ब्रिक्स देशों के नेताओं की तीसरी भेंटवार्ता इस महीने के मध्य में चीन के हाई नान में आयोजित होगी। इस सम्मेलन के प्रति भारत के विभिन्न तबकों के लोगों ने गहरी रूचि दिखायी।
इधर के दिनों में भारतीय मीडियाओं ने कहा कि वर्तमान सम्मेलन में मुख्यतः वित्त, अर्थतंत्र, ऊर्जा तथा अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा आदि मुद्दों पर विचार विमर्श किया जाएगा। चीन, रूस, भारत व ब्राजिल के अलावा, दक्षिण अफ़्रीका भी प्रथम बार इस सम्मेलन में भाग लेगा। यह भारत व अफ़्रीका के बीच आर्थिक व व्यापारिक संपर्क को बढ़ाएगा।
भारतीय प्रमुख मीडियाओं की वेबसाइटों ने भी वर्तमान सम्मेलन की उपलब्धि का अनुमान देते समय बताया कि यह सम्मेलन भारत को दुनिया के सामने अपना प्रभाव दिखाने का मौका देगा, जो भारत के राजनयिक व आर्थिक लाभ के अनुकूल में होगा।
भारत के कुछ अंतरराष्ट्रीय मामलों पर अनुसंधान करने वाले संस्थान या विशेषज्ञों ने भी उत्तरी अफ़्रीका की परिस्थिति तथा ब्रिक्स देशों के रूख को जोड़ा। उन्होंने कहा कि मध्य पूर्व एवं उत्तरी अफ़्रीकी परिस्थिति की चर्चा करते समय ब्रिक्स देशों ने बराबर या समान रूख अपनाये हैं। ब्रिक्स देशों ने लीबिया के खिलाफ़ सैन्य कारवाई में भाग नहीं लिया, बल्कि भिन्न भिन्न तरीकों से पश्चिमी देशों की सैन्य कार्यवाइयों का विरोध किया। भारतीय जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के अंतरराष्ट्रीय मामलों का अनुसंधान करने वाले प्रोफ़ेसर जायसवाल ने इंटरव्यू में कहा कि किसी व्यक्ति का संदेह नहीं है कि पश्चिमी देश आखिरकार विजय पा सकेंगे, लेकिन, एक प्रभुसत्ता देश के प्रति बल का प्रयोग करने के तरीके के मद्देनज़र गैर पश्चिमी देशों के बीच एकजुटता प्रगाढ़ की जाएगी। यह संभवतः वर्तमान सम्मेलन के समान घोषणा पत्र में प्रतिबिंबित किया जाएगा।