संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद का 48वां सम्मेलन संपन्न

2021-10-11 19:47:57

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संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद का 48वां सम्मेलन हाल में संपन्न हुआ। गत एक महीने में अमेरिका, ब्रिटेन, कानाडा, ऑस्ट्रेलिया आदि देशों में मानवाधिकार स्थिति की आलोचना की गई है। समापन के दिन चीन द्वारा पेश किये गये औपनिवेशिक विरासत के मुद्दों का नकारात्मक प्रभाव नामक प्रस्ताव पारित किया गया, जिससे जाहिर हुआ कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने पश्चिमी देशों के झूठे मानवाधिकार को साफ-साफ देखा है।

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद को विभिन्न पक्षों द्वारा मानवाधिकार समस्याओं पर संवाद और सहयोग करने का मंच होना चाहिए था, लेकिन कई पश्चिमी देशों ने उसे राजनीतिक मुकाबला करने का मंच बनाया और शिनच्यांग व हांगकांग आदि मसलों को लेकर चीन को बदनाम करने की पूरी कोशिश की, लेकिन झूठ तो झूठा होता है।

इस बार के सम्मेलन में करीब सौ देशों ने भाषण देने या संयुक्त पत्र देने आदि तरीकों से चीन का समर्थन किया। उन्होंने जोर दिया शिनच्यांग, हांगकांग और तिब्बत बिलकुल चीन का अंदरूनी मामलात है, किसी भी देश को चीन के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।

मानवाधिकार की गारंटी के लिए हम सब को प्रयास करना चाहिए, इस क्षेत्र में सबसे अच्छा प्रदर्शन नहीं है, केवल बेहतर प्रदर्शन हो सकता है। चीन ने अपने देश की परिस्थिति से मेल खाने वाले मानवाधिकार का विकास रास्ता चुना। चीन न केवल अपने देश के लोगों के मानवाधिकार को सुनिश्चितता देता है, साथ ही वैश्विक मानवाधिकार कार्य के विकास को भी आगे बढ़ाता है। पश्चिमी देशों के तथाकथित मानवाधिकार रक्षकों को खुद की मानवाधिकार स्थिति को सही ढंग से देखना चाहिए और इसका राजनीतिकरण करने की हरकत को बंद करना चाहिए।

(श्याओयांग)

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