29 अप्रैल 2021

2021-04-29 15:52:19

अनिलः सबसे पहले यह जानकारी।

भूकंप के लिहाज से जापान एक बहुत ही संवेदनशील देश है। इसके पीछे की वजह यहां कि धरती की सबसे अशांत टेक्टोनिक प्लेट्स हैं। ये प्लेट्स एक अभिकेंद्रित सीमा बनाती हैं, जिसके कारण ये क्षेत्र दुनिया के सर्वाधिक भूकंपों का केन्द्र बन जाता है। भूकंप आने के वजह से जापान में काफी नुकसान भी होता है। हालांकि, भूकंप के कारण ही इस देश में एक दिलचस्प मामला सामने आया है। यहां सौ साल पुरानी बंद पड़ी एक घड़ी भूकंप के कारण चालू हो गई।

दरअसल, ये घटना जापान के यमामोटो की है। खबरों के मुताबिक, यमामोटो के एक बौद्ध मठ में सौ साल पुरानी एक विशाल घड़ी लगी हुई थी। लेकिन साल 2011 में आए एक भूकंप के कारण ये घड़ी बंद हो गई थी। उसी समय से ये घड़ी बंद पड़ी थी। लेकिन हाल ही में घटी एक घटना से सभी लोग हैरान हैं। बता दें कि इस क्षेत्र में फरवरी 2021 में भूकंप आने पर घड़ी अपने आप ठीक हो गई। करीब 10 सालों से बंद पड़ी घड़ी ठीक पहले की तरह चलने लगी।

हालांकि, लोगों का ऐसा मानना है कि किसी तकनीकी कारणों से ये घड़ी फिर से चलने लगी हो। क्योंकि इस बात की संभावना जताई जा रही है कि घड़ी के अंदर जमी धूल भूकंप की वजह से हट गई हो, जिसके वजह से ये फिर से चलने लगी हो।

बता दें कि इस घटना के बाद घड़ी निर्माता कंपनी के एक प्रतिनिधि भी वहां पहुंचा। घड़ी के दोबार चालू हो जाने से मठ के आसपास रह रहे लोग काफी खुश हैं।

साल 2011 में भूकंप के बाद आई सुनामी की लहरों का पानी मठ के भीतर घुस गया था। इस घटना की वजह से सिर्फ मठ के खंभे और छत बच पाई थी। यह घड़ी भी एक खंभे पर टंगी होने के कारण बच गई थी।

सुनामी के बाद हालात सुधरने पर मठ प्रमुख ने घड़ी को ठीक करने की काफी कोशिश की लेकिन वह उसे ठीक नहीं कर पाए थे। इसके बाद उन्होंने घड़ी को उसी तरह छोड़ दिया। फिलहाल एक लंबे समय के अंतराल के बाद ये घड़ी फिर से चलने लगी है।

नीलमः अब एक और रोचक जानकारी। क्या कभी आपने किसी कबूतर के ऊपर एफआईआर दर्ज होते सुना है? अगर नहीं तो एक ऐसी ही अजब-गजब घटना सामने निकल कर आई है, जिसको जानने के बाद आपको भी यकीन नहीं होगा। घटना पंजाब की है। यहां एक संदिग्ध कबूतर को पकड़ा गया। उसे पकड़े जाने के बाद पंजाब पुलिस ने उस पर एफआईआर दर्ज कर दी। दरअसल घटना कुछ यूं थी कि कबूतर भारत की अंतर्राष्ट्रीय सीमा रेखा के पास संदिग्ध हालात में मिला। उस दौरान बीओपी रोरनवाला के पास एक कांस्टेबल अपनी ड्यूटी पर था कि तभी एक कबूतर उसेक पास आ गया। कांस्टेबल ने जब उसे ध्यान से देखा तो उसके पैरों में एक कागज का टुकड़ा बंधा था। 

एफआईआर की माने तो कांस्टेबल ने जैसे ही इस संदिग्ध कबूतर को देखा। उसने फौरान उसे पकड़ लिया। कबूतर को पकड़ने के बाद उसने इस घटना की सूचना पोस्ट कमांडर ओमपाल सिंह को दी। घटना को देखते हुए टीम ने जांच की शुरुआत की। 

जांच के दौरान कबूतर के पैरों में बंधे कागज को खोला गया। कागज को जब खोलकर देखा गया तो उसमें एक संदिग्ध नंबर लिखा हुआ मिला। ये नंबर क्या था? इसे किस उद्देश्य से कबूतर के पैरों में बांधकर भेजा गया था? अभी तक इसके बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है। हालांकि कबूतर के ऊपर अमृतसर के कहागढ़ पुलिस थाने में केस दर्ज कर लिया गया है।

