यह चाइना रेडियो इंटरनेशनल है , श्रोता दोस्तो , पेइचिंग ओलिंपियाड आठ अगस्त 2008 को पेइचिंग में आयोजित होगा , पेइचिंग ओलिंपिक के आयोजन को बेहतर करने तथा इस सुअवसर से विश्व को चीनी राष्ट्र की श्रेष्ठ संस्कृति दिखाने के लिए पेइचिंग ओलिंपिक आयोजन कमेटी ने 2005 में क्रमशः पेइचिंग ओलिंपिक के विषयक नारे और शुभंकर जारी किए । आप को दिलचस्पी हुई होगी कि आखिरकार पेइचिंग ओलिंपिक के विषयक नारे और शुभंकर क्या हैं और उन के क्या महत्व हैं ?सी .आर .आई द्वारा आयोजित पेइचिंग ओलिंपिक ज्ञान प्रतियोगिता में प्रस्तुत इस परिचयात्क लेख में आप को इस का जवाब मिल जाएगा ।
26 जून 2005 की रात चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के पोलित ब्यूरो के स्थाई सदस्य श्री ली छांग छुन ने पेइचिंग मजदूर स्टेडियम में घोषणा कीः 2008 पेइचिंग ओलिंपिक का विषयक नारा है साझी दुनिया , साझा सपना यानी वन वार्ल्ड वन ड्रीम ।
पेइचिंग ओलिंपिक के विषयक नारे में ओलिंपिक आदर्श भावना और आयोजक देश की संस्कृति की उच्च अभिव्यक्ति होती है । वर्ष 1988 में सोर ओलिंपिक से ले कर अब तक हर ओलिंपियाड के मेजबान देश ने बेअपवाद अपना गहन अर्थगर्भित नारा पेश किया है। उदाहरणार्थ 2004 के एथेंस ओलिंपिक में यूनानियों ने बड़े गर्व के साथ वेलकम हॉम अर्थात घर वापसी का स्वागत वाला नारा पेश किया । इस नारे में विश्व ओलिंपिक परिवार के सभी सदस्यों का हार्दिक स्वागत व्यक्त किया गया है , साथ ही ओलिंपिक खेल समारोह की जन्म भूमि यूनान में ओलिंपिक की पुनः वापसी पर अपार खुशी और गर्व की भावना भी अभिव्यक्त हुई है ।
पेइचिंग ओलिंपिक के नारे साझी दुनिया साझा सपना में क्या अर्थगौरव निहित है । इस पर पेइचिंग ओलिंपिक आयोजन कमेटी ने कहा कि साझी दुनिया , साझा सपना से ओलिंपिक भावना से प्रेरित हो कर मानव जाति के सुनहरे भविष्य के लिए सारी दुनिया की समान अभिलाषा अभिव्यक्त होती है , साथ ही इस में सारी दुनिया के देशों के साथ समान रूप से सुन्दर घर रखने , सभ्यता के फलों का साझा उपभोग करने तथा कंधे से कंधा मिला कर सुनहरे भविष्य का निर्माण करने की पेइचिंग निवासियों और समूची चीनी जनता का महान आदर्श भी व्यक्त होता है । चीनी राष्ट्र की संस्कृति परम्परा सदैव मानव व प्रकृति के बीच और मानवों में सामंजस्य और मेलमिलाप के संबंधों पर जोर देती रहती है , पेइचिंग ओलिंपिक के विषयक नारे में सामंजस्यपूर्ण विकास , मैत्रीपूर्ण सहअस्तित्व एवं सहयोग व साझी सफलता के जो भाव गर्भित है , वह चीनी राष्ट्र की परम्परागत संस्कृति के मूल स्वरूप से जुड़ा हुआ है । इस के संदर्भ में पेइचिंग विश्वविद्यालय के ओलिंपिक सवाल के विशेषज्ञ श्री चांग ई वु ने कहाः
