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13-12-15
2013-12-16 18:33:58
चीन के उत्तर पश्चिम के खूबसूरत प्रांत निंगशा को करीब से देखने का आज मेरा दूसरा दिन था ।यों तो इस की राजधानी युन छ्वांग बहुत बडी नहीं है ,लेकिन अपने छोटे से क्षेत्रफल में ही ढेर सारी ऐतिहासिक और पुरातात्विक यादों को समेटे हैं ।सुबह ही हम विजेताओं की टीम भीड भाड रहित क्षेत्रों से होते हुए चेनपेइपू पश्चिमी चीन फिल्म स्टूडियो पहुंच गये ।पहली नजर में तो लगा कि हम किसी खंडहर में आ गये हैं ।लेकिन जैसे जैसे आगे बढते गये ,तो मेरी आंख खुली की खुली रह गयी ।यह पूरा स्टूडियो इतने बडे क्षेत्रफल में फैला हुआ है कि एक छोटा पुराना शहर प्रतीत होता है ।देर सारी ऐतिहासिक यादों को समेटे इस स्टूडियो की स्थापना 1993 में चीन के सब से लोकप्रिय लेखक च्यांग श्यांग ल्यांग ने की थी ।आश्चर्य तो तब हुआ ,जब मैं ने हिंदी फिल्म जगत के जाने माने कलाकार राजकपूर की एक फिल्म स्टोरी पर तैयार सचित्र छोटी किताब देखी ।वास्तव में यह स्टूडियो न सिर्फ एक संग्रहालय है ,बल्कि एक फिल्म और टेलीवेजन कार्यक्रम तैयार करने के लिए पश्चिमी चीन का सब से बडा सीनरी स्पाट भी है ।यहीं पर एक पुराचीन पश्चिमी चीन का आपेरा भी देखने को मिला ,जो पश्चिमी चीन के फिल्मी दुनिया की शुरुआती दौर का था ।इस स्टूडियो में जो बढई ,लोहार ,सुनार और अन्य रोजगार करने वाले पुराने व्यवसायों को देखा और उस पुराने दौर की याद अनायास हो आयी ।इस पुराने स्वयंवर भी देखने को मिला और साथ में भारत की तरह वधू को ले जाने वाली डोलियां भी देखने को मिली ।यह सब देखकर सचमुच मुझे बहुत खुशी हुई ,क्योंकि इतनी सारी चीजें एक ही स्थान पर देख पाना संभव नहीं ।

इस स्टूडियो की यादों को संजोने के बाद हमारी टीम हलानशान राक संग्रहालय पहुंच गयी ।यह संग्रहालय दो भाग में बंटा है ।पहले भाग में विश्व की बहतरीन पत्थरों पर की गयी प्राचीन चित्रकारी प्रदर्शित है ,तो दूसरे भाग में चीन के पत्थरों पर लगभग 20 से 30 हजार साल पुराने चित्रकारी को दर्शाया गया है ।हम हलानशान पहाड पर गये ,जहां पर प्रत्यक्ष रूप से हम ने हजारों साल पुरानी पत्थरों पर अंकित प्राचीन चित्रकारी देखी ,जिसे देखकर महसूस हुआ चीन के लोग प्राचीन काल से ही चित्रकारी के माध्यम से अपने भावनाओं को एक दूसरे तक पहुंचाते थे ।

इन छ्वांग का तापमान आज बहुत कम था ।जगह जगह पानी यहां तक कि प्रसिद्ध पीनी नदी भी जमी हुई थी ।रात के भोज के बाद एक बार फिर हम इन छ्वांग की सडकों पर निकले ।जगह जगह स्थानीय भोजन बेचने वाले लोगों को देखकर भारत के खोमचे की याद आ गयी ।लेकिन यहां के खोमचे वाले थोडे आधुनिक किस्म के हैं और उन्हें लगाने वाली ज्यादादर महिलाएं और लडकियां हैं ।इस से महसूस हुआ कि यहां स्त्रियां अपने आप को काफी सुरक्षित महसूस करती है ।

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