पतली-दुबली काया,इंद्रधनुषी स्कर्ट,कानों तक छोटे बाल,हल्के नीले नाखून,ये सब ई मी-ई नामक एक कवियत्री से जुड़े हैं।इस वर्णन से आप को किसी समुद्री लहरों व हवा का आभास होता है ना?वाकई बहुत सुन्दर है।
ई मी-ई सानया की एक कवियत्री हैं।वास्तव में वर्ष 2000 तक वह चीन के किसी दूसरे शहर में रहती थीं। सानया चीन के दक्षिणी छोर पर स्थित सब से बड़ा शहर है। वर्ष 2000 में जब ई मी-ई पहली बार सानया आई ,तो उन्हें बड़ी निराशा हुई। उस समय सानया आर्थिक मंदी से पीड़ित था। उस के समुद्रतट पर बहुत सी अधूरी इमारतें खड़ी हुई थीं और समुद्र तट पर इक्का-दुक्का फेरीवाले चिल्लाते हुए दिखाई दिए। चारों तरफ मंदी का माहौल था।लेकिन कई दिनों तक इस शहर में ठहरने के बाद ई मी-ई उस के पवित्र समुद्र से गहन रूप से प्रभावित हुईं और उसे उस से लगाव होने लगा। अंत में उन्होंने इस शहर में बसने का फैसला कर लिया।
एक दशक बीत गया है। आज का सानया बिल्कुल पहले जैसा नहीं है। समुद्रतट पर करीने से खड़े हुए स्टार आलीशान होटलों से इस शहर की आधुनिकता की झलक मिलती है। वैसे ही यह शहर अपने सुन्दर खाड़ी,स्वच्छ पानी वाले समुद्र और सफेद मुलायम रेतीले तट के लिए जगप्रसिद्ध है।ई मी-ई का घर इस शहर में य्वी-या सड़क न0.63 पर है।इस सड़क के छोर पर एक बहुत नामी पर्यटक स्थल—तातुंगहाई है।यह स्थल दरअसल एक धनुषाकार खाड़ी है,जहां सफेत रेत वाला हजार मीटर से अधिक लम्बा तट और आसमान से बातें करते ढेर-सारे हरे-भरे नारियल के पेड़ अपनी ओर पर्यटकों को आकर्षित करते है।
सानया में नवम्बर से अप्रैल तक का मौसम एक-सा रहता है।न ज्यादा गर्मी है और न ज्यादा सर्दी। समुद्र के पानी का तापमान 20 डिग्री सेल्सियस के औसत पर बना रहता है।स्वच्छ समुद्री जल,सफेद मुलायम रेत,हरे-भरे पहाड़,
नारियल-पेड़ की हरियाली और चमकीली धूप पर्यटकों के यहां आने के कारण हैं।
ई मी-ई हर रोज सुबह घर पर खिलकी खोलकर नीले जल वाला समुद्र देखती हैं।उन्होंने कहा कि खिड़की खोलने से पहले वह फुदकते परिंदों की चहक सुनती हैं और परिंदों की चहक सुनाई देने से पहले वह सौम्य सपनों में तैरती हैं।घर से निकलकर सड़क पर चलते हुए उन्हें स्नेह और उत्साह महसूस होता है।वह कभी किसी दुकारदार से बात करती है और कभी किसी राहगीर से।घर लौटकर उन सब को अपनी कविताओं में समेटती हैं।
ई मी-ई एक अस्पताल में काम करती हैं,जो उन के घर से बहुत नजदीक है।इसलिए वह पैदल ही काम पर जाती-आती हैं।उन का कहना है कि सिर्फ सानया की स्वच्छ हवा और प्रवृत्ति प्रदत्त अन्य सुन्दरता उन की आत्मा को छू सकती है।जी हां,सानयावासी बड़े गौरव के साथ आप को बता सकते हैं कि सानया चीन में स्वच्छ वायु के लिहाज से प्रथम शहर है,जिस की ऑक्सीजन ऑयन की कमी की मात्रा चीन में पहले स्थान और दुनिया में दूसरे स्थान पर है।वह चीन में एकमात्र उष्णकटिबंधीय समुद्रतटीय विश्राम-शहर है,जो `पूर्व का हवाई माना जाता है।संयुक्त राष्ट्र संघ ने इसे दुनिया में श्रेष्ठ मानव आवासीय शहरों में शामिल कर लिया है।
ऐतिहासिक ग्रंथों के अनुसार एक हजार वर्ष से भी अधिक समय पहले थांग राजवंशकाल में चीन के मशहूर बौद्ध चैनचन ने बौद्धधर्म के प्रचार के लिए पांच बार जापान पहुंचने की कोशिश की थी। रास्ते में भयंकर तूफान की वजह से उन्हें सानया के नानशान पहाड़ की तलहटी में शरण लेनी पड़ी।यहां डेढ साल तक ठहरने के दौरान उन्होंने मंदिर बनवाया और स्थानीय लोगों में बौद्धधर्म का खूब प्रचार किया।फिर वे यहीं से जापान पहुचने में सफल रहे।चीन में हजार वर्षों से यह कथन प्रचलित है कि सुख तुंगहाई समुद्र जैसा बड़ा हो और नानशान पहाड़ जैसा लम्बा दीर्घजीवन हो तो अच्छा है।इस कथन में उल्लिखित तुंगहाई और नानशान दोनों ही सानया में हैं।आज नानशान को केंद्र बनाकर एक संस्कृति आधारित पर्यटक क्षेत्र कायम है।इस क्षेत्र में अवलोकितेश्विरी की 108 मीटर ऊंची मूर्ति खड़ी की गई है।ई मी-ई के माता-पिता इस की पूजा करने आते हैं और उन्हें मंदिर में घंटे के बजने की दमदार ध्वनि सुनना बहुत पसंद है।इस पवित्र स्थल में आप के मन को शांति मिलती है और आत्मा भी शुद्ध प्रकृति की तरह स्वच्छ हो जाती है।भला कौन वहां जाना नहीं चाहेगा ?
