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उत्तरी सुङ सरकार अपनी सेना और अफसरों की संख्या में लगातार वृद्धि करती रही, जिस से उसका सैनिक व प्रशासनिक व्यय बहुत बढ़ गया। इस के अलावा उत्तरी सुङ राजवंश को हर साल ल्याओ और पश्चिमी श्या को भेंटस्वरूप बहुत सी चांदी भी देनी पड़ती थी। परिणामस्वरूप , सरकार का सालाना खर्च उस की आमदनी से ज्यादा होता गया और वित्तीय मामलों में उस का हाथ ज्यादा से ज्यादा तंग होता गया। इसलिए वह जनता पर लगान व टैक्सों का बोझ लगातार बढ़ाती गई। किसानों का शोषण तीव्र से तीव्रतर हो गया।
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