श्री कृष्णा ने उसी दिन चीनी अंतरराष्ट्रीय समस्या की अनुसंधान संस्था में 21वीं शताब्दी में प्रवेश चीन, भारत व दुनिया नामक लेक्चर दिया। उन्होंने कहा कि एक परवान बढ रहे देश होने के नाते, भारत चीन संबंध अक्सर प्रतिस्पर्द्धी माना जाता है। श्री कृष्णा ने कहा कि हमें यथार्थ सहयोग से इस तरह के दृष्टिकोण का खंडन करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि विकासमान देश होने के नाते, भारत व चीन की सहमति मौसम परिवर्तन एवं दुनिया के व्यापार के नियमों में अभिव्यक्त होती है।
उन्होंने कहा कि दोनों देश भारत-चीन राजनयिक संबंध की स्थापना की 60वीं वर्षगांठ के अवसर पर और ज्यादा गतिविधियों का आयोजन कर द्विपक्षीय संबंधों के विकास को आगे बढ़ाएंगे।
साथ ही श्री कृष्णा ने यह भी कहा कि हाल में दोनों देशों ने द्विपक्षीय संबंध, क्षेत्रीय व विश्वव्यापी राजनीतिक समस्याओं के वार्तालाप की व्यवस्था की स्थापना की है। दोनों देशों की सीमा, व्यापार एवं जल संसाधन प्रबंध से जुड़ी समस्याओं का भी वार्तालाप व सलाह मश्विरे के जरिये समाधान किया जाएगा। श्री कृष्णा ने दोनों देशों को घनिष्ठ व अनवरत संपर्क बनाए रखने के लिये प्रोत्साहन भी दिया ।(श्याओयांग)