003 जंगली हंस का धोखे में आना
जंगली हंस का धोखे में आना 上当的大雁
"जंगली हंस का धोखे में आना"को चीनी भाषा में"शांग तांग द ता यान"(shàng dàng de dà yàn) कहा जाता है। इसमें"शांग तांग द"एक विशेषण , जिसका मतलब है"धोखे में आना", जबकि"ता यान"जंगली हंस है।
दक्षिण चीन में एक विशाल"थाई हु"झील है, जब रात आती है, झील के तटों पर सफेद रंग के जंगली हंसों का एक झुंड आ कर रात गुज़राता है। वे सभी मिल कर किसी एक सुरक्षित स्थान में रहते हैं, ताकि शिकारी के निशाने से बच जाए। अपनी सुरक्षा के लिए सोने से पहले वे दल के एक सदस्य को पहरा देने के लिए चुनते हैं और जब कभी खतरे की आशंका हुई, तो वह पहरी राज हंस आवाज देते हुए सबों को चैतावनी देता है। इस प्रबंध के बाद दूसरे जंगली हंस निश्चिंत रूप से नींद से सो सकते हैं।
आहिस्ते आहिस्ते, शिकारी को जंगली हंस दल में पहरा देने के इस नियम का पता चला और उन्हें एक चाल सुझी। रात आई, शिकारियों ने झील के किनारे जहां जंगली हंस विश्राम कर रहे हैं, उससे कुछ दूरी पर आग जलाई, आग की रोशनी से चौंक कर पहरा देने वाले राज हंस ने गा-गा की आवाज देते हुए चैतावनी देना शुरू किया, एन मौके पर शिकारियों ने आग को बुझा डाला, जब सभी जंगली हंस चैतावनी की आवाज से जागे, तब उन्हों ने वहां बड़ी शांति पायी, कोई खतरे का आसार नहीं दिखा। वे फिर सो गए।
शिकारियों ने पुनः आग जलायी, पहरी हंस ने पुनः चैतावनी दी और सभी जंगली हंस पुनः जागे, पुनः स्थिति बड़ी शांति पायी गई, इस प्रकार ऐसा चार पांच हुए और परेशानी से सभी जंगली हंसों की नींद भी खराब हो गई, फिर भी ज़रा भी खतरा नहीं देखने को मिला, वे समझते हैं कि पहरा देने वाला हंस उन्हें धोखा दे रहा है, तो उन्हों ने मिल कर पहरी जंगली हंस की चोंच मार कर खूब मरम्मत की। पुनः वे गहरी नींद से सो गए। जब जंगली हंस दल गहरी नींद के सागर में डुबा, तो शिकारी मशाल उठाते हुए धीरे-धीरे उनके पास बढ़ने लगे, पहरा देने वाले जंगली हंस सबक खाना चुका है, इस समय उसे जल्दबाजी से चैतावनी की आवाज देने की हिम्मत नहीं आई, परिणामस्वरूप सभी जंगली हंस शिकारियों के हाथ में पड़ गए।
"जंगली हंस का धोखे में आना"यानी"शांग तांग द ता यान"(shàng dàng de dà yàn) शीषक नीति कथा से लोगों को यही शिक्षा मिल सकती है कि किसी जटिल स्थिति में लोगों को ठंडे दिमाग से काम लेना चाहिए, असली स्थिति का साफ़-साफ़ पता चलना चाहिए, ताकि किसी की चाल में ना फंस जाए। दूसरी तरफ़, यदि लोग अपना काम को सफल बनाना चाहते हैं, तो उन्हें इस काम का नियम अच्छी तरह जानना समझना चाहिए और उस नियम से लाभ लेने की कोशिश करना चाहिए, जैसा कि शिकारी ने किया था।
तीर कमान की परछाई से डर 杯弓蛇影
"तीर कमान की परछाई से डर"को चीनी भाषा में"पेइ कोंग श यिंग"(bēi gōng shé yǐng) कहा जाता है, इसमें"पेइ"मदिरा की कटोरी है, जबकि"कोंग"धनुष होता है, यानी"तीर का कमान"।"श"का अर्थ"सांप"है और"यिंग"का अर्थ"परछाई"। कुल मिलाकर कहा जाए, तो"पेइ कोंग शअ यिंग" हिन्दी में इसका अनुवाद है"मदिरा कटोरी में कमान की परछाई सांप बनी"।