इस नारे के दो केन्द्रीय बिंदु है , इस का केन्द्र है दुनिया और सपना । साझी दुनिया का यह संकेत है कि चीन खुलेपन की भावना रखता है और वह सारी दुनिया के साथ संपर्क रखने को तत्पर है । साझा सपना का यह संकेत है कि चीन और सारी दुनिया ओलिंपिक एवं ऐसी सभी मूल्य अवधारणाओं , जो मानव जाति का प्यार देने के काबिले है , जैसा कि शांति के प्रति समान उम्मीद रखते हैं ।
यह नारा सरल और संक्षिप्त है , लेकिन वह सामुहित बुद्धिमता का सुफल है । पहली जनवरी 2005 को पेइचिंग ओलिंपिक आयोजन कमेटी के सांस्कृतिक मामला विभाग ने औपचारिक रूप से देश विदेश से पेइचिंग ओलिंपिक के लिए विषयक नारा मांगना शुरू किया । एक ही महीने के अल्प समय में ही ओलिंपिक नारा संग्रहण कार्यालय को विभिन्न स्थानों से कुल दो लाख दस हजार नारे प्राप्त हुए , जिन में थाईवान समेत चीन के सभी प्रांत , स्वायत्त प्रदेश , केन्द्र शासित नगर , हांगकांग व मकाओ विशेष प्रशासनिक क्षेत्र , अमरीका , ब्रिटेन , नार्वे और ब्राजील आदि देशों में रह रहे प्रवासी चीनियों एवं विदेशी मित्रों की रचनाएं शामिल हैं ।
ये दो लाख दस हजार नारे आगे पेइचिंग ओलिंपिक के विषयक नारे के सृजन और निचोड़ के लिए प्रचूर और मजबूत संदर्भ सामग्री बन गए। इस समृद्ध सामग्री के आधार पर पेइचिंग ओलिंपिक आयोजन कमेटी ने आरंभिक चुनाव किया और समाज के विभिन्न तबकों से सलाह ले ली और सुप्रसिद्ध अन्तरराष्ट्रीय परामर्श कंपनियों के माध्यम से सर्वक्षण और अध्ययन किया । तब जा कर साझी दुनिया , साझा सपना पेइचिंग ओलिंपिक के विषयक नारे के रूप में अस्तित्व में आया । यहा कहा जा सकता है कि इस नारे में सारे चीन के विभिन्न जगतों के विशेषज्ञों की बुद्धिमता और मेहनत निहित है , साथ ही पेइचिंग ओलिंपिक के प्रति सारी दुनिया की जनता की शुभकामना और भावभिना लगाव भी व्यक्त हुए है । यह नारा ओलिंपिक के प्रति चीनी जनता की समझ और उम्मीद का निचोड़ भी है ।
पेइचिंग ओलिंपिक आयोजन कमेटी द्वारा प्रस्तुत पेइचिंग ओलिंपिक के नारे का चीन भर में हार्दिक स्वागत किया गया और वह चीनी जनता की जुबान पर चर्चित एक लोकप्रिय विषय भी बन गया है । पेइचिंग के बहुत से स्थलों पर यह नारा अंकित भी दिखाई पड़ा है । साझी दुनिया साझा सपना पेश किये जाने के बाद वर्ष 2005 के नवम्बर माह की 11 तारीख को पेइचिंग ओलिंपिक के उद्घाटन तक उल्टी गिनती का हजार वां दिन आ पहुंचा , इस अवसर पर पेइचिंग ओलिंपिक के शुभंकर घोषित किए गए । पेइचिंग ओलिंपिक के शुभंकर पांच फुवा हैं , जिन के नाम क्रमशः बेबे , चिंगचिंग , ह्वांह्वां , यङयङ और निनी हैं । पांच फुवा शुभसूचक और प्यारी प्यारी आकृति में हैं । क्योंकि चीनी राष्ट्र की संस्कृति और सभ्यता बहुत पुरानी , विशाल और समृद्ध होती है , इस प्रकार की लम्बी पुरानी संस्कृति को संकेतिक रूप में अभिव्यक्त करने के लिए चीन के पास बेशुमार चीजें मिल सकती हैं । पेइचिंग ओलिंपिक के पांच शुभंकर तैयार किए गए , जिन से चीन की संस्कृतिक परम्परा अधिक प्रतिबिंबित हो सकती है । ओलिंपिक इतिहास में वर्ष 1972 में आयोजित म्युनिख ओलिंपियाड में पहली बार शुभंकर प्रकाश में आया । उस समय से ले कर अब तक सभी ओलिंपियाडों में से पेइचिंग ओलिंपिक के शुभंकर की संख्या सब से ज्यादा है।
