चीन ने सन् 1988 सियोल में आयोजित 24वें ऑलंपिक में 445 व्यक्तियों वाला प्रतिनिधि मंडल भेजा है। जिन में 300 खिलाड़ी शामिल हैं, उन्होंने हॉकी और घुड़सवारी के खेल के अलावा 21 बड़ी इवेंटों में बढ़-चढ़ कर भाग लिया। इस के अलावा 30 चीनी प्रतिनिधियों ने निर्णायक व तकनीक प्रतिनिधि आदि कार्य संभाला । चीन के थाइपेइ के 140 व्यक्तियों के प्रतिनिधि मंडल ने भी इस ऑलंपिक में भाग लिया। इस में से 90 खिलाड़ियां ने 12 इवेंटों की प्रतियोगिता में भाग लिया।
इस ऑलंपिक में 17 वर्षीय श्यु येनमै ने गोताखोरी के महिला दस मीटर प्लेटफार्म में चीन के लिए पहला स्वर्ण-पदक बटोरा।
16 वर्षीय जुआंग युंग ने महिला 100 मीटर तैराकी की फ्री स्टाइल की रन अप जीत ली। जिस से ऑलंपिक में तैराकी प्रतियोगिता में चीन के पास पदक नहीं होने का इतिहास समाप्त हुआ। इस ऑलंपिक में शेल प्रतियोगिता में भी चीन ने पहली बार पदक बटोरे। जांग शिआंग हुआ आदि 4 महिलाओं ने कोड्रापल सिंगल शेल की रन अप जीती। ली रोंग हुआ आदि 8 व्यक्तियों ने भी सिंगल शेल में कांस्य पदक जीते।
चीन ने टेबिल-टेनिस में भी 2 स्वर्ण-पदक बटोरे।
लेकिन, सियोल ऑलंपिक लॉस एजेंल्स ऑलंपिक नहीं है। इस ऑलंपिक में चीन ने सिर्फ 5 स्वर्ण-पदक, 11 रजत व 12 कांस्य-पदक बटोरे। यह संख्या न सिर्फ सोवियत संघ, जर्मनी और अमरीका आदि बड़े देशों से कम है, बल्कि एशिया के दक्षिणी कोरिया के पदक भी इस से ज्यादा हैं।
24वां ऑलंपिक एक सक्रिय अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता समारोह है। विश्व के बहुत श्रेष्ठ खिड़ालियां ने इस ऑलंपिक में भाग लिया। ऐसी उच्च तकनीक वाली और घमासान प्रतियोगिता पिछले ऑलंपिक में भी कम हुई है।
हालांकि लॉस एजेंल्स ऑलंपिक में भाग लेने वाले देशों और खिलाड़ियों की संख्या सब से अधिक है। सोवियत संघ और पूर्वी यूरोप के देशों के विरोध से प्रतियोगिता का स्तर प्रभावित हुआ है। सियोल के ऑलंपिक में सोवियत संघ और लोकतांत्रिक जर्मनी ने अलग-अलग तौर पर 55 व 37 स्वर्ण-पदक बटोरे। जब कि अमरीका ने सिर्फ 36 स्वर्ण-पदक प्राप्त किए।
इस ऑलंपिक में हालांकि चीन ने कुछ इवेंटों में स्वर्ण-पदक नहीं जीते और चीनी लोगों को निराश हुई। चीनी खिलाड़ियों ने 3 ऑलंपिक के तैराकी के रिकॉर्ड और 7 एशिया के रिकॉर्ड तोड़े। जिस से चीन की शक्ति जाहिर हुई।