01 अप्रैल 2021

2021-04-01 18:00:51

अनिलः अब यह जानकारी...

सिंगापुर के वैज्ञानिकों ने कटहल जैसे दिखने वाले फल के इस्तेमाल से एक खास तरह का एंटीबैक्टीरियल जेल बैंडेज बनाया है। इस बैंडेज को लगाते ही कटे-फटे जख्म, चोट और बैक्टीरियल इंफेक्शन जल्दी ठीक हो सकते हैं। इस फल को ड्यूरियन हस्क कहते हैं। आपको बता दें कि दक्षिणपूर्व एशिया में इसे 'फलों का राजा' कहा जाता है। बाहर से ये फल, तो दुर्गंध देता है, लेकिन खाने में काफी टेस्टी होता है।

बता दें कि सिंगापुर के नानयांग टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने बताया कि ड्यूरियन हस्क के बाहरी कटीले छिलके को कचरा समझ कर फेंक दिया जाता है और अंदर का हिस्सा खाया जाता है। ड्यूरियन हस्क बाहर से देखने में बिल्कुल कटहल की तरह होता है। वैज्ञानिकों ने जेल बनाने के लिए इस फल के छिलके का इस्तेमाल किया है।

ड्यूरियन हस्क फल से वैज्ञानिकों ने उच्च-गुणवत्ता वाले सेल्युलोज को निकालकर, उसे ग्लाइसेरॉल में मिलाकर एक नरम जेल बनाया है। ये जेल एकदम सिलिकॉन शीट जैसा दिखता है और इसे किसी भी आकार में काटा जा सकता है। ग्लाइसेरॉल भी साबुन और बायोडिजल इंडस्ट्री से निकलने वाला बाय-प्रोडक्ट है। वाकई में वैज्ञानिकों ने बेकार की चीजों से एक काम की चीज बना दी है।

बता दें कि वैज्ञानिकों ने इस जेल में कुछ खास तरह के ऑर्गेनिक मॉलीक्यूल्स को भी जोड़ा है, जो बेकर्स यीस्ट बनाता है। इन वजहों से ड्यूरियन हस्क से बना जेल बैंडेज बैक्टीरिया के लिए घातक है।

सिंगापुर और उसके आसपास के देशों में ड्यूरियन हस्क के छिलके और ग्लाइसेरॉल भारी मात्रा में फेंका जाता है। हालांकि, इन दोनों बेकार चीजों से एंटीबैक्टीरियल जेल बैंडेज बनाना काफी फायेद की बात होगी। इस काम से भारी मात्रा में लोगों को रोजगार मिलेंगे और कचरा से भी निजात मिलेगा। साथ ही इस बैंडेज के लगाए जाने से रिकवरी जल्दी होगी और घाव जल्दी भरेगा।

नीलमः कभी-कभी लोगों के साथ कुछ ऐसी घटनाएं घट जाती हैं, जो चिकित्सकों को भी हैरान कर देती हैं। थाइलैंड में भी एक ऐसा ही मामला सामने आया है। थाइलैंड के एक 67 वर्षीय शख्स को पेट में दर्द और पेट फूलने की शिकायत थी। ऐसे में उन्हें अस्पताल ले जाया गया। डॉक्टरों ने जांच में पाया कि उनके पेट में 59 फीट का कीड़ा (परजीवी) है।

'द सन' की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यह मामला थाईलैंड के नोंगखाई प्रांत का है। शख्स को काफी समय से दर्द की शिकायत थी। लेकिन अस्पताल में जब उनका टेस्ट कराया गया, तो डॉक्टर भी हैरान रह गए। टेस्ट में ये सामने आया कि शख्स के पीछे के प्राइवेट पार्ट में काफी लंबा परजीवी है।

बता दें कि इस शख्स की जांच थाईलैंड के नोंगखाई प्रांत में पैरासिटिक डिजीज रिसर्च सेंटर में हुई। रिसर्च सेंटर के प्रवक्ता ने बताया कि पेट दर्द की शिकायत लेकर एक शख्स सेंटर में आया था। डॉक्टरों नें जब इसकी जांच की, तो उसके प्राइवेट पार्ट से 18 मीटर से अधिक लंबा परजीवी पाया गया।

चिकित्सकों के अनुसार, ऐसे परजीवी कच्चा मांस खाने से पेट में पहुंच जाते हैं। आपको ये जानकर हैरानी होगी कि ये परजीवी इंसान के पेट में 30 वर्षों से भी अधिक समय तक जीवित रह सकते हैं। हालांकि, ऐसी कई बेहतर दवाएं उपलब्ध हैं, जिनके सेवन से इनकी समस्या से निजात पाया जा सकता है।

