2009-04-21 15:19:26

मशहूर चीनी गायिका यांग ये की कहानी

गायिका चांग ये चीन में बहुत लोकप्रिय है । उस की आवाज़ बहुत मीठी ही नहीं कोमल भी होती है । अपने गायन में चांग ये पूरी भावना को लगा देती है, इस से वह चीनी जनता के पसंदीदा गायिकाओं में से एक बन गयी ।

वर्ष 1997 में हांग कांग के मातृभूमि में वापस लौटने की खुशी मनाने के लिए चीनी संगीतकारों ने "तुंग च्यांग नदी का प्यारा पानी" नामक गीत रचा । चांग ये ने हांगकांग की वापसी की खुशियां मनाने वाले समारोह में इसी गीत गाया । उस की भावपूर्ण प्रस्तुति ने दर्शकों का मन पूरी तरह जीता और इस समारोह के बाद "तुंग च्यांग नदी का प्यारा पानी" शीघ्र ही चीन में लोकप्रिय हो गया । तुंग चांग दक्षिण चीन में बहती हुई एक नदी का नाम है । वर्ष 1963 में चीन सरकार ने हांग कांग के लिए विशेष तौर पर "तुंग चांग--शङ ज़ङ पेयजल परियोजना" का निर्माण किया , जिस से मातृभूमि की तुंगचांग नदी के शुद्ध पानी को हांग कांग को मुहैया किया जाने लगा । इस तरह लम्बे अरसे में हांग कांग के पानी के अभाव के सवाल को हल किया गया । इस लिए हांग कांग वासी तुंग चांग को मातृनदी कहते हैं । गीत "तुंग च्यांग नदी का प्यारा पानी" में नदी के पानी परवाह के सुन्दर वर्णन से हांगकांग वासियों में मातृभूमि का आभारी होने की भावना अभिव्यक्त हुई है । तो सुनिए यह गीत

गीत---"तुंग च्यांग नदी का प्यारा पानी"

गीत का भावार्थ कुछ इस प्रकार है

तुंग च्यांग नदी का पानी है

बहुत स्वच्छ और मिठा

बहता चला जाता है दक्षिण की ओर ।

तुंग च्यांग नदी का पानी है

शङ जङ शहर से गुजर कर

हांग कांग में जा पहुंचता है

तुंग च्यांग नदी का पानी है

दिन रात बहता रहा दक्षिण की ओर

और मेरे दिल में प्रवेश आ बसा है

यह पवित्र अमृत है ।

तुंग च्यांग नदी का पानी

मातृभूमि का स्वच्छ चश्मा है

और देशबंधुओं का मिठा मदिरा

बहता आ रहा है अटूट परवाह के साथ

दक्षिण की ओर चला जाता

सिंचित करता है हांग कांग की प्यासी भूमि

चांग ये विभिन्न जातीय शैली के गीतों में कुशल हैं । उन की आवाज़ बहुत मीठी ही नहीं , शुद्ध ,उत्साहित और मनमोहक भी है । संगीत टिप्पणीकारों का कहना है कि चांग ये का गायन पिघली हुई बर्फ के पानी की भांति स्वच्छ , मीठा , पारदर्शी और कलकल बहता हुआ लगता है , उन की आवाज वसंती बयार के साथ हल्की , मृद और उल्लास से उड़ती हुई रंगीन, बादलों से गुजरती हुई कर्णप्रिय होती है । कार्यक्रम में आगे आप सुनिए चांग ये का यह गीत , नाम है "आकाश में उमड़ा मेघ "।

गीत---"आकाश में उमड़ा मेघ"

चांग ये द्वारा गाया गया गीत "आकाश में उमड़ा बादल" टी.वी.फिल्म "ओ, मानव "का पाश्य गीत है । सादा भोला और स्नेह से भरे बोल तथा लयदार धुन वाले इस गीत में जन साधारण में एक दूसरे से समझ व मदद की अभिलाषा अभिव्यक्त हुई और मानव में एक दूसरे का सम्मान व प्यार करने की सच्ची भावना का वर्णन किया गया । गीत का भावार्थ कुछ इस प्रकार है

आकाश में उमड़ा वह मेघ

कभी वर्षा लाता है कभी सुनहरा मौसम

जमीन पर चलते रहे लोग

कभी साथ रहे कभी अलग रहे

दूर हो या नज़दीक,

चतुर्दिशा में बढ़ते हैं हम

साथ साथ ।

एकल पेड़ से जंगल नहीं बनता है

सामुहिक कोशिशों से

रेकिस्तान नख्लिस्तान में बदल जाता है ।

एक दूसरे से प्यार करते हैं हम

सारे विश्व में शांति होगी एकदम

आकाश में उमड़ रहा है बादल

धरती में आता है वर्षा के बुंद के रूप में

फूल खिलते हैं बहार के साथ

संसार में आया है सदा के लिए वसंत का रूख

हर परिवार में दिखता है,

वृद्धों पर आदर

नन्हों से प्यार है

सुखमय जीवन से पुल्लित मानव ।

वर्ष 1985 से ही चांग ये अपने व्यक्तिगत एलबम जारी करने लगी , इस के साथ ही उस ने बहुत से फिल्मों तथा टीवी. धारावाहिकों के पाश्य गीत भी गाए। इधर के वर्षों में चांग ये देश के भीतर महत्वपूर्ण सांस्कृतिक समारोहों में भाग लेने के अलावा, चीन देश की ओर से ब्रिटेन, फ़्रांस तथा जर्मनी आदि देशों की यात्रा की । चांग ये द्वारा गाए गए चीनी जातीय विशेषता वाले गीतों को विदेशी श्रोताओं की मान्यता व सराहना हासिल मिली है । तो आज के कार्यक्रम के अंत में आप सुनेंगे चांग ये की आवाज में पूर्वी चीन के चांग सू प्रांत में प्रचलित एक लोकगीत , नाम है "चमेली का फूल"। यह गीत शायद आप ने हमारे कार्यक्रम में अधिक बार सुन लिया होगा, तो लीजिए गायिका चांग ये की आवाज़ में इस गीत का मज़ा , आप को एक नया अनुभव महसूस होगा ।

गीत---"चमेली का फूल"

गीत के बाल कुछ इस प्रकार है

सुन्दर है चमेली का फूल

है बहुत सुगंधित

सारे बगीचे में है उस की खुशबू

बहुत तेज़ मनमोहक ।

मैं चाहती हूं एक फूल तोड़ूं

लेकिन डरती हूं

माली की निंदा तो न सुने ।

चमेली का फूल है कितना सुन्दर

सर्दियों की बर्फ़ से भी सफ़ेद

मैं एक फूल तोड़ना चाहती हूं

लेकिन डरती हूं

मज़ाक तो न उड़ाए मेरा कोई ,

चमेली का फूल है बहुत सुन्दर

सारे बगीचे में है उस की खूबसूरती निखरी ,

सब से सुन्दर है, सब से खुशबू

मैं तोड़ना चाहती हूं एक फूल

लेकिन डरती हूं

अगले साल वह खिले तो न जाए

फैल गयी है उस की खुशबू ,

निखर गई है उस की खुबसूरती ।