रिपोर्ट की माने तो कबूतर काले और सफेद रंग का है। यह 17 अप्रैल की शाम को पकड़ा गया था। इस दौरान कांस्टेबल नीरज कुमार बीओपी रोरनवाला के पास ड्यूटी कर रहे थे। अचानक यह कबूतर कहीं से आकर उनके कंधे पर बैठ गया। 

यहां बता दें कि इस कैंप से पाकिस्तान की चौकी की दूरी महज 500 मीटर है। इससे पहले भी कई सारे ऐसे मामले सीमारेखा पर देखे गएं हैं। पिछले साल 2020 में ऐसा ही एक मामला जम्मू-कश्मीर में कठुआ से सामने निकल कर आया था। इस दौरान भी पाकिस्तान की जासूसी करने के लिए एक कबूतर को हिरासत में लिया गया था।   

अनिलः देश-दुनिया में कई ऐसी अजीबोगरीब घटनाएं होती हैं, जो हर तरफ खूब सुर्खियां बटोरती हैं। ऐसी ही एक घटना इन दिनों खूब चर्चा में है। मामला कुछ ऐसा है कि आयरलैंड में रहने वाले युवक को हर्जाने के तौर पर 58 लाख रुपए मिले हैं। इस घटना की शुरुआत करीबन 4 साल पहले हुई थी, जब यह युवक टर्किश विमान में सफर कर रहा था। इस दौरान उसके साथ एक हादसा हो गया, जिस पर उसकी मां ने एयरलाइन्स के खिलाफ कोर्ट में केस कर दिया। 

इस युवक का नाम एमरे कराक्या है। 4 साल पहले यह युवक विमान में सफर करते हुए डुबलिन से इस्तानबुल जा रहा था। इस दौरान फ्लाइट में केबिन क्रू की एक सदस्य ने उसके पैरों पर खौलती हुई चाय को गिरा दिया। चाय गिरने से एमरे के पैरों को काफी नुकसान पहुंचा। इससे उसके पैरों पर कई सारे निशान बन गए।  

एमरे को इस कारण काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। पैरों पर खौलती हुई चाय गिरने की वजह से उनको कई दिनों तक दर्द भी होता रहा। इसके अलावा पैरों को ठीक होने में काफी लंबा समय लगा। उस वक्त इस युवक की उम्र करीबन 13 साल थी।

घर आकर चाय गिरने की इस घटना को जब उन्होंने अपनी मां से बताया तो मां ने इस घटना को संज्ञान में लेते हुए टर्किश एलरलाइन्स के खिलाफ केस कर दिया। कोर्ट में मां ने केस जीतने के लिए काफी मजबूत दलीलें दी। उन्होंने कहा कि इस हादसे के चलते उनका बेटा शारीरिक और मानसिक रूप से परेशान हुआ। उन्होंने दलील देते हुए यह भी कहा कि घटना को हुए कई साल गुजर गए हैं फिर भी उनके बेटे के पैरों के निशान अब तक नहीं गए हैं।  

कोर्ट में दलीलों को देते हुए एमरे की मां ने बताया कि इस दौरान वे एमरे को कई सारे डॉक्टरों के पास लेकर गईं। उन्होंने उसे प्लास्टिक सर्जन के पास भी दिखाया। डॉक्टर ने इस घाव को देखकर कहा कि शायद एमरे के पैर से यह निशान अब कभी न मिटे।  कोर्ट ने इन सभी दलीलों को सुनकर अपना फैसला देते हुए कहा कि एमरे के साथ हुए इस हादसे में टर्किश एयरलाइन्स जिम्मेदार है। एयरलाइन्स एमरे के परिवार को 56 हजार पाउंड्स (जो कि भारतीय रुपयों में तकरीबन 58 लाख रुपए हैं।) हर्जाने के तौर पर दे।

नीलमः जैसा कि आप जानते हैं कि दुनिया के लगभग हर देश में, हर कोने में भारतीय रहते हैं। कुछ-कुछ देश तो ऐसे हैं जहां भारतीयों की आबादी बहुत ज्यादा है। ऐसे देशों को अगर हम 'मिनी हिंदुस्तान' कहें तो गलत नहीं होगा। दक्षिण प्रशांत महासागर के मेलानेशिया में भी ऐसा ही एक द्वीपीय देश है, जहां की करीब 37 फीसदी आबादी भारतीय है और वो सैकड़ों साल से इस देश में रहते चले आ रहे हैं। यही वजह है कि यहां की राजभाषा में हिंदी भी शामिल है, जो अवधी के रूप में विकसित हुई है।

