04 फरवरी 2021

2021-02-03 17:08:16

अनिलः सबसे पहले यह जानकारी... आबादी में लगातार हो रही बढ़ोतरी व प्राकृतिक संसाधनों के दोहन से ना केवल धरती पर हालात खराब हुए हैं, बल्कि समुद्री दुनिया को लेकर भी कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। हाल ही में हुए एक रिसर्च में इस बात का खुलासा हुआ है कि समुद्र में बहुत अधिक मछली पकड़े जाने से शार्क मछलियों के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। इस रिसर्च के मुताबिक शार्क मछलियां हमेशा के लिए खत्म हो सकती हैं।

वैज्ञानिकों के अध्ययन के मुताबिक, साल 1970 के बाद से शार्क और रे मछलियों की जनसंख्या में 71 फीसदी की गिरावट आई है। शार्क और रे मछलियों की 31 में से 24 प्रजातियां अब संकटग्रस्त प्रजातियों की सूची में आ चुकी हैं। बता दें कि साल 1970 के बाद से हिंद महासागर में शार्क मछलियों के हालात इतने ज्यादा बिगड़े हैं कि इनकी आबादी में 84.7 फीसदी की गिरावट आई है। इसके अलावा ओशेनिक वाइटटिप और ग्रेट हैमरहेड शार्क पर भी विलुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है।

कई दशकों से वैज्ञानिक इस बात कि आशंका जता रहे हैं कि शार्क की प्रजातियां में जबरदस्त गिरावट आ रही है। लेकिन पिछले 50 साल ग्लोबल स्तर पर शार्क मछली के लिए बेहद भयावह रहे हैं। कनाडा के सिमोन फ्रासेर यूनिवर्सिटी और ब्रिटेन के यूनिवर्सिटी ऑफ एक्सटेर के वैज्ञानिकों ने अपने शोध में पाया कि साल 1970 से लेकर अबतक मछली पकड़ने पर दबाव 18 गुना बढ़ गया है, जिससे समुद्र के इको सिस्टम पर प्रभाव पड़ा है। ऐसे में कई जलीय जीव विलुप्त होने के कगार पर हैं।

नीलमः वैज्ञानिकों की मानें तो शार्क और रे मछलियों को बचाने के लिए जितना जल्दी हो सके सही कदम उठाने की जरूरत है। समुद्री मामलों के विशेषज्ञ डॉक्टर रिचर्ड शेर्ले ने कहा कि अगर अभी कदम नहीं उठाए गए, तो हालात काफी ज्यादा खतरनाक हो सकते हैं। रिचर्ड ने ये भी कहा कि इस मामले में सरकारों पर भी लोगों द्वारा दबाव बनाने की जरूरत है।

वहीं इस मामले पर बात करते हुए ड्यूक यूनिवर्सिटी के इकोलॉजिस्ट ड्यूक ने कहा कि जब आप समुद्र के टॉप शिकारियों मसलन शार्क को खत्म कर देते हो, तो समुद्री फूड साइकिल पूरी तरह से प्रभावित हो सकती है और इसका असर काफी चीजों पर पड़ेगा। शार्क समुद्र के शेर या टाइगर की तरह होती हैं और वे पूरे इको-सिस्टम को संतुलित करने में मदद करती हैं।

अनिलः दोस्तो, अब अगली जानकारी का समय हो गया है। जैसा कि हम जानते हैं कि, कई लोग अपने घरों में बिल्लियां पालते हैं। बिल्लियां इंसान को किसी तरह का कोई नुकसान नहीं पहुंचाती हैं। लेकिन हाल ही में हुए एक शोध ने बिल्लियों को लेकर एक अलग तरह का खुलासा किया है। इस शोध के मुताबिक बिल्लियों से फैलने वाला एक परजीवी इंसानों में कई खतरनाक बीमारियों का कारण का बन रहा है। ऐसे में वैज्ञानिकों ने बिल्ली पालने वाले लोगों को विशेश रूप से सावधानी बरतने को कहा है।

