18 मार्च 2021

2021-03-16 21:39:07

अनिलः अब पेश करते हैं यह जानकारी। जापान में एक स्टेम-सेल वैज्ञानिक एक खास तरह का शोध शुरू किया है और वहां की सरकार के द्वारा इसके लिए सरकारी सहायता भी मिलनी शुरू हो गई है। बता दें कि वैज्ञानिक एक ऐसे तरीके पर काम कर रहा है, जिससे पशुओं के गर्भ में मानव-कोशिकाओं का विकास हो सकेगा। ऐसे में अब जानवर एक तरह से सरोगेट मां की तरह काम करेंगे। जानवर की कोख से इंसान का जन्म हो सकता है।

दुनियाभर में विज्ञान के माध्यम से एक से बढ़कर एक प्रयोग किए जा रहे हैं। कुछ इसी कड़ी में जापान में हिरोमित्सू नकॉची नामक एक वैज्ञानिक जानवरों पर खास शोध कर रहे हैं। बता दें कि जापान सरकार ने भी उन्हें जानवरों की कोख में इंसानी भ्रूण के विकास पर प्रयोग करने की इजाजत दे दी है। हिरोमित्सू अपने टीम के साथ मिलकर इस शोध को शुरू भी कर दिए हैं।

हिरोमित्सू नकॉची और उनकी टीम पहले चूहों के एंब्रियो में मानव कोशिकाएं विकसित करेंगे, फिर उस एंब्रियो को सरोगेट जानवरों के गर्भ में प्रत्यारोपित कर देंगे। बता दें कि इस प्रयोग का मकसद इंसानी शिशु बनाना नहीं, बल्कि ऐसे पशु तैयार करना है, जिनके शरीर के अंग मानव कोशिकाओं से बने हों। जरूरत पड़ने पर इन जानवरों के अंगों को इंसानों में प्रत्यारोपित किया जा सकता है।

हालांकि, जापान से पहले कई देश ऐसे प्रोजेक्ट को कुदरत से खिलवाड़ बताते हुए नामंजूर कर चुके हैं। साल 2015 से पहले अमेरिका में इस तरह की कोशिशें चल रही थी, लेकिन नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ इसे गलत बताते हुए रोक लगा दी थी। लेकिन जापान के वैज्ञानिक कुदरती प्रक्रिया को चुनौती देते हुए जानवर की कोख से इंसान के जन्म लेने के प्रोजेक्ट पर जुट गए हैं।

जापान के इस प्रोजेक्ट के कारण खतरनाक परिणाम भी सामने आ सकते हैं। अगर ये प्रोजेक्ट कामयाब हो गया, तो फिर संभव है कि आने वाले वक्त में एक ऐसा जीव अस्तित्व में आ जाए जो आधा इंसान और आधा जानवर हो। ऐसे कई तरह के खतरों को देखते हुए दुनिया के कई देशों ने इस तरह के प्रोजेक्ट रोक दिए।

नीलमः अब अगली जानकारी से रूबरू करवाते हैं। शरीर पर टैटू गुदवाने का चलन काफी लंबे समय से प्रचलित है। पिछले कुछ सालों से टैटू गुदवाने में कई तरह के ट्रेंड जुड़ते जा रहे हैं। अक्सर लोग अपने शरीर के कुछ खास हिस्सों पर कोई चित्र या नाम का टैटू गुदवाते हैं, जिसे देखकर वह खुश हो जाएं। टैटू गुदवाने का सबसे अधिक क्रेज युवाओं में देखने को मिलता है। लेकिन जर्मनी के 72 वर्षीय वोल्फगांग किर्श केवल दो-चार टैटू से खुश नहीं थे। इस बुजुर्ग को ऐसी सनक पकड़ी की अपने शरीर के लगभग 98 फीसदी अंगों पर टैटू गुदवा लिया है।

