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आजकल चीन में एक नया मुहावरा, पिन मा, जिसका मतलब है "माताओं के बीच प्रतियोगिता", चीनी माता- पिता के बीच बहुत लोकप्रिय हो गया है। लेकिन एक और बहुत ही पुराना मुहावरा है, पिन डाई (die), इसका मतलब है "पिता के धन और शक्ति की प्रतियोगिता '" पिन मा प्रतीक है, माताओं की प्रतियोगिता का "अपने बच्चों की शिक्षा के विचारों को लेकर और उनकी क्रूरता (toughness)" तो यहाँ पिन डाई वाले मुहावरे में भी मार्डन तड़का लगाकर उसे पिन मा बना दिया है।
चीनी परिवारों में हमेशा से प्रतिस्पर्धा ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिसमें बच्चों की शिक्षा को प्राथमिकता दी जाती है, लेकिन अब एक अतिरिक्त तत्व जुड़ गया है: मम्मियों के बीच प्रतियोगिता। आज बहुत से लोग यह मानते हैं कि स्कूलों में बच्चों की सफलता या विफलता केवल माँ पर निर्भर करती है। जिसका मतलब यह हुआ कि जो माँ अपनी पूरी ताकत बच्चे को अधिक समय देने में निवेश करती है तो उसके बच्चों के पढ़ाई में सफल होने की संभावना अधिक है।
आज के समाज में, एक बच्चे की शिक्षा, बहुत बड़ी हद तक, अपनी माँ पर निर्भर करती है। माताओं के बीच प्रतियोगिता तब से शुरू हो जाती है जब से बच्चे प्राथमिक स्कूल में प्रवेश करते हैं, कहीं-कहीं तो किंडरगार्टन(बालवाड़ी) में ही शुरू हो जाती है। मेहनती माँ वह है, जो अपने बच्चों की पढ़ाई में किस तरह प्रदर्शन कर रहे हैं पता लगाती हैं और यहाँ तक कि उन्हें घर पर एक गाइड और शिक्षक की तरह उनका मार्गदर्शन करती हैं।
ऐसी माताएँ अक्सर अपने बच्चों के परीक्षा स्कोर(अंक) पर शिक्षकों और अन्य माता-पिता के साथ संवाद और चर्चा करती हैं। कुछ अपने बच्चों की मदद करने के लिए संदर्भ पुस्तकों से परामर्श लेती हैं। उनमें से कई अपने बच्चों के दोस्त बनाने में मदद करती हैं और यहाँ तक की कुछ मामलों में तो, उनके बच्चों को किस सहपाठी के साथ खेलना चाहिए यह निर्णय भी मम्मियाँ लेती हैं। एक "अच्छी माँ" जिम्मेदार, देखभाल करने वाली(caring) और विचारशील पैरेंट है, उसके साथ पूर्णकालिक अनुरक्षण(फ़ूल टाइम एस्कार्ट), शिक्षक और यहां तक कि ओवरसियर तक होने की उम्मीद रखी जाती है।
आज की माताओं द्वारा अपने बच्चे की पढ़ाई में दिखाई जाने वाली बेमिसाल रूचि और प्रयास बदलते सामाजिक मानसिकता को दर्शाती हैं। चीनी लोगों के जीवन स्तर में हाल के वर्षों में उल्लेखनीय सुधार हुआ है, एकल बच्चों के परिवार अपने बच्चों की शिक्षा को लेकर बहुत संवेदनशील हो गए हैं। आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक तत्व एक बच्चे के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और सभी माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे अच्छी से अच्छी शिक्षा प्राप्त करें लेकिन केवल कुछ ही इसका खर्च उठा पाते हैं। बहुत से आम माता-पिता विश्वास करते हैं कि वे व्यक्तिगत रूप से अपने बच्चों का मार्गदर्शन कर और उन्हें पढ़ाकर प्रतियोगिताओं में सफल कर अपने संसाधनों की कमी दूर कर सकते हैं।
क्या आपको नहीं लगता कि शिक्षा, केवल, परीक्षा में उच्च अंक हासिल करने और शीर्ष विश्वविद्यालयों में भर्ती होने के बारे में ही नहीं है। यह एक सुदृढ़ व्यक्तित्व, सकारात्मक मानसिकता और स्थितियों के बदलने के साथ सामना करने की क्षमता विकसित करने के बारे में भी है। इसलिए अपने बच्चों की पढ़ाई पर बहुत ज्यादा ध्यान देकर, कई माताएँ और (पिता) उनके सर्वांगीण विकास को अनदेखा कर रहे हैं जो आज के समाज की सबसे बड़ी मांग है।