हालांकि, इस शख्स के पेट से काफी लंबा परजीवी निकाला गया है। डॉक्टरों ने काफी सूझबूझ के साथ इसे बाहर निकाला। इसके लिए पहले मरीज को दवा दी गई, फिर पीछे के रास्ते से परजीवी को बाहर निकाला गया। परजीवी की लंबाई अधिक होने के कारण निकालने में काफी समय लगा। फिलहाल मरीज की हालात पहले से बेहतर और उसे खानपान को लेकर विशेष सलाह दी गई है।

अनिलः वहीं एक और खबर...ऑस्ट्रेलिया इन दिनों एक के बाद एक मुसीबतों का सामना कर रहा है। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस को ये देश झेल ही रहा था कि इसी बीच जंगल में लगी आगों ने बुरी तरह से हिला दिया। फिलहाल इस देश में एक मुसीबत चूहों के कारण पनपती दिख रही है। यहां पर एकाएक चूहों की संख्या इतनी बढ़ गई है कि स्थानीय दुकनदार से लेकर आम लोग दिनभर चूहें पकड़ रहे हैं। ऐसी आशंका जताई जा रही है कि चूहों के कारण प्लेग जैसी महामारी न फैल जाए।

बता दें कि ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स और क्वींसलैंड जैसे शहरों में एकाएक लाखों की संख्या में हर तरफ चूहे दिख रहे हैं। सोशल मीडिया पर लोग वीडियो साझा कर अपने घरों में चूहों के आतंक को दिखा रहे हैं। आखिर ऑस्ट्रेलिया में चूहों का इतना आतंक क्यों मचा हुआ है, इसे समझने के लिए थोड़ा इतिहास में जाना होगा।

एक समय ऐसा था, जब ऑस्ट्रेलिया में चूहे बिल्कुल नहीं थे। यहां साल 1787 में पहली चूहों को देखा गया। जांच के दौरान पता चला कि ये चूहे ब्रिटेन से व्यापार के दौरान जहाज से होते हुए ऑस्ट्रेलिया पहुंच गए थे।

बता दें कि दुनिया के लगभग सभी देशों में चूहे चीन से फैले माने जाते हैं। अक्सर व्यापार के आने-जाने वाले जहाजों के जरिए ये फैलता था। इतिहासकारों के मुताबिक, लगभग 2 हजार साल पहले चीन की वजह से ही दूसरे देशों में प्लेग का एक खास प्रकार पहुंचने लगा। इस बात का प्रमाण साल 1347 में मिला था, जब इटली में चीन से आए 12 जहाजों के कारण चूहे भी आए थे और फिर पूरी इटली प्लेग की चपेट में आ गई।

ताजा हालातों की बात करें, तो पिछले साल के मध्य से ही ऑस्ट्रेलिया में चूहे बढ़ने लगे थे। उसी समय से इनकी तादाद बढ़ती जा रही है। चूहों से लोगों को केवल अनाज और दूसरे सामानों के नुकसान का ही डर नहीं, बल्कि प्लेग जैसी महामारी का डर भी सता रहा है। ऑस्ट्रेलिया के कई प्रांतों में पानी की टंकियों में चूहे मरे मिले, इसके बाद से ये आशंका और बढ़ गई है।

नीलमः दोस्तो, अब पेश करते हैं एक और रोचक खबर...

दुनियाभर में जीव-जंतुओं की कई प्रजातियां पाई जाती हैं। लेकिन इनमें से कुछ प्रजाति ऐसी भी हैं, जो लगभग विलुप्त हो चुकी हैं। कुछ इसी तरह की एक प्रजाति है तस्मानिया टाइगर। इस खास प्रजाति का जानवर आधा कुत्ता और आधा बाघ की तरह दिखाई देता है। लेकिन यह प्रजाति के विलुप्त हुए करीब 85 साल का समय हो गया है। हैरान करने वाली बात ये है कि ऑस्ट्रेलिया के तस्मानिया में लोगों ने ऐसे जीव को देखने का दावा किया है।