बता दें कि वोल्फगांग किर्श अपने शरीर पर कुल 86 टैटू और 17 इंप्लांट बनवाए हैं। उनके हाथ, पैर, चेहरे, आंख यहां तक कि होठों पर भी टैटू बने हुए हैं। वोल्फगांग खुद का उपनाम 'मैग्नेटो' रखा है। इसके पीछे वजह ये है कि उनके कुछ इंप्लांट में चुंबक लगे हुए हैं, जिससे उनके शरीर से लोहे से बनी छोटी-छोटी चीजें चिपक जाती हैं। वोल्फगांग ने केवल पैरों के तलवे में अभी टैटू नहीं बनवाया है। 

वोल्फगांग किर्श डाक विभाग में काम करते थे, लेकिन खुद को दूसरों से अलग दिखाना चाहते थे। दरअसल, पूर्वी जर्मनी में लोग टैटू को बहुत बुरी नजर से देखते थे। ऐसे में मैग्नेटो ने 46 साल की उम्र में अपना पहला टैटू बनवाया था।

दुनिया की भीड़ से खुद को अलग दिखाने की चाहत में मैग्नेटो को 20 साल लग गए। हालांकि, इसके लिए उन्हें जरा भी दुख नहीं हुआ। वोल्फगांग को पूरे शरीर में टैटू बनवाने में करीब 720 घंटे का समय लगा। इन टैटू को बनवाने में वोल्फगांग ने करीब 21,84,861 रुपये खर्च भी कर दिए। हालांकि, शरीर पर इतने टैटू बनवाने की वजह से वोल्फगांग किर्श को अक्सर मॉडलिंग और फोटोशूट के लिए बुलाया जाता है। फिलहाल वोल्फगांग किर्श जर्मनी में सबसे अधिक टैटू बनवाने वाले शख्स हैं।

अनिलः अब एक और जानकारी.. सऊदी अरब में एक ऐसे शहर बसाने की तैयारी हो रही है, जहां निजी गाड़ियां नहीं चल सकेंगी। सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने इस खास शहर को बनाने का ऐलान किया है। खबरों के मुताबिक, बहुत जल्द ही इस शहर का निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा। साल 2017 में ही निओम प्रोजेक्ट का ऐलान किया था। ये शहर भी इसी प्रोजेक्ट का हिस्सा है।

सऊदी अरब में बनने वाला इस नए शहर का क्षेत्रफल करीब 170 किलोमीटर में फैला होगा। निओम प्रोजेक्ट पर सऊदी अरब 500 बिलियन अमेरिकी डॉलर यानी 36.32 लाख करोड़ रुपये खर्च कर रहा है। निओम प्रोजेक्ट के तहत बनने वाले इस शहर का नाम 'द लाइन' (The Line) होगा।

'द लाइन' शहर की सबसे खास बात ये है कि यहां निजी कारों का उपयोग प्रतिबंधित होगा। इस अनोखे शहर में केवल सार्वजनिक वाहनों को इस्तेमाल में लाया जाएगा। शहर की आधारभूत संरचनाओं के निर्माण पर 100 से 200 बिलियन अमेरिकी डॉलर यानी 7.26 लाख करोड़ से 14.53 लाख करोड़ रुपये की लागत आएगी। बता दें कि सऊदी अरब में बनने जा रहे इस नए शहर में करीब 10 लाख लोग रहेंगे, वहीं साल 2030 तक इस खास शहर में 3 लाख 80 हजार रोजगार भी पैदा होंगे।

सऊदी अरब की सरकार का ये कहना है कि आने वाले समय में इस शहर में कार्बन उत्सर्जन बिल्कुल नहीं होगा। इस अनोखे शहर में स्कूल, स्वास्थ्य केंद्र और हरियाली होगी। 'द लाइन' शहर को कुछ इस तरह से बनाया जाएगा कि किसी भी जरूरी जगह पर पहुंचने में 20 मिनट से अधिक का समय नहीं लगेगा। इस शहर को बनाने में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की अहम भूमिका होगी।