इसलिए, माताओं को उनके बच्चे के स्कोर में सुधार करने की कोशिश में अपना पूरा समय और ऊर्जा खर्च की तुलना में अपने बच्चों के सर्वांगीण विकास पर अधिक ध्यान देना चाहिए। उन्हें एक स्वस्थ पारिवारिक माहौल बनाना चाहिए, माता-पिता के साथ बच्चे का रिश्ता सुचारू बनाएँ और अपने बच्चों के साथ एक भावनात्मक रिश्ता स्थापित करें। और माताओं को याद रखना चाहिए कि ज्यादा लाड-प्यार से वे अपने बच्चों को बिगाड़ भी सकती हैं।
आज "माता - पिता के बीच प्रतिस्पर्धा" के बजाय "माताओं के बीच प्रतियोगिता" पर ज्यादा जोर दिया जाता है, जिस कारण माताओं पर बच्चों की शिक्षा की जिम्मेदारी का बोझ है जिसका कि चीनी परंपरा के साथ बहुत कुछ लेना-देना है। पुराने समय में पति परिवार के लिए धनोपार्जन करते थे जबकि पत्नियाँ घर का ख्याल रखती थीं, इस तरह बच्चों की शिक्षा को मुख्य रूप से मां की जिम्मेदारी के रूप में माना जाता था। लेकिन अब समय बदल गया है और परिवार में भूमिकाएँ भी।
आज समाज में लैंगिक समानता को व्यापक स्वीकृति मिल गई है। कई महिलाएँ परिवार में अपने पति की आय की पूरक हैं, कुछ तो अपने पति से भी अधिक कमाती हैं। एक व्यक्ति के रूप में आज के समाज में माँ की भूमिका निभाना एक महिला के लिए कई भूमिकाओं में से एक है। अन्य बातों के अलावा, वे परिवार के वित्तीय बोझ को बाँट रही हैं और नौकरी के साथ आने वाले दबाव को भी सहन कर रही हैं। इसलिए उन्हीं के कंधों पर बच्चों की पढ़ाई का पूरा बोझ डालना सही नहीं है।
इसके अलावा, एक बच्चे की परवरिश में पिता की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है, जो वह केवल खेलकर बच नहीं सकते हैं। जिन परिवारों में माता-पिता अपने बच्चों की शिक्षा की जिम्मेदारी को बाँटते हैं जो समझते है कि अनुकूल सामंजस्यपूर्ण वातावरण बच्चों के स्वस्थ विकास के लिए महत्वपूर्ण है। जो पिता अपने बच्चों की परवरिश में पर्याप्त रुचि नहीं लेते हैं, वे पिता अपने बच्चे के स्वस्थ विकास को कमजोर बना रहे हैं।
भले ही एक अच्छी माँ "एक अच्छे शिक्षक से बेहतर" होनी चाहिए, लेकिन उससे अपने बच्चे के लिए ऑफ्टर स्कूल शिक्षक बनने की उम्मीद नहीं की जानी चाहिए। वास्तव में, एक अच्छी माँ को एहसास होना चाहिए कि उसके बच्चे के लिए वास्तव में अच्छा क्या है और पूरा समय अपने बच्चे के परीक्षा के स्कोर सुधारने के बजाय, यह कोशिश करनी चाहिए कि उसका ओवलऑल स्वस्थ विकास हो। तो ये है आज का आधुनिक चीनी परिवार जहाँ एक ही बच्चा तो उससे जुड़े नखरे भी हज़ार। अब एक ही है तो जाहिर है आँखों का तारा भी यही होगा। लेकिन अपने सपने, अपनी अपेक्षाएँ उस बेचारे मासूम पर न थोपें। उसे उसकी जिंदगी जीने दें।
और अब चलिए, आप अपना मुँह खोलिए, चलिए-चलिए, जीभ बाहर निकालें। जल्दी-जल्दी। आप सोच रहे होंगे, ये आज न्यूशिंग स्पेशल में क्या हो रहा है। अरे भई, जब आप डॉक्टर के पास जाते हैं तो सबसे पहले वे आपसे मुँह खोलकर जीभ दिखाने के लिए ही तो कहते हैं न। जानते हैं ऐसा क्यों, क्योंकि आपकी जीभ आपकी सेहत का राज़ डॉक्टर के सामने खोल कर रख देती है। कैसे.......?
