इन दिनों चीन में गर्मियों का मौसम है, और गर्मी भी पड़ती है, लेकिन इंडिया के मैदानी इलाकों जैसी कतई नहीं। हफ्ते में एक-दो बार इंद्र देवता मेहरबान हो ही जाते हैं, और मौसम खुशगवार। इसी सुहाने मौसम और ड्रैगन ईयर में शादियों का भी खूब ज़ोर है। चीन के किसी भी शहर में चले जाइए, मैरिज पार्टी में शामिल हो रहे मेहमानों की भीड़ नज़र आएगी। हालांकि यहां भारत की तरह न कोई बैंड बाजा होता है और न शहनाई बजती है, फिर भी शादी को लेकर लोगों में उत्साह बिल्कुल भी कम नहीं होता। बताते हैं गांवों में विवाह के मौके पर बैंड या ढोल जैसे वाद्य यंत्र बजाए जाते हैं, पर शहर में नहीं। हां पटाखे जरूर छोड़े जाते हैं, पटाखों का शोर या तो त्यौहारों के मौकों पर सुनाई देता है या फिर शादी की दावत के वक्त। दावत कहने का मतलब ये है कि अगर दूल्हा-दुल्हन अलग-अलग शहर के होते हैं तो उन्हें दो-दो बार पार्टी देनी पड़ती है, एक बार दूल्हे के गृह नगर में और एक बार दुल्हन के। यदि वे किसी तीसरे शहर में जॉब करते हैं तो, तीसरी पार्टी भी बनती है।
यह साल ड्रैगन ईयर है और इसमें शादी करना शुभ माना जाता है। शहरों में होटलों व बैक्वट हॉलों के नज़दीक से गुजरने पर अहसास हो जाता है कि विवाह की पार्टी चल रही है। अब तक ऐसी किसी शादी में शामिल होने का मौका तो नहीं मिल पाया है, उम्मीद करता हूं कि आने वाले समय में किसी चीनी विवाह को देखने का अवसर ज़रूर मिलेगा। चीन के शहरों की शादियां तो पूरी तरह आधुनिक होने लगी हैं, लेकिन मेरे दिल में किसी दूर-दराज के इलाके में जाकर पारंपरिक चीनी विवाह में शिरकत करने की ख्वाहिश है।
वैसे शादियां न सिर्फ ड्रैगन ईयर के दौरान होती हैं, बल्कि वसंत त्यौहार, मई दिवस व राष्ट्रीय दिवस आदि मौकों पर भी वैवाहिक बंधन में बंधने का चलन है। पर चीनी लोगों की कल्पनाओं में ड्रैगन काफी शक्तिशाली होता है और अक्सर उसे चीन के प्रतीक के रूप में भी देखा जाता है। ड्रैगन ईयर में जन्म लेने वाले बच्चों को भाग्यशाली माना जाता है। इसलिए आजकल लोग अपने घर में नए मेहमान के आने का भी इंतजार कर रहे हैं। ड्रैगन ईयर में पैदा होने वाले बेटे को राजा के समान प्रभावशाली बताया जाता है। जबकि वेटी की चाह रखने वालों के लिए भी खुशी का मौका होता है, और उसे मोर जैसे पक्षी फंग ख्वांग के समान माना जाता है। यहां बता दें कि चीन में 12 वर्षों का चक्र होता है और हर एक पशु(एनीमल) के नाम पर वर्ष का निर्धारण होता है। यानी अगला ड्रैगन ईयर 12 वर्ष के बाद आएगा। ऐसे में जाहिर है कि शादी करने के साथ-साथ लोग बच्चों को जन्म देने के लिए भी योजना बनाकर रखते हैं। हालांकि ड्रैगन के अलावा टाइगर व पिग ईयर को भी शुभ माना जाता है।
यहां बता दें कि तेजी से आधुनिक हो रहे चीन में कई मायनों में अब भी परंपराएं बरकरार हैं। बात चाहे नव वर्ष मनाने की हो या फिर ड्रैगन बोट फेस्टिवल और अन्य दूसरे त्यौहारों की, लोगों का उत्साह देखने लायक होता है, हां और मैं भी इन सब मौकों पर उत्साहित रहता हूं, एक तो हमें ऑफिस से छुट्टी मिल जाती है, दूसरा इन परंपरागत त्यौहारों के बारे में जानने और समझने का अवसर।
अंत में श्रोताओं व पाठकों से यही कहना है कि, भारत के परंपरागत त्यौहारों व शादियों को लेकर, आप क्या सोचते हैं ?
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अनिल आज़ाद पांडेय