निओम प्रोजेक्ट के तहत बनने जा रहे इस अनोखे शहर में अल्ट्रा-हाई-स्पीड ट्रांजिट और ऑटोनॉमस मोबिलिटी सॉल्यूशंस का उपयोग किया जाएगा। लाल सागर के तट पर इस शहर के निर्माण से साल 2030 में सऊदी अरब की GDP में 48 अरब डॉलर के आने का अनुमान भी लगाया जा रहा है।

नीलमः आपने एक से बढ़कर एक आलीशान और महंगे होटलों के बारे में सुना होगा और शायद देखा भी हो या आप वहां रहे भी होंगे, लेकिन क्या आपने दुनिया का सबसे छोटा होटल देखा है? इसे 'मिनी होटल' भी कह सकते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि दुनिया का यह सबसे छोटा होटल किसी इमारत में नहीं, बल्कि एक कार में है। यह होटल दक्षिण पश्चिम एशिया में अकाबा खाड़ी के दक्षिण में स्थित अरब देश जॉर्डन में है। इस होटल के मालिक का नाम मोहम्मद अल-मालाहिम है, जो जॉर्डन के ही रहने वाले हैं। उनका दावा है कि उनका विंटेज वॉक्सवैगन बीटल होटल दुनिया में सबसे छोटा और अनोखा है। 

इस छोटे से होटल की शुरुआत साल 2011 में हुई थी। इसके मालिक मोहम्मद अल-मालाहिम कहते हैं कि उनका यह होटल बड़े-बड़े पत्थरों के बीच खड़ा है। यही वजह है कि यहां आने वाले लोगों को अद्भुत नजारे देखने को मिल जाते हैं। 

हालांकि इस होटल की सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि यहां एक वक्त में सिर्फ दो ही लोग रूक सकते हैं। यह कपल के लिए अच्छा हो सकता है। बिजनेस इनसाइडर की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यहां ठहरने वाले मेहमानों को एक दिन के लगभग 56 डॉलर यानी करीब चार हजार रुपये देने पड़ते हैं।  

हालांकि ऐसा नहीं है कि आप जब चाहें तब इस 'मिनी होटल' में रूक सकते हैं, बल्कि यहां रुकने के लिए लोगों को लंबा इंतजार करना पड़ता है। यहां ठहरने के लिए पहले से ही बुकिंग करवानी पड़ती है। इस विंटेज वॉक्सवैगन बीटल होटल को हैंडमेड एम्ब्राइडरी शीट और तकियों से सजाया गया है। इस होटल में ठहरने वाले लोगों को पास की ही एक गुफा में अल-मालाहिम स्थानीय पेय और नाश्ता भी परोसते हैं।

इसी के साथ प्रोग्राम में जानकारी देने का सिलसिला संपन्न होता है। 

अनिलः अब बारी है श्रोताओं के पत्रों की। पहला पत्र भेजा है, केसिंगा, उड़ीसा से सुरेश अग्रवाल ने। लिखते हैं, सीआरआई हिन्दी के सबसे अधिक लोकप्रिय साप्ताहिक "टी टाइम" की 11 मार्च की प्रस्तुति भी लाज़वाब लगी। जहाँ एक ओर विश्व की बड़ी आबादी लंबे समय से भुखमरी से जूझ रही है वहीं भारत सहित विभिन्न देशों में खाने की बर्बादी के आंकड़ों सम्बन्धी जानकारी हैरान करने वाली लगी। भगवान लोगों को सद्बुद्धि प्रदान करें। अमेरिका में डॉ. स्कॉट ग्रीन द्वारा ऑपरेशन थिएटर से ऑपरेशन के दौरान ही अदालती सुनवाई में शामिल होना उनकी घोर लापरवाही का द्योतक है। 