प्राचीन काल में सानया वीरान था, क्योंकि वह चीन के दक्षिणी छोर पर स्थित दूरदराज का एक पिछड़ा स्थान था और लोगों ने उसे `आसमान की सीमा,सागर का कोने`का नाम दिया हुआ था। जो दरबारी सम्राट को चिढाते थे,उन्हें निष्कासित कर सानया में भेज दिया जाता था।लेकिन आज यहां इस तरह की जरा भी क्रूरता महसूस नहीं होती है।इस के बजाए रोमांटिक माहौल व्याप्त है।कलाकारों की नजर में यह शहर कला और सौंदर्य का अनूठा संगम है।ई मी-ई अक्सर अपने लेखक,चित्रकार और लिपिकार मित्रों के निमंत्रण पर कला के आधार पर आयोजित होने वाले समारोहों में भाग लेती हैं।वे अपनी पुस्तकें या कविताएं पढकर सुनाते हैं,कृतियां दिखाते हैं और लेखन व कला संबंधी विचारों का आदान-प्रदान करते हैं।
वर्ष 2003 में सानया ने चीन में सब से पहले सौंदर्य के सहारे अंर्थतंत्र की शुरूआत की।`मिस वर्ल्ड`प्रतियोगिता संयोजक संस्था की अध्यक्ष मैडम मोरी ने इस शहर की यात्रा करने के बाद अपने सहयोगियों से शिकायत की थी कि आप लोगों ने क्यों इतने सुन्दर स्थान को छिपा कर रखा हुआ है?तब से इस शहर में लगातार 4 बार `मिस वर्ल्ड`प्रतियोगिता आयोजित हो चुकी है।आगामी अक्तूबर में यहां फिर से 60वीं`मिस वर्ल्ड`प्रतियोगिता का आयोजन होगा।
पता नहीं कि कब से ही ई मी-ई के घर के आसपास खूबसूरत बंगले और होटल एक के बाद खड़े होकर जंगल सा माहैल बना रहे हैं।सानया में समुद्रतट पर जहां जाए,वहां शानदार स्टार होटल दिखाई पड़ते हैं।हिल्टन,शेराटन और मैर्रियट जैसे विश्वविख्यात होटलों में आप रह सकते हैं।ये विचित्र शैली वाले होटल न केवल पर्यटकों को रहने की आरामदेह सुविधाएं मुहैया कराते हैं,बल्कि एक प्रकार की फैशनबल संस्कृति और विशिष्ट दृश्य भी तैयार करते हैं।ई मी-ई जिस ब्लॉक में रहती हैं,वहां बड़ी संख्या में रूसी रहते हैं।इसलिए आसपास के सभी होटलों के नाम चीनी व रूसी दोनों भाषाओं में लिखे गए हैं।प्रतिदिन ये रूसी लोग सपरिवार समुद्रतट पर घूमते हैं और दुकानों में खरीददारी के दौरान चीनियों की तरह मोलभाव करते हैं।उन के जीवन की यह सहजता स्थानीय लोगों को बहुत भाती है।
ई मी-ई की इकलौती बेटी है,जो इस समय उच्चशिक्षालय में पढ़ रही है।ई मी-ई हर रोज अकेले पैदल चल कर काम पर जाती-आती हैं।रास्ते में जो भी उन की नजर में आता है,वह उन की कविताओं में शामिल हो सकता है।एक फूल या एक पेड़ भी उन्हें प्रभावित कर सकता है।क्या सानया उन में कविता लिखने का जोश भरता है?या उन की कविताओं में आने से क्या सानया पर्टयकों का सपना बना है?इस का जवाब खुद उन्होंने नहीं दिया।क्या हम यह कह सकते हैं कि वे दोनों एक दूसरे पर प्रभाव डालते हैं।जैसा कि ई मी-ई ने कहा कि सानया और वह पेड़ की दो पत्तियों की तरह एक दूसरे को हरित बनाते है।वह सानया से कतई अलग नहीं रहेगी।