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(GMT+08:00) 2006-06-26 15:29:15    
चीन में जादू-टोने की स्थिति; चीन में बौद्ध धर्म का प्रचार-प्रसार

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आज के इस कार्यक्रम में आजमगढ़, उत्तरप्रदेश के मसऊद अहमद आजमी, विजय नगर दिल्ली के राम विनय,बटरोही और लाल दीक्षित के पत्र शामिल हैं।

आजमगढ़, उत्तरप्रदेश के मसऊद अहमद आजमी ने पूछा है कि क्या चीनी लोग भी जादू-टोने और भूतप्रेत में विश्वास करते हैं।

आजमी जी,चीनी लोग भारतीय लोगों की तरह जादू-टोने व भूतप्रेत में ज्यादा विश्वास नहीं करते। चीन के शहरी इलाकों में जादू-टोना करने वाले इने-गिने लोग कभी-कभार सड़कों पर दिख जाते हैं, पर लोग आम तौर पर उन से कतराकर निकल जाते हैं। कुछ लोग मात्र अपनी जिज्ञासा दूर करने के लिए उन से गपशप करते हैं।चीन के ग्रामीण इलाके में जादू-टोने व भूतप्रेत पर विश्वास करने वाले लोग जरूर हैं,पर उन की संख्या भी ज्यादा नहीं है। जहां गरीबी व पिछड़ापन है,वहां जादू-टोना मौजूद है। गरीब किसानों को बहुत कम शिक्षा हासिल है, इसलिए जो बात उन की समझ में नहीं आती है, उस पर काबू पाने के लिए वे जादू-टोना करने वालों की मदद लेने लगते हैं।आप जानते ही हैं कि जादू-टोना व भूतप्रेत अंधविश्वास है,जो विज्ञान के खिलाफ़ है।

इस तरह का अंधविश्वास ग्रामीण इलाके के विकास में बाधा बन गया है। इस पर भरोसा करने वाले कुछ किसान खेतीबाडी में प्रगतिशील वैज्ञानिक तकनीकों के प्रयोग तक से इनकार कर देते हैं,जिस से फसल की पैदावार और कृषि उत्पादों की गुणवत्ता पर बुरा असर पड़ता है। परिणामस्वरूप किसानों को कम आय होती है। कुछ किसान तो अपनी जान तक जादू-टोना करने वालों पर छोड़ देते हैं। वे बीमार पड़ने पर अस्पताल जाने की बजाय़ जादू-टोना करने वाले की शरण लेते हैं। जादू-टोना करने वाले खुद जानते हैं कि उन के द्वारा किए गये सभी काम बेकार हैं, पर स्वार्थवश वे इस के सहारे कमाई करते हैं। दुर्भाग्य से बहुत से अनपढ़ किसान उन के शिकार बन गए हैं।

चीन सरकार ने देश के किसानों के जीवन में सुधार के लिए विशेष नीतियां तय की हैं और अनेक सकारात्मक कदम उठाए हैं। यों भौगोलिक स्थिति की वजह से कुछ गरीब ग्रामीण क्षेत्र इन नीतियों और कदमों के फायदे से वंचित रहते हैं, लेकिन सरकार इन क्षेत्रों को भी विकास की राह पर ले जाने के लिए प्रतिबद्ध है। लगभग 10 साल पहले चीन भर में गरीब गांवों की सहायता का अभियान चलाना शुरू किया गया था। अब अनेक गांव गरीबी से छुटकारा पा चुके हैं और उनके किसानों का जीवन-स्तर इतना उन्नत हो गया है कि वे रोजमर्रा की आवश्यक चीजों पर खर्च करने के बाद कुछ बचत भी कर लेते हैं। इस से वे शिक्षा पाने के लायक हो गए हैं औऱ जादू-टोना उन के जीवन से धीरे-धीरे गायब हो गया है।

विजय नगर दिल्ली के राम विनय,बटरोही और लाल दीक्षित का सवाल है कि बौद्ध धर्म का चीन में किस तरह प्रचार-प्रसार हुआ है?

बौद्ध धर्म का चीन में 2 हजार वर्षों से अधिक समय पुराना इतिहास है।जैसा कि आप जानते हैं बौद्ध धर्म का जन्मस्थान आप का देश भारत है।चीन में आने के बाद इस धर्म की चीनी राष्ट्रीय विशेषता बन गयी।चीनी बौद्ध धर्म हान भाषी,तिब्बती भाषी और ताई भाषी तीन शाखाओं में बंटा है।

आखिरकार बौद्ध धर्म का किस समय भारत से चीन में प्रचार-प्रसार शुरू हुआ? इस का आज तक कोई निश्चिति जवाब नहीं मिल पाया है।पर चीनी ऐतिहासिक ग्रंथों के मुताबिक करीब ईसा पूर्व दूसरे वर्ष में एक भारतीय भिक्षु बौद्धसूत्रों के साथ चीन आए।ईसा की 5वीं से छठी शताब्दियों के दौरान चीनी राजाओं ने बौद्ध धर्म को इतना महत्व दिया कि उस ने राज्य धर्म का रूप ले लिया।और बौद्ध भिक्षु-भिक्षुणियों व मठों की संख्या क्रमश: कोई 40 लाख और 40 हजार तक जा पहुंची।10वीं शताब्दी में चीन में बौद्ध धर्म अपने चर्मोत्कर्ष पर था।उस वक्त चीन ने दुनिया के एक सब से समृद्धिशाली देश के रूप में पड़ोसी देशों जापान और कोरिया के बहुत से नौजवानों को अपनी ओऱ आकर्षित किया।वे चीन में पढ़ाई पूरी कर बौद्ध धर्म को स्वदेश वापस ले गए।19वीं शताब्दी के अंत तक चीन में बौद्ध धर्म का बोलबाला रहा।पर इस के बाद बौद्ध धर्म का प्रभाव कम होता चला गया।

एक जानकारी के अनुसार इस समय चीन के लगभग 13 हजार मठों में कोई 2 लाख भिक्षु-भिक्षुणियां रहते हैं।चीन का तिब्बत स्वायत्त प्रदेश बौद्ध भिक्षुओं और भिक्षुणियों की सघन आबादी वाला क्षेत्र है।बेशक वे लोग तिब्बती बौद्ध धर्म पर विश्वास करते हैं।और उन की संख्या चीन में तिब्बतियों की कुल जनसंख्या का 90 प्रतिशत बनती है।

सन् 1953 में चीनी बौद्ध धर्म संघ कायम हुआ,जो चीन के 14 बौद्ध धर्म प्रतिष्ठानों और चीनी राष्ट्रीय बौद्ध धर्म अनुसंधान शाला आदि बौद्ध धर्म से जुड़ी अकादमिक संस्थाओं का सर्वोच्च नेतृत्वकारी संगठन है।