यह जान कर अच्छा लगा कि अपराध दर कम होने के कारण नीदरलैंड्स की जेल बंद होने की कगार पर हैं। 'काश' यही स्थिति पूरे विश्व की होती। वहीं अमेरिका में एक बच्चे की नाक में आठ साल तक मेटल बीबी पैलेट नामक बन्दूक की गोली के फंसे रहने वाला समाचार भी चौंकाने वाला लगा। धन्य हैं वे डॉक्टर, जिन्होंने इसकी पहचान कर बच्चे का सही इलाज़ किया और उसकी जान बचायी। इन तमाम जानकारियों के साथ श्रोता-मित्रों के साथ मेरी प्रतिक्रिया एवं जोक्स को स्थान दिया जाना भी अच्छा लगा। अफ़सोस की बात है कि अधिकतर श्रोता-मित्र रेड़ियो प्रतियोगिता आदि के समय तो अपनी उपस्थिति दर्ज़ कराते हैं, पर सामान्य स्थिति में कार्यक्रमों में झांक कर देखना भी पसन्द नहीं करते। बहरहाल, फिर एक बेहतरीन प्रस्तुति के लिये आपका साधुवाद। सुरेश जी बहुत-बहुत धन्यवाद। पत्र भेजने और प्रोग्राम के बारे में टिप्पणी करने के लिए।

नीलमः अब पेश है, अगला पत्र, जो हमें भेजा है, खंडवा, मध्य प्रदेश से, दुर्गेश नागनपुरे ने। लिखते हैं, हमें दिनांक 11 मार्च दिन गुरुवार का टी-टाइम प्रोग्राम बहुत लाजवाब लगा । आपके द्वारा प्रोग्राम में खाने की बर्बादी और नीदरलैंड की एक जेल के बारे में दी गयी जानकारी काफी रोचक लगी। वहीं कार्यक्रम में प्रस्तुत मजेदार जोक्स और हिन्दी गीत परदेसी-परदेसी जाना नहीं बहुत ही कर्णप्रिय लगे । धन्यवाद

दुर्गेश जी, पत्र भेजने के लिए शुक्रिया। 

अब प्रस्तुत है, अगला पत्र। जो हमें भेजा है, खुर्जा, यूपी से तिलक राज अरोड़ा ने। लिखते हैं, पिछला टी-टाइम कार्यक्रम सुना और बहुत पसंद आया। कार्यक्रम की जितनी भी प्रंशसा की जाए उतनी ही कम है।

विकासशील देशों और विकसित देशों में साल 2019 में 93 करोड़ 10 लाख टन खाना बर्बाद हुआ। यह जानकारी सुनकर बहुत ही दुख हुआ। अमेरिका में एक डॉक्टर ऑपरेशन थियेटर से ही वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये अदालत की सुनवायी में शामिल हुआ। यह जानकारी भी सुनी और अलग लगी। जबकि नीदरलैंड एक ऐसा देश है जहां पर जेलें बंद होने को हैं। यह तो बहुत ही खुशी की बात है। काश ऐसा पूरी दुनिया में हो जाये तो कितना अच्छा होगा। इसके साथ ही बताया गया कि अमेरिका में एक बच्चे की नाक में 8 साल तक बंदूक की गोली फंसी रही। कार्यक्रम में यह जानकारी भी सुनी। सच में आजकल रोज नए-नए मामले सुनने में आ रहे हैं। 

वहीं प्रोग्राम में परदेसी-परदेसी जाना नहीं फिल्मी गीत सुनकर मन को सुकून मिला। 

कार्यक्रम में दुर्गेश नागनपुरे और सुरेश अग्रवाल जी के पत्र सराहनीय लगे। कार्यक्रम में अपना पत्र भी सुना।

जोक्स मनोरंजन से भरपूर लगे। शानदार प्रस्तुति के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। अरोड़ा जी पत्र भेजने के लिए आपका भी शुक्रिया। 