बहुत पहले की बात थी, चीन के किसी शहर में ले-क्वांग (Lie Guang) नाम का एक अफसर रहता था, उसका एक अच्छा दोस्त था, जो अकसर उसके घर आए खाना खाता था और कपशप मारता था। लेकिन एक बार, बहुत लम्बा समय बीत चुका था, उसका वह दोस्त घर नहीं आया, अफ़सर को उसकी काफ़ी याद आई, वह उसका हालचाल पूछने, खुद दोस्त के घर पहुंचा, वहां उसने देखा कि दोस्त पलंग पर लेटे गंभीर बीमारी से पीड़ित रहा है, उसका चेहरा भी बहुत पीला पड़ा है।
अफ़सर को अब मालूम हुआ कि दोस्त गंभीर बीमारी पड़ा है, तो उसने दोस्त से बीमारी का कारण पूछा, पहले दोस्त ने बात को टालते हुए कारण बताना नहीं चाहा, बार-बार पूछने पर, दोस्त ने कहा:
"एक दिन आप के घर पर मदिरा पी रहा था, उस वक्त मुझे मदिरा प्याले में एक छोटा सा सांप तैरता हुए नज़र आया, सांप का रंग नीला था, शरीर के बीचोंबीच में लाल फुल जैसा धब्बा अंकित था। सांप देख कर मैं काफ़ी घबराया, मैं मदिरा पीना छोड़ना चाहता हूं, लेकिन आप ने बार-बार मुझ से मदिरा लेना कहा, शिष्टाचार के कारण मैंने आंखें बन्द कर इस प्याले का मदिरा, गले के नीचे डाल दिया। उसी समय से मुझे महसूस हुआ कि मेरे पेट में एक सांप रेंग रहा हो। उल्टी काफी आती है, खाना खाने का मन नहीं लगा। पिछले आधा महीने से ऐसी ही खराब सेहत में पड़ा रहा हूं।"
ले-क्वागं को दोस्त की बातों पर बड़ा ताज्जुब हुआ, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि सांप अखिरकार किस तरह मदिरा प्याले में घूस आया। लेकिन दोस्त ने साफ़-साफ़ कहा था कि उसने प्याले में सांप देखा है। आखिर असलियत क्या है?
वह इस प्रकार के सोच बुन में घर वापस आया।
घर के हॉल में वह घूमता टहलता इस आश्चर्य चकित बात पर सोच विचार कर रहा था, अनायास उसने दीवार पर लटकाए अपना तीर का कमान देखा, वह कमान नीले और लाल रंगों से रंगी हुआ है। क्या वह सांप इसी कमान की परछाई है, यही विचार ले-क्वांग के दिमाग में चौंध आया, वह तुरंत एक मदिरा प्याले में शराब डाल कर लाया और मेज़ पर रख कर उसे कई कोनों पर घूमाया, एक जगह पर उसने पाया कि दीवार पर लटकाए कमान की परछाई प्याले में पड़ गई, लहराते हुए शराब में वह परछाई देखने में बिलकुल एक तैरता हुआ सांप जान पड़ता है और उसका रंग भी नीला और बीच-बीच में लाल-लाल दिखा है।
ले-क्वांग उसी दिन अपने दोस्त को पालकी में बिठा कर घर ले आया, उसे पुनः उसी जगह पर बिठाया, जहां पन्दरह दिन पहले वह बैठा था, उसके सामने पहले की वही मेज रखी गई और पहले की उसी प्याले में मदिरा डाला गया। उसने दोस्त से कहा:"अब देखो, प्याले में क्या है?"
दोस्त ने सिर झुका कर देखा, तुरंत चिल्लाते कहा:"सांप, सांप। वही नीला
और लाल रंग का सांप।"
ले-क्वांग ऊंजी आवाज़ में हंसते हुए दीवार की ओर इशारा किया:"देखो, दीवार पर देखो, वह क्या है।"
दोस्त ने दीवार पर लटकाए कमान पर गौर करने के बाद फिर प्याले में तैरता सांप पर नज़र डाली, अनायास उसे समझ में आया, इसी वक्त उसकी परेशानी एकदम मिट गई और पूरी तरह निश्चिंत हो गया। बेशक उसकी बीमारी भी दूर हो गई।
"तीर कमान की परछाई से डर"यानी"पेइ कोंग श यिंग"(bēi gōng shé yǐng) कहानी लोगों को बताती है कि झूठ और बाहरी शंका से दूर रहो, अकारण किसी पर संदेह न करो, असली बात का पता लगाओ, इस प्रकार भी तरह के धोखे से बचा जा सकता है।