बेबे ,चिंगचिंग , ह्वांह्वां , यङयङ और निनी नामक पांच फुवा शुभंकरों में क्रमशः मछली , पांडा , ओलिंपिक मशाल , तिब्बती नीलगाय और अबाबील की आकृति रेखांकित है . पांचों आकृतियों में समुद्र , जंगल , अग्नि , भूमि और आकाश का प्रतिनिधित्व होता है । शुभंकर का प्रतीक है कि मानव और प्रकृति मिल जुल कर रहते हैं , जो पेइचिंग ओलिंपिक से प्रवर्तित हरित ओलिंपिक की अवधारणा से मेल खाता है । इस के अतिरिक्त पांच फुवा की आकृति में चीनी राष्ट्र के बहुत से सांस्कृतिक तत्व सम्मिलित हैं । उदाहरणार्थ , मछली की आकृति पर तैयार फुवा बेबे में परम्परागत चीनी चित्र कला की शैली झलकती है । बड़ी दिलचस्पी की बात यह है कि पांच फुवा के नाम जोड़ कर जो एक चीनी वाक्य बन गया है , उस का मतलब पेइचिंग आप का स्वागत करता है। और रूचिकर बात यह भी है कि पांचों फुवा और ओलिंपिक रिंग्स एक दूसरे का शोभा बढ़ाते हुए दिखाई देते हैं । अन्तरराष्ट्रीय ओलिंपिक कमेटी की पेइचिंग ओलिंपिक समन्वय समिति के उपाध्यक्ष श्री केवी .गोसतल ने पांच फुवा की भूरि भूरि प्रशंसा करते हुए कहाः
पेइचिंग ओलिंपिक के शुभंकर प्यारे प्यारे पांच फुवा से गठित हैं , वे पांच ऊंगलियों की भांति एक दूसरे से जुड़े हुए हैं । पांच फुवा और ओलिंपिक की पांच रिंग्स एक दूसरे को शोभा देते हैं , जिस से मानव एवं प्रकृति में मेलमिलाप की अभिव्यक्ति होती है और असीम कल्पना शक्ति साबित हुई है , इस के लिए ओलिंपिक खेल पेइचिंग को धन्यावाद देता है ।
श्रोता दोस्तो , अभी आप ने पेइचिंग ओलिंपिक ज्ञान प्रतियोगिता के लिए पेइचिंग ओलिंपिक के विषयक नारे और शुभंकर के बारे में परिचयात्मक लेख सुना । अब ज्ञान प्रतियोगिता के लिए तीन प्रश्न प्रस्तुत है , कृपया आप ध्यान से सुनिए और नोट कीजिएगा ।
पहला प्रश्न है कि पेइचिंग ओलिंपिक का विषयक नारा किस प्रकार है .
दूसरा प्रश्न है कि पेइचिंग ओलिंपिक के पांच शुभंकरों के नाम क्या है.
तीसरा प्रश्न है कि किस ओलिंपिक में शुभंकरों की संख्या सब से ज्यादा है.
एक बार फिर ध्यान से सुनिएः
पहला प्रश्न है कि पेइचिंग ओलिंपिक का विषयक नारा किस प्रकार है .
दूसरा प्रश्न है कि पेइचिंग ओलिंपिक के पांच शुभंकरों के नाम क्या है.
तीसरा प्रश्न है कि किस ओलिंपिक में शुभंकरों की संख्या सब से ज्यादा है.
हम आप का पेइचिंग ओलिंपिक ज्ञान प्रतियोगिता में सक्रिय भाग लेने के लिए स्वागत करते हैं । अच्छा , अब आज्ञा दे ,नमस्ते ।