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(GMT+08:00) 2005-01-11 14:13:03    
चीन का लोकउत्सव छीछाउ

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यह चाइना रेडियो इंटरनैशनल है। आज के इस कार्यक्रम में हम आज़मगढ़, उत्तर प्रदेश के मुहम्मद शाहिद आज़मी, ढ़ोली सकरा, बिहार के जसीम अहमद, सुनदर नगर, हिमाचल प्रदेश के मुनीश ठाकुर, कोआथ, बिहार के सुनील कुमार केशरी, डी डी साहिबा, संजय केशरी, सीताराम केशरी, एस के जिंदादिल, सीताराम केशरी, सोनू केशरी, राज कुमार केशरी, प्रियांका केशरी, किशोर कुमार केशरी, शिव कुमार केशरी और बिलासपुर, छत्तीसगढ़ के परस राम श्रीवास के पत्र शामिल कर रहे हैं।

इन श्रोताओं ने चीन के उत्सवों में बड़ी रुचि व्यक्त की है। उन्होंने पूछा है कि चीन के प्रमुख त्यौहार कौन से हैं तथा चीन का सब से बड़ा त्यौहार कौन सा है। उन्होंने चीन के प्रमुख त्यौहार के इतिहास की भी जानकारी चाही है। वे यह भी जानना चाहते है कि क्या चीन में भारत के रंगों के त्यौहार होली जैसा पर्व भी मनाया जाता है।

दोस्तो, आप सभी की इन जिज्ञासाओं को शांत करने की कोशिश हम आज के इस कार्यक्रम में कर रहे हैं।

चीनी पंचांग के अनुसार हर वर्ष के सातवें महीने का सातवां दिन छीशी या छीछ्याओ उत्सव कहलाता है। इसे लड़कियों का उत्सव माना जाता है।

उत्सव की रात को, स्वच्छ आकाश गंगा के दोनों किनारों पर चमकदार अल्टैयर व वीगा नजर आते हैं। पारंपरिक कथा के अनुसार ये तारे दंपति थे। स्वर्ग की महारानी की पोती चन्वी बहुत कोमल व बुद्धिमान लड़की थी। वह बहुत खूबसूरत भी। चन्वी ने पृथ्वी पर रहने वाले न्यूलांग नामक चरवाहे से प्रेम किया। न्यूलांग ने भी चन्वी से प्यार किया। चन्वी ने स्वर्ग से भाग कर न्यूलांग के साथ शादी रचाई। महारानी को चन्वी की न्यूलांग के साथ शादी होने की खबर मिली, तो उन्होंने चन्वी को स्वर्ग वापस बुलाने का आदेश दिया। न्यूलांग ने अपने दो बच्चों के साथ जाकर चन्वी से मिलने की कोशिश की। पर आकाश गंगा दोनों के बीच बाधा बन गयी। मुटरियां? दंपति के प्रति बहुत सहानुभूति रखती थीं और उसे मदद देने के लिए आकाश गंगा पर मंडराती एक पुल बन गईं। इस पुल के सहारे न्यूलांग चन्वी से मिला। आखिरकार महारानी ने हर वर्ष इस दिन दंपति को मिलने की अनुमती दे दी।

इस उत्सव की रात लड़कियां अंगूर की बेलों के नीचे अल्टैयर व वीगा को देखते हुए उन की कहानी याद करती हैं और वीगा से मनचाहा वर मांगती हैं।

हर वर्ष आठवें माह के 15 वें दिन चुंगछ्यू उत्सव मनाया जाता है। यह पर्व शरतकाल के मध्य में होता है। इस रात लोग दिये जलाते हैं, चांद की पूजा करते हैं,चंद्रदेव को मून केक व ताजा फल अर्पित करते हैं और सुन्दर चांदनी में मून केक का मजा लेते हैं। इस वक्त फसलें कटती हैं और मौसम बहुत सुहावना होता है। हर व्यक्ति अपने परिजनों के साथ यह दिन बिताना चाहता है। यदि वे घर वापस नहीं लौटते, तो चांदनी में उनके सुख की मनौती मानता है।

इस पर्व के पीछे भी एक कहानी है।कहते हैं, प्राचीन काल में होई नामक एक राजा था। उसकी पत्नी छांगअ बहुत सुन्दर थी। राजा उससे बहुत प्यार करता था। एक बार होई ने अपनी एक और महारानी से अमृत पाया। वे चाहते थे कि पत्नी के साथ मिल कर अमृत का सेवन कर अमर हो जायें। मगर एक आकस्मिक घटनावश छांगअ ने ही अकेले अमृत का सेवन किया और फिर सशरीर उड़ कर चांद पर उतर गई। चांद में बे नाम का एक पेड़ स्थित माना जाता है और इससे पूर्व चांद में उ कांग नामक देव रहते थे। इसीलिए लोग चांद की पूजा करते हैं और उसे मून केक व ताजा फल अर्पित करते हैं।

चीनी पंचांग के नौवें माह के नौवें दिन छुंगयांग उत्सव मनाया जाता है। इस पर्व को बूढ़ों का उत्सव माना जाता है। यह शरतकाल में होता है। इस दिन बूढ़े पर्वतारोहण करते हैं, गुलदाउदी के बागों की सैर करते हैं और गुलदाउदी से घिरे स्थानों में खानपान का मजा लेते हैं।

पर इन सभी पारंपरिक उत्सवों के अलावा चीन में सरकारी उत्सव भी होते हैं ।1 मई को अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस होता है और 1 अक्तूबर को राष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है।

चीन में अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस मनाने की शुरुआत शायद वर्ष 1918 में हुई। इस वर्ष पूर्वी चीन के शंघाई व सूचओ में अनेक क्रांतिकारी बुद्धिजीवियों ने लोगों को अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस की जानकारी देनी शुरू की। 1 मई, 1920 को, पेइचिंग, शंघाई, क्वांगचओ जैसे शहरों में मजदूरों ने सड़क पर आ कर जलूस निकाल कर यह उत्सव मनाना शुरू किया। 1949 के दिसंबर माह में नए चीन की सरकार ने 1 मई को सरकारी दिवस घोषित किया।

1 अक्तूबर, 1949 को, चीन लोक गणराज्य की स्थापना हुई। सरकार ने इस दिन को राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की।