चीन की अर्थव्यवस्था को किस तरह का नुकसान पहुंचाएगा कोरोना वायरस
प्रचीन चीन में एक दंतकथा प्रचलित थी। बहुत समय पहले न्येन नामक एक राक्षस था। जो नये साल की पूर्व संध्या में बाहर जाकर लोगों को नुकसान पहुंचाता था। इसलिए नये साल की पूर्व संध्या में लोग अकसर घर में छिप जाते थे। जबकि नये साल के पहले दिन सब लोग बाहर आकर पटाखे छोड़ते थे और एक दूसरे को न्येन के नुकसान से बचने के लिए बधाई देते थे।
2020 का नव वर्ष इस दंतकथा में की तरह हो गया है । वह 2019 नये कोरोना वायरस में बदलकर चीन के वुहान शहर में आया और पूरे चीन तथा आसपास के देशों में फैलने लगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का ध्यानाजनक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात घटना घोषित की। फिर 63 देशों ने चीन में प्रवेश करने पर पाबंदी लगायी। कब चीनी लोग पटाखे छोड़कर एक दूसरे को इस वायरस से बचाने को बधाई दे सकते?विश्व इस पर नजर रखता है।
निसंदेह यह विश्व के अर्थतंत्र से संबंधित है। इस बार की महामारी ने चीन पर बड़ा असर डाला है। 2003 में चीन में सार्स वायरस फैला था, जिससे उस साल चीन की दूसरी तिमाही की आर्थिक विकास दर पहली तिमाही की तुलना में 2 प्रतिशत की कटौती आयी थी। विश्व के अर्थतंत्र को भी करीब 40 अरब अमेरिकी डॉलर का नुकसान पहुंचा था। लेकिन 2003 में चीन का जीडीपी सिर्फ़ 1.66 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर था, जो विश्व के छठे स्थान पर था और विश्व का करीब 4 प्रतिशत था। विश्व के अर्थतंत्र से चीन का कम संबंध था। लेकिन आज की स्थिति अलग है। चीन विश्व की दूसरी बड़ी आर्थिक इकाई है। चीन का जीडीपी विश्व के 16 प्रतिशत तक पहुंच गया है। जब चीन छींकता है, तो कई देशों को ठंड लग जाती है। उदाहरण के लिए चीन और अमेरिका ने दो साल का व्यापारी युद्ध किया और चीन का जीडीपी 2017 के 6.9 प्रतिशत से 2019 के 6.1 प्रतिशत तक कम हुआ। जबकि निर्यात प्रमुख दक्षिण कोरिया की आर्थिक वृद्धि दर 3.1 प्रतिशत से 2 प्रतिशत तक कम की गयी। उद्योग ढांचे पर निर्भर सिंगापुर की आर्थिक विकास दर 3.9 प्रतिशत से 0.7 प्रतिशत तक कम की गयी है।
विभिन्न निवेश संस्थाओं और आर्थिक थिंक टैंक ने चिंता प्रकट की कि चीन में आर्थिक विकास की दर में कमी आने से विश्व अर्थतंत्र पर बड़ा असर पड़ सकेगा। मूडीज के मुताबिक चीनी उपभोक्ताओं और प्रोसेसिंग उत्पादों पर निर्भर विदेशी उत्पादों और सेवा विभागों को भारी क्षति पहुंचेगी। स्टैंडर्ड एंड पूअर्स का भी यह मानना है कि यदि महामारी व्यापक रूप से फैलती है, तो यह एशियाई देशों के आर्थिक विकास और सरकारी वित्तीय व्यवस्था को नुकसान पहुंचा सकती है। चीनी सामाजिक व वैज्ञानिक अकादमी के अर्थशास्त्रियों का मानना है कि इस साल चीन के जीडीपी की विकास दर में 1 प्रतिशत की कटौती आएगी। जबकि आईएमएफ का मानना है कि अभी यह कहना जल्दबाज़ी की बात है कि महामारी चीनी अर्थतंत्र पर किस तरह का असर डालेगी। कारण यह है कि इस सवाल की कुंजीभूत बात है कि चीन कितने समय में इस महामारी पर काबू पा सकता है।
अंतर्राष्ट्रीय चिकित्सकों और विद्वानों ने इस महामारी के प्रति निराशा प्रकट की। हालांकि इस महामारी की मृत्यु दर सार्स से कम है, फिर भी सार्स की तुलना में वह और आसानी से फैलती है। चीन की स्थानीय सरकार पहले ही इसे नियंत्रित करने में असमर्थ थी, जिससे महामारी पूरे देश में फैलने लगी। लेकिन इस बार चीन की केंद्र सरकार ने बहुत सख्त कदम उठाये हैं और महामारी का मुकाबले करने में हरसंभव प्रयास किया। यह भी अभूतपूर्व है।