आमतौर पर ऑस्ट्रेलिया के तस्मानिया में इस खास प्रजाति के जानवर को खूब देखा जाता था। मगर समय के साथ-साथ इनकी संख्या कम होती चली गई। ऐसे में साल 1936 में ही इसे विलुप्त घोषित कर दिया गया था। लेकिन ऑस्ट्रेलिया के थाइलासीन अवेयरनेस ग्रुप के प्रेसीडेंट नील वाटर्स ने खुलासा किया है कि उन्होंने तस्मानियन टाइगर के एक परिवार को जंगलों में देखा है। इतना ही नहीं सबूत के तौर पर नील वाटर्स के पास इसके कुछ फोटोग्राफ्स भी हैं।

नील वाटर्स का कहना है कि उनके पास चार ऐसी तस्वीरें हैं, जिसमें तस्मानियन टाइगर का पूरा परिवार है और इनमें कुछ बच्चे भी हैं। इस दावे के बाद से वन्यजीव प्रेमियों के बीच खुशी की एक लहर दौड़ पड़ी। हालांकि, कुछ दिन बाद ही नील वॉटर्स की तस्वीरें गलत साबित हुई और उन्हें कहा गया कि आपसे पहचानने में गलती हुई है।

बता दें कि मनोवैज्ञानिक इस तरह के झूठ को प्रचार का तरीका मानते हैं। नील वाटर्स के दावे को विशेषज्ञ सच नहीं मान रहे हैं। उनके मुताबिक तस्मानियन टाइगर की मौजूद तस्वीरें मोर्फड है और यह महज एक पब्लिसिटी स्टंट है।

अगर कोई जीव कई दशक पहले ही खत्म हो चुका है, तो उसे फिर से देखना बिल्कुल संभव नहीं है। तस्मानियन टाइगर की तस्वीरें और वीडियो पहले से ही मौजूद हैं और ये लोगों की मेमोरी में भी हैं। लेकिन इसे वापस फिर से देखने की खबर झूठी साबित हो रही है।

अनिलः प्रोग्राम में जानकारी देने का सिलसिला यही संपन्न होता है। अब बारी है श्रोताओं के पत्रों की...

दोस्तो, पेश है पहला पत्र। जिसे भेजा है खंडवा मध्य प्रदेश से दुर्गेश नागनपुरे ने। लिखते हैं, हमारी ओर से सीआरआई हिन्दी सेवा की पूरी टीम और सभी श्रोता बंधुओं को होली की हार्दिक शुभकामनायें। सभी श्रोताओं को होली की ढेर सारी शुभकामनाएं।

होली शायरी  :- 

सभी रंगों का रास है होली,मन का उल्लास है होलीजीवन में खुशियां भर देती है,बस इसीलिए ख़ास है होली।हैप्पी होली

आगे लिखते हैं, हमें दिनांक 25 मार्च का कार्यक्रम बेहद लाजवाब लगा। इस बार के टी टाइम में आपने हमें रेमंड शॉफर जी के बारे में बताया, वहीं नॉर्वे की राजधानी ओस्लो एक ऐसे शहर के रूप में उभरा है, जहां एक लीटर पानी की कीमत 1.85 डॉलर यानी करीब 134 रुपये है। यह जानकारियां वाकई में हमें बहुत ही रोचक और ज्ञानवर्धक लगी । धन्यवाद।

दुर्गेश जी धन्यवाद।

नीलमः अब पेश है अगला पत्र, जिसे भेजा है, हमारे पुराने श्रोता सुरेश अग्रवाल ने। लिखते हैं,

आदरणीय अनिलजी एवं नीलमजी, सस्नेह नमस्ते तथा होली की ढ़ेर सारी शुभकामनाएं।

हर बार की तरह आज दिनांक 25 मार्च का साप्ताहिक "टी टाइम" भी गौर से सुना और जिसमें दी गयी तमाम जानकारियों को रोचक एवं ज्ञानवर्ध्दक पाया। द्वितीय विश्वयुद्ध में शामिल रेमंड शॉफर नामक अमेरिकी सेनानी द्वारा 96 साल की उम्र में अपना हाईस्कूल डिप्लोमा हासिल किया जाना पढ़ाई के प्रति उनके ज़ज़्बे को दर्शाता है, जिसे हम सलाम करते हैं। वैसे भी किसी ने सच कहा है कि पढ़ने की कोई उम्र नहीं होती, जिसे उन्होंने चरितार्थ कर दिखाया है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के हवाले से नॉर्वे की राजधानी ओस्लो सहित विश्व के विभिन्न शहरों में पानी की क़ीमत के बारे में सुन कर सर चकरा गया। भारत में भी बोतलबंद पानी की औसत क़ीमत बीस रुपये है, परन्तु हमारे देश में लोगों की प्यास बुझाने आज भी ठण्डे पेयजल के प्याऊ लगाये जाते हैं। 