इस देश का नाम है फिजी। यहां प्रचुर मात्रा में वन, खनिज और जलीय स्रोत हैं। यही वजह है कि फिजी को प्रशांत महासागर के द्वीपों मे सबसे उन्नत राष्ट्र माना जाता है। यहां विदेशी मुद्रा का सबसे बड़ा स्त्रोत पर्यटन और चीनी का निर्यात है। फिजी द्वीप समूह अपने द्वीपों की खूबसूरती की वजह से ही दुनियाभर में मशहूर है और इसी वजह से बड़ी संख्या में लोग यहां घूमने भी आते हैं।

ब्रिटेन ने वर्ष 1874 में इस द्वीप को अपने नियंत्रण में लेकर इसे अपना एक उपनिवेश बना लिया था। इसके बाद वो हजारों भारतीय मजदूरों को यहां पांच साल केअनुबंध (कॉन्ट्रैक्ट) पर गन्ने के खेतों में काम करने के लिए ले आए थे और उनके सामने ये शर्त रख दी थी कि पांच साल पूरा होने के बाद अगर वो जाना चाहें तो जा सकते हैं, लेकिन अपने खर्चों पर और अगर वो पांच साल और काम करते हैं तो उसके बाद उन्हें ब्रिटिश जहाज भारत पहुंचाएंगे। ऐसे में ज्यादातर मजदूरों ने काम करना ही उचित समझा था, लेकिन बाद में वो भारत लौट नहीं पाए और फिजी के ही होकर रह गए। हालांकि 1920 और 1930 के दशक में हजारों भारतीय स्वेच्छा से आकर भी यहां बस गए थे।

फिजी द्वीपसमूह में कुल 322 द्वीप हैं, जिनमें से 106 द्वीप ही स्थायी रूप से बसे हुए हैं। यहां के दो प्रमुख द्वीप विती लेवु और वनुआ लेवु हैं, जिन पर इस देश की लगभग 87 फीसदी आबादी निवास करती है। फिजी के अधिकांश द्वीपों का निर्माण 15 करोड़ साल पहले ज्वालामुखीय विस्फोटों के कारण हुआ है। यहां अभी भी कई ऐसे द्वीप हैं, जहां अक्सर ज्वालामुखी विस्फोट होते रहते हैं।

बड़ी संख्या में भारतीयों के होने की वजह से इस देश में कई हिंदू मंदिर भी हैं। यहां का सबसे बड़ा मंदिर नादी शहर में स्थित है, जिसे श्री शिव सुब्रमन्या हिंदू मंदिर के नाम से जाना जाता है। फिजी में रहने वाले हिंदू हिंदुस्तान की तरह ही रामनवमी, होली और दिवाली जैसे त्योहार भी मनाते हैं।

अनिलः आज के प्रोग्राम में जानकारी यही तक। अब बारी है श्रोताओं के पत्रों की।

पहला पत्र हमें आया है, खुर्जा, यूपी से तिलक राज अरोड़डा का। लिखते हैं, भाई अनिल पांडेय जी बहन नीलम जी, सप्रेम नमस्ते। पिछला प्रोग्राम सुनकर दिल खुशी से झूम उठा। कार्यक्रम सुना और बेहद पसंद आया। कार्यक्रम की जितनी भी प्रंशसा की जाए उतनी ही कम है। कार्यक्रम में हवाई जहाज की लाइट्स के बारे में जो जानकारी सुनवायी प्रंशसा योग्य लगी।

वहीं डाइनासोर के बारे में विस्तारपूर्वक बताया गया।

कार्यक्रम में नटवर लाल ने अपने जीवन में इतनी चोरी और जालसाजी को अंजाम दिया वाली जानकारी विशेष रूप से पसंद आयी। जब हम छोटे थे तो नटवर लाल के किस्से किताबों में बड़े शौक से पढ़ा करते थे। एक बात हम कहना चाहते हैं कि नटवर लाल के पास दिमाग तो था ही जो कि अच्छे-अच्छे लोगों को चूना लगा देता था।

कार्यक्रम में एक और जानकारी थाईवान से सुनवायी जहां पर एक बैंक कर्मी ने 35 दिन के भीतर अपनी पत्नी से तीन बार तलाक दिया और चार बार शादी करके 32 दिनों की छुट्टी प्राप्त कर ली। यह भी दिमाग का ही खेल है।

कार्यक्रम में फिल्मी गीत कदी साडडी गली भुल के वी आया करो सुनकर बहुत ही आनंद आया। बेहतरीन कार्यक्रम टी टाइम सुंदर प्रस्तुति के साथ सुनवाने के लिये आप का शुक्रिया।

पत्र भेजने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया। तिलकराज अरोड़ा जी।

