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(GMT+08:00) 2006-07-17 15:38:15    
चीन की लम्बी दीवार का निर्माण कब; चीनी सीमा से लगे देश

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आज के इस कार्यक्रम में रोहतास बिहार के हाशिम आजाद,मुर्शीदाबाद पश्चिम बंगाल के सादाब आलम, बस्ती उत्तर प्रदेश के कृष्ण कुमार जायसवाल के पत्र शामिल हैं।

रोहतास बिहार के हाशिम आजाद का सवाल है कि चीन की लम्बी दीवार का निर्माण किस के शासन काल में हुआ था?

दोस्तो,चीन की लम्बी दीवार विश्व के 7 आश्चर्यों में शामिल है। उस का अब तक का इतिहास दो हजार 700 वर्ष से अधिक पुराना है। लम्बी दीवार का प्रारंभिक रूप ईसा पूर्व सातवीं सदी पहले नजर आ गया था।खुदाई से भी सिद्ध हो चुका है कि सर्वाधिक प्राचीन लम्बी दीवार छू राजवंश के दौरान आज के चीन के हनान प्रांत में बनाई गयी थी।ईसा पूर्व 7वीं शताब्दी से लेकर 16वीं सदी तक कोई 20 राजवंशों या राज्यों ने लम्बी दीवार का निर्माण या जीर्णोद्धार कराया। पर छिन,हान तथा मिंग इन तीन राजवंशों के दौरान तो यह काम सब से बड़े पैमाने पर चला।

आज जो लम्बी दीवार उत्तरी चीन में अटल-अचल खडी नजर आती है,वह मिंग राजवंश में निर्मित की गयी थी। लम्बी दीवार का यह भाग पश्चिम में च्यायू दर्रे से शुरू होकर पूर्व की ओर निंगश्या,शैनशी,भीतरी मंगोलिया,शानशी,हपे और पेइचिंग से गुजरता हुआ हपे प्रांत के शानहाईक्वान दर्रे तक पहुंचकर समाप्त होता है। इस की कुल लम्बाई 6700 किलोमीटर से अधिक है और इस के रास्ते में अनेक अपार चरागाह,विस्तृत रेगिस्तान और ऊंचे-ऊंचे पर्वत हैं।

लम्बी दीवार के अधिकतर भाग पहाड़ों के साथ लगे हुए हैं। यहां दीवार का निचला भाग चौड़ा है और ऊपरी भाग छोटा.इस से वह बड़ी मजबूती से पहाड़ों पर खड़ी है। दीवार की दोनों ओर के आयताकार शिलाखंडों में पहले पत्थर व मिट्टी कूट-कूट कर भरी गयी है और फिर उस पर चौकोर इंटें बिछाई गयीं हैं।मिंग राजवंश के काल में लम्बी दीवार पूरी तरह चीन की रक्षा-व्यवस्था का ऱूप ले चुकी थी। तब इस में फाटक भी बनाए गए और उन के ऊपर दुर्ग भी। संकट के समय चेतावनी देने के लिए दीवार पर अग्नि-मंच खड़े किए गए,जो चेतावनी के संकेत के तौर पर धुआं छोड़ते थे या उन में आग सुलगाई जाती,जो बहुत दूर से ही साफ-साफ नजर आ सकती थी।

मौसम के कठोर थपेड़ों से लम्बी दीवार का अधिकांश भाग जीर्ण-शीर्ण हो चला है। कुछ भाग रेत से दब गए तो कुछ भूचाल आने से अपने स्थान से खिसक गए और कुछ घाटियों के पाटे जाने या चौड़ी हो जाने के कारण टूट गए। खैर आज लम्बी दीवार रक्षक का काम नहीं कर रही,बल्कि पर्यटन स्थल बन बैठी है। उस का पातालिंग भाग इस वक्त सब से मशहूर पर्य़टन स्थल है,जो पेइचिंग शहर से कोई 40 किलोमीटर दूर उत्तर में स्थित हैं। लम्बी दीवार का यह भाग एकदम सुरक्षित है और देशी-विदेशी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद हैं। चीनी कहावत है कि जो लम्बी दीवार पर न चढ पाए,वह बहादुर नहीं माना जा सकता। इसलिए बच्चे-बूढे.स्त्री-पुरूष सभी उस पर चढ़ने की कोशिश करते हैं,ताकि दूसरों को अपने साहस और शक्ति का परिचय दे सके।

अच्छा लम्बी दीवार पर इस सम्बी चर्चा को यहीं लगाम दें.

मुर्शीदाबाद पश्चिम बंगाल के सादाब आलम का सवाल है कि चीन की सीमाएं किन-किन देशों से मिलती हैं?

चीन की सीमा से लगे देश कुल 14 हैं। पूर्व में कोरिया,उत्तर में रूस और मंगोलिया,पश्चिम में कज्जाकिस्तान,गिरगिस्तान और ताजिकस्तान,दक्षिण-पश्चिम में अफगानिस्तान,

पाकिस्तान,भारत,नेपाल और भूटान,दक्षिण में म्यामार,लाओस और वियतनाम हैं।

बस्ती उत्तर प्रदेश के कृष्ण कुमार जायसवाल ने अपने पत्र में चीन में चाय के उत्पादन के बारे में जानकारी देने का अनुरोध किया है।

चीन में चाय की पैदावार दक्षिण में ही होती है.क्योंकि वहां नमी भी है और गरमी भी।मौसम चाय की पैदावार के लिए उपयुक्त है।चीन में चाय की 6 उपजातियां हैं यानी काली चाय,हरी चाय,ऊलूंग चाय,श्वेत चाय,भूरी चाय और पीली चाय।चाय चीन का निर्यात उत्पाद भी है। चीनियों का मुख्य पेय होने के नाते यहां चाय की मांग बहुत बड़ी है।हर जगह चाय की दुकानें नजर आती हैं।अधिकांश चीनी लोग हरी चाय ही पसन्द करते हैं। हालांकि अभी बाजार में कॉफी,सोडा पानी और कोका-कोला आदि पेय मिलते हैं,लेकिन चीनियों की नजरों में प्यास बुझाने के लिए सर्वोत्तम पेय चाय ही है। घर में मेहमान आने पर उस के स्वागत में अवश्य चाय पेश की जाती है।यह एक परंपरा सी बनी रही है।