मैं हाईबाओ हूं। आपसे फिर मिलने पर मुझे बहुत खुशी हो रही है। इस बार भी मैं आपको शाँगहाई विश्व मेले के बारे में जानकारी दूंगा। जैसा कि आप जानते हैं कि शांगहाई विश्व मेला आगामी पहली मई को शुरू होगा।इसमें भाग लेने वाले लगभग 200 देश अपने प्रदर्शनी-भवनों के निर्माण और सजावट को अंतिम रूप देने में लगे हैं। इस समय मेले के उद्यान में कई भवनों का निर्माण-कार्य पूरा होने के करीब है।इनमें भारतीय भवन किस तरह का है?उसमें क्या विशेष प्रदर्शनी लगेगी ?
यह जानने के लिए आप मेरे साथ वहां चलिए, देखते हैं कि वह अन्य भवनों से किस तरह अलग है।
मेले के उद्यान में भारतीय भवन का औपचारिक नाम है भारतीय मंडप। पहले मैं आपको इसकी बुनियादी जानकारी दूंगा। यह मंडप करीब 4 हजार वर्ग.मी में फैला है,विशाल है ना? वह उद्यान के ए भाग में स्थित है,जहां चीन समेत कई अन्य एशियाई देशों के प्रदर्शनी-भवन भी बनाए गए हैं।
भारतीय मंडप का डिजाइन 27 अप्रैल 2009 को औपचारिक तौर पर सार्वजनिक किया गया। बाहरी तौर पर देखा जाए तो वह भारतीयता से परिपूर्ण है जो लोगों काफी प्रभावित करता है।
भारतीय मंडप प्राचीन बुद्ध संस्कृति की शानदार झलक पेश करता हुआ नज़र आएगा। उसमें प्राचीन बुद्ध स्मारक से प्रेरित एक विशाल गुंबदनुमा भवन बनाया गया है,जिसके महज गुंबद का अर्ध-व्यास 37 मीटर तक है।मंडप में प्राचीन भारतीय लोगों की बुद्धिमत्ता को दर्शाया गया है।
मंडप को 321-187 ई. पूर्व में मौर्य वंश के शासक अशोक द्वारा निर्मित सांची स्तूप की तरह तैयार किया गया है।शांगहाई स्थित भारतीय कमिश्नर जनरल शीला भिड़े ने बताया कि इस प्रदर्शनी की थीम "शहरों के सदभाव"पर आधारित है, जिसमें शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों के बीच व्यापार व सेवाओं के आदान- प्रदान के जरिए एकता पर जो़र दिया गया है,जिसमें परंपरा व आधुनिकता, धर्म और विज्ञान के अलावा विविध संस्कृति के लोगों के जीवन की पृष्ठभूमि नज़र आएगी। इसमें अनेकता में एकता का प्रदर्शन होगा।
दर्शकों को मंडप में प्राचीन समय से लेकर वर्तमान के शहरों से रूबरू होने का मौका मिलेगा।
डिजाइन कंपनी जेडब्लूटी के उपाध्यक्ष डा. आर नायडू के मुताबिक 360 डिग्री स्क्रीन पर अलग-अलग तरह के शहरी जीवन को लेकर कई कहानियां दिखाई जाएंगी। इसके साथ ही गुंबद में सौर ऊर्जा व पवन शक्ति के जरिए ऊर्जा संरक्षण का विशेष ध्यान रखा गया है। गुंबद में जड़ी-बूटियां दिखेंगी और बांस का इस्तेमाल भवन का ढांचा बनाने में किया गया है। वहीं शापिंग वीथिका भी आकर्षण का केंद्र होगी, जिसमें भारत के विभिन्न क्षेत्रों के शिल्पकार तरह-तरह के उत्पादों की बिक्री व प्रदर्शन करेंगे।
नायडू ने कहा कि भोजन प्रेमी मंडप के फूड प्लाजा़ में पारंपरिक भारतीय व्यंजनों का आनंद उठा सकते हैं।मंडप की मुख्य गुंबदनुमा संरचना में हर घंटे करीब 1500 दर्शक प्रवेश कर सकते हैं। इसमें वीडियो,प्रदर्शन,पाककला और विशेष उत्पादों के जरिए भारत की असली जानकारी ले सकते हैं।
इसके अलावा भारत की कई कंपनियां मेले में भारतीय मंडप में सूचना-प्रोद्योगिकी,उपग्रह संचार तकनीक और जैविक तकनीक आदि क्षेत्रों में अपनी उपलब्धियां प्रदर्शित करेंगी।
1 मई से 31 अक्टूबर 2010 तक चलने वाले शांगहाई विश्व मेले के दौरान भारतीय मंडप में होने वाली गतिविधियों व दुकानों, रेस्टोरेंटों के संचालन आदि की जिम्मेदारी भारत सरकार की ओर से भारत व्यापार संवर्धन संगठन( आईटीपीओ) संभालेगा।
आईटीपीओ के अध्यक्ष,शांगघाई विश्व मेले के भारतीय प्रदर्शनी-क्षेत्र के जनरल प्रतिनिधि सुभाष पाणि ने कहा कि भारत अपने मंडप के निर्माण और सजावट में करीब 1 करोड़ अमेरिकी डाँलर खर्च कर चुका है। शांगहाई विश्व मेला विश्व मेले के इतिहास में सबसे बड़ा होगा और भारत ने इसमें भाग लेकर नया रिकोर्ड कायम किया है। इससे पता चलता है कि भारत मेले में भागीदारी को कितना महत्वपूर्ण मानता है।
शांगहाई विश्व मेले के चीनी सरकार के जनरल प्रतिनिधि,भारत स्थित पूर्व चीनी राजदूत ह्वा चुनत्वो ने इस मेले में भारत की सकारात्मक हिस्सेदारी की काफी तारीफ की। उनका कहना था कि दुनिया में दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाले विकासशील देश और चीन के प्रमुख पडो़सी के नाते भारत की शांगहाई मेले में भागीदारी चीन-भारत रिश्तों,दोनों देशों की जनता के बीच समझ व विश्वास को बढाएगी। साथ ही दोनों देशों के आर्थिक व व्यापारिक सहयोग की नई संभावनाएं भी विकसित करेगी।