को,जिन का कार्यकाल 4 साल हो और एक अस्थाई सदस्य देश,जिस का कार्यकारल 2 साल हो,शामिल किया जाए।
इन सुझावों का चीन ने गंभीरता से अध्ययन कर कहा कि संयुक्त राष्ट्र के किसी भी सुधार संबंधी प्रस्ताव को उस के सदस्य देशों द्वारा लोकतांत्रिक सवाह-मशविरा करके सर्वसम्मति से ही पारित किया जा सकता है। चीन की उम्मीद है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार आएगा और उस में विकासशील देशों के नए सदस्य शामिल हो जाएंगे। संयुक्त राष्ट्र संघ स्थित चीनी स्थाई प्रतिनिधि वांगक्वांगया ने 59वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा में कहा कि चीन सुरक्षा परिषद में सुधार का समर्थन करता है, लेकिन इस सुधार के लिए समय-सीमा तय करने के पक्ष में नहीं है और न ही सभी सदस्यों को अस्वीकार्य प्रस्ताव पर जबरन मतदान का साथ देता है।
चीन का विचार है कि संयुक्त राष्ट्र सुधार को बहुक्षेत्रीय होना चाहिए। एकमुश्त प्रस्ताव से इस सुधार कार्य में सकारात्मक कामयाबियां यथाशीघ्र हासिल नहीं की जा सकती हैं। सर्वसम्मति प्राप्त प्रस्ताव पर यथाशीघ्र लागू किया जा सकता है।

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