90 के दशक में पैदा हुई भारतीय लड़की भार्गावी विश्वनाथ, पेइचिंग नार्मल विश्वविधालय में चीनी कक्षा के तीसरे वर्ष की छात्रा है। उनके पिता के कामकाज़ की वजह से, वह 8 वर्ष की आयु में अपने पिता के साथ चीन आई थी। भारत के तमिलनाडु प्रांत के चेन्नई शहर में जन्मी वह काफी अच्छी और फर्राटेदार चीनी भाषा बोल सकती है। चीनी संस्कृति को और अच्छे से जानने के लिए, अपने पिता की बात मानकर चीनी भाषा एवं संस्कृति को अपना मुख्य विषय अपनाकर विश्वविधालय में प्रवेश लिया।
'मेरा मुख्य विषय चीनी भाषा एवं संस्कृति है। हमारे मुख्य विषयों में तीन विषय है:वित्त, शिक्षा एवं संस्कृति। मैने उस समय संस्कृति विषय का चुनाव किया था। चीन आने से पहले, मेरा चीनी भाषा पढने का कभी विचार नही था। परन्तु मेरे पिता ने सलाह दी कि मुझे चीनी संस्कृति को जानना चाहिए। पहले चीनी भाषा पर अच्छे से पकड़ बनाओं, उसके बाद कोई मुख्य विषय का चयन करो।'
जैसा कि सभी जानते है कि यदि किसी एक देश को जानना है तो, उस देश की भाषा सीखनी चाहिए, जो यह एक शार्टकट रास्ता है। क्योंकि यदि आप उस स्थानीय भाषा को समझते है, तो सड़कों पर लिखे अक्षरों को भी पढ सकते है। आप उस जगह की आम जीवन में मिल जाएंगे।
चीन में उनके जीवन की बात करें, तो वह अब थोडी शर्मीली से बदल कर खुब बातचीत करने वाली बन गई है। उनका मानना है कि विश्वविधालय की कक्षा एक इण्टरनेशनल फैमली की तरह है, बिल्कुल एक छोटे से संयुक्तराष्ट्र की तरह।