नीलमः अब बारी है अगले पत्र की। जिसे भेजा है, केसिंगा, उड़ीसा से सुरेश अग्रवाल ने। लिखते हैं,दिनांक 22 अप्रैल को पेश 'टी टाइम' का ताज़ा अंक भी चाव से सुना एवं जिसमें समाहित तमाम जानकारी दिलचस्प एवं सूचनाप्रद लगी। हवाई जहाज का आविष्कार सन 1903 में राइट बंधुओं ने किया था या कि साल 1895 में मुंबई के शिवकर बापूजी तलपड़े द्वारा, यह तो एक विवादित विषय है। इसी प्रकार वायरलैस का आविष्कार मारकोनी ने किया या कि जगदीशचन्द्र बसु ने, यह भी अंग्रेज़ ही जानें, परन्तु  हवाई जहाज की टैक्सी लाइट और टेक ऑफ लाइट पर दी गयी जानकारी अत्यंत महत्वपूर्ण लगी।क्योंकि अनेक बार हवाई सफ़र करने के बावज़ूद मैं भी इस तथ्य से अब तक अनभिज्ञ था।

आज से करोड़ों साल पहले पृथ्वी पर डायनासोर का अस्तित्व होने और फिर कोई 6.6 करोड़ साल पहले एक शहर के आकार के एस्टेरॉयड के पृथ्वी से टकराने के कारण डायनासोर सहित पृथ्वी पर से 75 फीसदी जीवन विलुप्त होने सम्बन्धी जानकारी अचंभित करने वाली लगी। सम्भव है कि इसमें कालगणना पूरी तरह सही न हो, परन्तु जो कुछ हुआ, उससे इन्कार नहीं किया जा सकता।   

वहीं जानकारियों के क्रम में यह जान कर गर्व हुआ कि नटवरलाल का वास्तविक नाम मिथलेश कुमार श्रीवास्तव था और वह मूलतः बिहार का रहने वाला था। अब बताइये कि उस पर गर्व न करें, तो और क्या करें ?    

चीन के थाइवान में शख़्स द्वारा महज़ छुट्टी हासिल करने के लिये तीन बार शादी और चार बार तलाक़ दिये जाने के किस्से पर तो यही कहा जा सकता है कि -ऐसा तो कोई सिरफिरा ही कर सकता है।

बहरहाल, इन तमाम जानकारियों के साथ कार्यक्रम में श्रोताओं की प्रतिक्रिया एवं जोक्स आदि को समुचित स्थान प्रदान कर प्रस्तुति को रोचक बनाने का शुक्रिया।

सुरेश जी प्रोग्राम के बारे में विस्तार से टिप्पणी करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।

अब पेश है प्रोग्राम का आखिरी खत। जिसे भेजा है खंडवा मध्य प्रदेश से दुर्गेश नागनपुरे ने। लिखते हैं, नमस्कार, शुभ संध्या। हमें टी टाइम प्रोग्राम का पिछला अंक बेहद पसंद आया। कार्यक्रम में सबसे पहले हवाई जहाज का आविष्कार करने वाले राइट बंधुओं के बारे में दी गयी जानकारी बहुत अच्छी लगी। वहीं डायनासोर, नटवरलाल और थाईवान के एक बैंक कर्मी की शादी और तलाक के बारे में दी गई विस्तृत जानकारी आश्चर्य से भरपूर लगी ।

जबकि कार्यक्रम में पेश हिन्दी गीत, मजेदार चुटकुले बहुत अच्छे लगे। कहना चाहता हूं कि इन दिनों श्रोताओं के पत्रों की संख्या कम देखने को मिल रही है । हम आशा करते हैं कि टी टाइम प्रोग्राम अधिक से अधिक श्रोता बंधु सुनेंगे । धन्यवाद

दुर्गेश जी—आपका बहुत बहुत धन्यवाद।

अब समय हो गया है जोक्स का।

पहला जोक

टीचर - बेटा अगर सच्चे दिल से प्रार्थना की जाए, तो

वो जरूर सफल होती है।

पप्पू - रहने दीजिए सर, अगर ऐसा होता, तो

आप मेरे सर नहीं, ससुर होते।

फिर क्या... पप्पू की हुई जोरदार धुनाई....

दूसरा जोक

मां - बेटा क्या कर रहे हो...?

.बेटा - पढ़ रहा हूं मां...!

.मां - शाबास! क्या पढ़ रहे हो...?

.बेटा - आपकी होने वाली बहू के मैसेज...!

.दे थप्पड़... दे थप्पड़...!

तीसरा जोक

कोच अपने छात्र से -

मैं बैडमिंटन के बारे में सबकुछ जानता हूं

.छात्र - सब कुछ...?

.कोच - हां... विश्वास नहीं हो तो कुछ भी पूछ सकते हो

छात्र - बैडमिंटन नेट में कितने छेद होते हैं...?

कोच अभी भी उस छात्र के चरणों में पड़ा हुआ है...

रेडियो प्रोग्राम