बता दें कि काफी समय पहले से ही वैज्ञानिक 'टी गोंडी' नामक एक परजीवी को लेकर भ्रमित थे। इस परजीवी को लेकर वो इस बात को ठीक से नहीं समझ पा रहे थे कि इसकी स्कीजोफ्रेनिया सहित मानसिक बुखार में क्या भूमिका है? पिछले कई अध्ययनों में यह पता नहीं चल पाया है कि इस परजीवी का बीमारी से कोई संबंध है। लेकिन इस अध्ययन ने कुछ अलग ही बातों पर प्रकाश डाला है।

नीलमः रिपोर्ट्स के मुताबिक अमेरिका में 40 फीसदी बिल्लियां संक्रमित हैं। अगर बिल्लियों से फैलने वाले ये परजीवी लीवर या नर्वस सिस्टम तक पहुंच गया तो वे पीलिया और अंधेपन जैसी बीमारी भी विकसित कर सकते हैं। बता दें कि संक्रमण के पहले कुछ सप्ताह में बिल्लियां अपने आसपास मलत्याग द्वारा लाखों परजीवी के अंडे रोज पैदा करने लगती हैं। ऐसे में कुछ लोगों को तो घरेलू बिल्लियों से सीधे टोक्सोप्लास्मोसिस संक्रमण आ जाता है। वहीं कुछ लोगों में यह बिल्लियों या उनके मल के पानी और मिट्टी में मिलने से होता है, जहां ये परजीवी एक साल तक जिंदा रह सकते हैं।

वैज्ञानिकों को लगता है कि टी गोंडी दिमाग में गांठ बनाकर उसकी काम करने में बदलाव ला देते हैं। इससे जोखिम लेने वाली प्रवृत्ति बढ़ाने वाले तत्व जोपामाइन का स्तर भी बढ़ने लगता है।

अनिलः अब एक और जानकारी...

हम में से ऐसे कई लोग होंगे, जो प्रकृति के बिल्कुल करीब रहना चाहते हैं। लेकिन विकास की तेज रफ्तार में भौतिक सुविधाओं की आवश्यकता की वजह से लोग प्रकृति से बहुत दूर हो गए हैं। इसी बीच बेंगलुरु के एक दंपति ने ऐसा घर बनाया है, जो प्रकृति के अनुकूल है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इस घर में ना ही बल्ब और ना ही पंखा है।

दरअसल, यह रोचक कहानी रंजन और रेवा मलिक की है। इस युगल ने रहने के लिए ऐसा घर बनाया है, जो पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल है। इस घर में हर सुबह धूप और मौसम की ताजा स्थिति ये तय करती है कि उनके सोलर कुकर में आज क्या बनेगा। अगर धूप तेज होती है, तो रेवा मलिक बाजरे से कोई डिश बनाती हैं। आपको बता दें कि इस घर में पर्याप्त क्रॉस वेंटिलेशन की सुविधा है, जिससे तापमान हमेशा सामान्य रहता है।

करीब 770 वर्ग फीट के एरिया में इस घर को मिट्टी से बनाया गया है। घर के नींव में भी मड कंक्रीट इस्तेमाल किया गया है। जरूरत के हिसाब से स्टील का भी इस्तेमाल किया गया है। इस घर में एक किचन लिविंग रूम और एक परछत्ती है। छत टेराकोटा टाइल से बनी है, जो सर्दियों में गर्म रहती है और गर्मी में ठंडी। बता दें कि छत पर टाइलों को 30 डिग्री के स्लोप पर लगाया है, जिससे गर्मी सीमित करने में मदद मिलती है।

रेवा मलिक बताती हैं कि उनका अधिकांश समय शहर में गुजरा, लेकिव वो प्रकृति के करीब रहना चाहती थी। ऐसे में उन्होंने साल 2018 में अपनी जमीन पर इस इको-फ्रेंडली घर को तैयार किया। बता दें कि वाटर हार्वेस्टिंग के माध्यम से रेवा अंडर ग्राउंड टैंक में 10 हजार लीटर पानी जमा कर लेती हैं। वहीं दूसरे टैंक में रीसायकल्ड पानी जमा किया जाता है और इसका इस्तेमाल 40 से अधिक जैविक सब्जियों और फलों की सिंचाई में होता है।