आपको जानकर हैरानी होगी कि आपकी जीभ न सिर्फ स्वाद का पता लगा सकती है बल्कि आपकी सेहत का राज भी बता सकती है। जी हां, चीनी चिकित्सा और नैचुरोपैथी में जीभ का संबंध शरीर के कई हिस्सों से माना गया है। यानी आपकी जीभ का रंग, त्वचा और नमी के आधार पर आपके स्वास्थ्य का पता लगाया जा सकता है।
आइए जानें, क्या कहती है आपकी जीभ के कौन से लक्षण आपकी सेहत का राज खोलते हैं।
सबसे पहले बात करते हैं जीभ के रंग की
अगर आपकी जीभ का रंग फीका लग रहा है तो नैचुरोपैथ के अनुसार यह शरीर में हिमोग्लोबिन की कमी हो सकती है, जिससे आरबीसी की संख्या कम हो जाती है। वहीं चीनी चिकित्सा में माना गया है कि यह फेफड़े की समस्या का संकेत हो सकता है।
जीभ अगर बहुत अधिक लाल रंग की है तो हो सकता है कि शरीर में विटामिन बी और आयरन की कमी हो। चीनी चिक्तिसा में इसे आंतों की गर्मी का संकेत मानते हैं।
जीभ का रंग अगर इतना गाढ़ा हो जाता है कि दूर से देखने पर बैंगनी रंग का प्रतीत होता है तो हो सकता है आप हाई कोलेस्ट्रॉल के मरीज हों। ब्रोंकाइटिस की स्थिति में भी ये लक्षण दिखते हैं। चीनी चिकित्सा के अनुसार, जीभ का यह रंग शरीर में सही तरह से रक्त संचार न हो पाने का संकेत हो सकता है।
अब बात करते हैं जीभ की त्वचा के बारे में
अगर जीभ की त्वचा पर लाल या गाढ़े गुलाबी रंग के चकत्ते दिख रहे हैं तो नैचुरोपैथ के अनुसार यह शरीर में विटामिन सी में पाए जाने वाले बायोफ्लेवोनॉयड्स की कमी का संकेत हो सकता है जिससे मसूड़ों की समस्या हो सकती है।
चीनी चिकित्सा के अनुसार, यह एक्जिमा या दमा जैसे रोगों के लक्षण हो सकते हैं।
अब बारी आती है जीभ की नमीं की
अगर जीभ पर नमीं कम है तो इसकी वजह सलाइवा ग्लैंड में सूजन हो सकती है। नौचुरोपैथ इसकी वजह स्ट्रेस को मानता है। वहीं चीनी चिकित्सा के अनुसार, इसका कारण रक्त में शर्करा की मात्रा बढ़ जाना है।
अब बारी है जीभ पर सफेद रंग की परत की
जीभ पर सफेद रंग की पतली परत अगर है तो यह सेहतमंद होने का संकेत है लेकिन अगर यह परत मोटी होती है और रंग गाढ़ा सफेद होता है तो यह बैक्टीरियल संक्रमण का संकेत हो सकती है।
चीनी चिकित्सा के अनुसार यह पाचन तंत्र में गड़बड़ी की वजह हो सकती है। चलिए, अब आप भी आइने के सामने खड़े हो खुद को जीभ दिखाएँ और जानें की आपकी जीभ आपकी सेहत के राज़ कैसे खोलती है। और रखें अपनी जीभ और सेहत दोनों का ख्याल। और अपने ख्यालों में इतना ना खो जाना कि हमें ही भूल जाएँ। तो हमें यह बताना ना भूलिएगा कि आपको हमारा आज का न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम कैसा लगा। हम बेसब्री से इंतज़ार करते हैं आपके ई-मेल, पत्रों और फोन कॉल का।
श्रोताओं, आपको हमारा न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम का यह क्रम कैसा लगा। हम आशा करते हैं कि आपको पसंद आया होगा। आप अपनी राय व सुझाव हमें ज़रूर लिख कर भेजें, ताकि हमें इस कार्यक्रम को और भी बेहतर बनाने में मदद मिल सकें। क्योंकि हमारा न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम आप से है, आप के लिए है, आप पर है। इसी के साथ हमारा न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम यहीं समाप्त होता है। आप नोट करें हमारा ई-मेल पताः hindi@cri.com.cn । आप हमें इस पते पर पत्र भी लिख कर भेज सकते हैं। हमारा पता हैः हिन्दी विभाग, चाइना रेडियो इंटरनेशनल, पी .ओ. बॉक्स 4216, सी .आर .आई.—7, पेइचिंग, चीन , पिन कोड 100040 । हमारा नई दिल्ली का पता हैः सी .आर .आई ब्यूरो, फस्ट फ्लॉर, A—6/4 वसंत विहार, नई दिल्ली, 110057 । श्रोताओ, हमें ज़रूर लिखयेगा। अच्छा, इसी के साथ मैं हेमा कृपलानी आप से विदा लेती हूँ इस वादे के साथ कि अगले हफ्ते फिर मिलेंगे।
तब तक प्रसन्न रहें, स्वस्थ रहें। नमस्कार