अनिलः अब प्रस्तुत है, पंतनगर, उत्तराखंड से वीरेंद्र मेहता का पत्र। लिखते हैं, नमस्कार, नी हाउ - टी टाइम प्रोग्राम का नया अंक सुना - आज की जानकारी का आगाज आपने विश्व भर में हो रही भुखमरी के बावजूद खाने की बर्बादी को लेकर किया । रिपोर्ट सचमुच हैरानी में डालने वाली लगी, जैसे कि आपने बताया 2019 में लगभग 93 करोड़ 10 लाख टन खाना बर्बाद हुआ और अलग-अलग देशों के आंकड़े आपने सामने रखे। आश्चर्य की बात तो यह है कि गरीबी होने के बावजूद , भारत खाना बर्बाद करने वाले देशों में गिना जाता है । जिस कंपनी में मैं कार्य करता हूं यहां कैंटीन पर एक बोर्ड लगा हुआ है जिस पर लिखा हुआ है Take All You Can Eat , But All You Take.  मतलब यही निकलता है कि खाना बर्बाद ना करें । यहां पर बकायदा मॉनिटरिंग भी होती है कि कितने लोगों ने खाना खाया और कितना किलो खाना बर्बाद हुआ। जो कि बोर्ड में डेली अपडेट होता है ।और हमारे गांव घरों में आज भी जो पुराने लोग हैं मैंने उन्हें देखा है और उनसे सीखा है वह एक गेहूं का दाना या चावल का दाना भी बर्बाद नहीं होने देते हैं । क्योंकि जो लोग खेती-किसानी करते हैं वह यह बात को बहुत अच्छी तरह से जानते हैं। और हमारे यहां एक कहावत भी है अगर तुम खाने की बर्बादी करोगे तो यह तुम्हें " फिटकार "  फोकेगा अर्थात तुम्हें भी अन्न देवता श्राप देंगे। क्योंकि तुम इसकी बर्बादी कर रहे  हो । मेरी भी आदत ऐसी है कि अगर प्लेट में खाना ज्यादा आ गया और खाया न गया तो खाना  फेंकने में मन ही मन में शर्म  सी लगती है । और वही डॉक्टर का ऑपरेशन थिएटर से ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अदालत की सुनवाई में शामिल होने वाली खबर भी अजीबो-गरीब लगी । और दुनिया भर में तमाम देशों के जेलों के बारे में आपने बताया, जहां कि अब अपराधी ना के बराबर  हैं। अब यह जेल होटलों और ऑफिसों में तब्दील हो चुके हैं , जानकारी बहुत अच्छी लगी । धन्यवाद सुंदर प्रोग्राम की प्रस्तुति के लिए !!

वीरेंद्र जी, पत्र भेजने के लिए धन्यवाद। 

अब बारी है जोक्स यानी हंसगुल्लों की..

पहला जोक..

कल रास्ते में स्कूल में साथ पढ़ने वाली एक लड़की दिखी...

.पप्पू ने पूछा - तुम्हें याद है हम साथ में पढ़ते थे...?

.लड़की ने जवाब दिया - पढ़ती तो मैं थी,

तू तो मुर्गा बनता था...!

दूसरा जोक

मास्टर जी - तुमने होमवर्क क्यों नहीं किया...?

.पप्पू - मैं हॉस्टल में रहता हूं ना...

.मास्टर जी - तो...?

.पप्पू - हॉस्टल में होमवर्क कैसे कर सकता हूं,

हॉस्टल वर्क देना चाहिए था ना...!

.फिर हुई पप्पू की जोरदार धुनाई।

तीसरा जोक... परम सत्य ज्ञान

.सर्वश्रेष्ठ योगासन - पत्नी कुछ कहे तो गर्दन दो बार ऊपर नीचे करें...!

.फायदा - इससे आपका जीवन खुशहाल रहेगा।

.ध्यान दें - भूल से भी गर्दन दाएं-बाएं न करें,

यह जानलेवा हो सकता है...!

रेडियो प्रोग्राम