जानकारियों के क्रम में समुद्र में रहने वाले विभिन जीवों का तैरते समय गोलाकार दिशा में घूमने के कारणों पर दी गयी जानकारी भी काफी सूचनाप्रद लगी। आश्चर्य तो इस बात को लेकर हुआ कि जल-जीवों की इस प्रकार की छोटी-मोटी गतिविधियों पर भी वैज्ञानिक शोध आयोजित किये जाते हैं।

वहीं जलवायु परिवर्तन से अंटार्कटिका प्रायद्वीप पर पड़ने वाले प्रभाव एवं ख़ास कर साल 2044 तक इस प्रायद्वीप में जलवायु परिवर्तन की वजह से तापमान में होने वाली आधे से डेढ़ डिग्री सेल्सियस की वृध्दि के परिणाम सम्बन्धी जानकारी हमें कुछ सोचने पर मज़बूर कर गयी।

जानकारियों के अलावा कार्यक्रम में पेश श्रोताओं की प्रतिक्रिया एवं तीनों जोक्स भी उम्दा लगे। धन्यवाद फिर एक उम्दा प्रस्तुति के लिये।

सुरेश जी प्रोग्राम के बारे में टिप्पणी करने और पत्र भेजने के लिए शुक्रिया।

अनिलः अब पेश है, अगला पत्र। जिसे भेजा है, खुर्जा यूपी से तिलक राज अरोड़ा ने। भाई अनिल पाण्डेय जी बहन नीलम जी, सप्रेम नमस्ते। टी टाइम कार्यक्रम सुनकर दिल खुशी से झूम उठा। कार्यक्रम की जितनी भी प्रंशसा की जाए उतनी ही कम है। कार्यक्रम में अमेरिका के रहने वाले एक शख्स ने 96 साल की उम्र में हाईस्कूल का डिप्लोमा प्राप्त किया। यह जानकारी बहुत ही सुंदर लगी। रेमंड शाफर के इस जज्बे, लगन और मेहनत से हाईस्कूल का डिप्लोमा प्राप्त किया हम दिल से प्रणाम करते हैं।

वहीं नार्वे की राजधानी ओस्लो में एक लीटर पानी की कीमत 1.85 डॉलर यानी 134 रुपये है जानकारी सुनवायी। पानी की इतनी अधिक कीमत सुनकर बहुत आश्चर्य हुआ। जबकि कार्यक्रम में अगली जानकारी समुंद्र में जीव तैरते समय गोलाकार दिशा में घूमते रहते है। इस विषय पर वैज्ञानिकों ने शोध करके जो कारण बताए बहुत ही पसंद आये।

टी टाइम के इस अंक में रंगों का पर्व होली पर गीत रंग बरसे भीगे चुनर वाली रंग बरसे सुनकर होली की मस्ती में डूब गये। कार्यक्रम में यह गीत विशेष रूप से पसंद आया।

कार्यक्रम में श्रोता बंधुओ के पत्र सराहनीय लगे।

कार्यक्रम में जोक्स सुनकर बहुत ही आनंद आया।

अरोड़ा जी आपको एक बार फिर से होली की शुभकामनाएं....पत्र भेजने के लिए धन्यवाद।

श्रोताओं की टिप्पणी यही संपन्न होती है, अब बारी है जोक्स की...

पहला जोक..

पत्रकार - 80 साल की उम्र में भी आप बीवी को डार्लिंग कहते हैं...! 

इस प्यार का राज क्या है...?

बूढ़ा - बेटा, 20 साल पहले इनका नाम भूल गया था,

आज तक पूछने की हिम्मत नहीं हुई...

इसलिए डार्लिंग बोलता पड़ता है...!

दूसरा जोक...

टीचर - एक टोकरी में 10 आम थे 3 सड़ गए,

तो कितने आम बचे...?

.बन्टू - 10

.टीचर - अरे मूर्ख 10 कैसे बचेंगे...?

.बन्टू - सड़े हुए आम कहां जाएंगे,

सड़ने से केले थोड़ी बन जाएंगे...!

तीसरा जोक...

लड़की (मैकेनिक से) - भैया स्कूटी का ब्रेक खराब हो गया है! 

मैकेनिक - ब्रेक तो ठीक है मैडम,

आपका सैंडल घिस गया है...

इसलिए गाड़ी नहीं रूक पा रही...!

रेडियो प्रोग्राम