अफ्रीका में कोविड-19 महामारी ने स्थानीय पर्यटन उद्योग पर बहुत प्रभाव डाला है
अफ्रीका में कोविड-19 महामारी ने स्थानीय पर्यटन उद्योग पर बहुत प्रभाव डाला है। चूंकि अफ्रीका के संरक्षण क्षेत्र आम तौर पर पर्यटन उद्योग पर निर्भर रहते हैं, महामारी के फैलाव से अवैध शिकार की कार्यवाई ज्यादा होगी।
जोन तनुई उत्तरी केन्या के लेवा वाइदलाइफ़ वन्यजीव संरक्षण क्षेत्र के एक सुरक्षाकर्मी हैं। केन्या में 12 प्रतिशत काले गैंडे इस संरक्षण क्षेत्र में रहते हैं। तनुई का घर संरक्षण क्षेत्र में है। यहां काम करते हुए दस से ज्यादा साल हो चुके हैं। कोविड-19 के प्रकोप से आर्थिक विकास की परिस्थिति बहुत गंभीर हो गयी। कुछ सुरक्षाकर्मियों ने नौकरी खोयी है। तनुई की नजर में बेरोजगार ये लोग संभवतः वन्यजीव का अवैध शिकार करेंगे और गैरकानूनी बिक्री भी करेंगे। उन के मुताबिक,कोविड-19 के प्रकोप से संरक्षण क्षेत्र में अवैध शिकार की धमकी भी बढ़ती रही है। हाथी, राइनो और भैंस आदि पाँच जानवरों के लिए खतरनाक है। एक बार सुरक्षाकर्मी नौकरी खोते हैं, तो वे कमाई करने के लिए शेर का शिकार भी करेंगे, साथ ही वे संभवतः एक हाथी या भैंस का शिकार कर भी बाहर बेचेंगे।
पर्यटन केन्या का स्तंभ उद्योग है, साथ ही प्राकृतिक संरक्षण क्षेत्रों का प्रमुख आमदनी स्रोत भी है। केन्या में हर साल करीब 15 लाख पर्यटक यात्रा के लिए आते हैं, जिन में 70 से 80 प्रतिशत पर्यटक राष्ट्रीय पार्क और प्राकृतिक संरक्षण क्षेत्रों में यात्रा करेंगे। इससे पहले केन्या के पर्यटन मंत्री ने कहा कि उस देश में पर्यटन उद्योग की आमदनी 1.6 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंची है, लेकिन इस साल पर्यटन उद्योग की आमदनी में भारी गिरावट आएगी और यहां तक कि शून्य होने की भी संभावना है।
शिंबा कई सालों से केन्या में वन्य जीव के संरक्षण कार्य में लगे हुए हैं। साथ ही वे मरा वन्य जीव संरक्षण कोष के संस्थापक भी हैं। शिंबा ने कहा कि पर्यटन उद्योग पर झटका आने की वजह से स्थानीय लोगों की आमदनी में गिरावट आयी है। इसलिए प्राकृतिक संरक्षण क्षेत्र में अवैध शिकार की कार्यवाई तीव्र हो रही है। उन के मुताबिक,महामारी से अफ्रीका के कई देशों में पर्यटन उद्योग आम तौर पर नष्ट हो गया है। जबकि वन्य जीव संरक्षण क्षेत्र पर्यटन उद्योग पर निर्भर है। पर्यटन उद्योग के बीना अनेक संरक्षण क्षेत्र भी गायब होंगे, यहां तक चरवाहा क्षेत्र में बदलेंगे। गश्ती कर्मचारियों के वेतन को भी सुनिश्चित नहीं किया जा सकता। आमदनी में गिरावट होने की वजह से अनेक लोगों को विवश होकर अवैध चराई या अवैध शिकार करना होगा।
इससे पहले अंतर्राष्ट्रीय प्राकृतिक संरक्षण संघ ने चेतावनी दी कि महामारी के प्रकोप के बाद के दो महीनों में केन्या और कंबोडिया आदि देशों में हाथी दाँत या वन्य जीव के अवैध शिकार व बिक्री की कार्यवाई और बढ़ेगी।
शिंबा का मानना है कि इस परिस्थिति के सामने सरकार को प्राकृतिक क्षेत्र के आसपास के लोगों के लिए आमदनी के नये स्रोत की रचना करनी चाहिए। जबकि जोन तनुई के लिए उन की सब से बड़ी आशा है कि महामारी जल्द ही खत्म होगी, ताकि पर्यटक पुनः केन्या में वापस लौट सकें।