बता दें कि पूरे घर में प्राकृतिक रोशनी और हवा के लिए खुली जगह और बड़ी खिड़कियां हैं। सबसे खास बात तो ये है कि युगल ने अभी तक अपने इस घर में कोई पंखा या बल्ब भी नहीं लगाया है। इनकी दिनचर्या भी प्रकृति के अनुकुल है। रंजन और रेवा सूर्योदय होने पर उठ जाते हैं और सू्र्यास्त होने पर सो जाते हैं।

नीलमः दोस्तो, अब एक समय हो गया है एक और जानकारी का।.. नासा यानी अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी बहुत जल्द ऐसे सैटेलाइट्स तैयार करेगा जो पानी से उड़ेंगे। इन सैटेलाइट्स में ईंधन का काम पानी करेगा। अगर नासा ऐसी सैटलाइट्स बनाने में सफल हो जाता है तो करोड़ों की बचत हो सकती है। नासा इस महीने के अंत में ही पाथफाइंडर टेक्नोलॉजी डिमॉन्सट्रेटर के तहत पहली बार पानी से उड़ने वाले क्यूबसैट सेटलाइट्स को लॅान्च करने जा रहा है। इन सैटेलाइट्स को स्पेसएक्स के फॉल्कन-9 रॉकेट से फ्लोरिडा स्थित केप से लॅान्च किया जाएगा। नासा ने क्यूबसैट को V-R3X नाम भी दिया हुआ है।

नासा के मुताबिक पानी से उड़ने वाले सैटेलाइट्स की वजह से अंतरिक्ष में प्रदूषण भी नहीं होगा। अगर ये मिशन सफल होता है तो भविष्य में बड़े सैटेलाइट्स में भी इस तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। नासा का ये भी कहना है कि पानी की वजह से उड़ने वाले सैटेलाइट्स अगर आपस में टकराएंगे तो विस्फोट का खतरा भी नहीं रहेगा।

क्यूबसैट का प्रोपल्शन सिस्टम अंदर मौजूद पानी से हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के कणों को तोड़कर सैटेलाइट को आगे बढ़ने के लिए ऊर्जा देने का काम करेगा। इसके साथ ही क्यूबसैट का सोलर पैनल भी सूरज की किरणों से एनर्जी लेकर प्रोपल्शन सिस्टम को ऊर्जा देने का काम करेगा, जिससे पानी से हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के कण अलग हो सकेंगे।

ये सभी सैटेलाइट्स चार से छह महीने तक अंतरिक्ष में काम करेंगे। इस दौरान नासा इन सभी सेटैलाइट्स के प्रदर्शन की जांच करेगा। भविष्य में नासा इस तकनीक का इस्तेमाल चांद या मंगल मिशन में कर सकता है।

पानी में कोई विषाक्तता नहीं होती है और अन्य ईंधनों की तुलना में ज्यादा स्थिर होता है। पानी की मदद से सैटेलाइट्स की लान्चिंग में ज्यादा खर्चा भी नहीं आएगा। पानी आसानी से उपलब्ध हो जाता है और इसके इस्तेमाल से किसी तरह का कोई खतरा भी नहीं होता है।

इसी के साथ प्रोग्राम में जानकारी देने का सिलसिला यही संपन्न होता है। अब वक्त हो गया है श्रोताओं की टिप्पणी का।

नीलमः पहला पत्र हमें भेजा है, केसिंगा, उड़ीसा से सुरेश अग्रवाल ने। लिखते हैं, दिनांक 28 जनवरी का "टी टाइम" कार्यक्रम भी पूरी तल्लीनता से सुना और उसे काफी सूचनाप्रद पाया। ब्रिसबेन के शख्स और उसकी पावरबॉल लॉटरी में दस मिलियन डॉलर जैकपॉट हासिल करने सम्बन्धी स्वपन के सच होने का किस्सा बेहद अच्छा लगा। दुआ है कि भगवान इसी तरह सभी के स्वपन पूरा करें। 

धरती पर पाये जाने वाले सबसे कठोर जीव 'वॉटर बीयर' यानी टार्डिग्रेड्स पर दी गयी जानकारी अत्यन्त चौंकाने वाली लगी। भला कोई जीव खौलते पानी में डाल देने, भारी वजन के नीचे कुचल डालने अथवा अंतरिक्ष में फेंक देने पर भी बच सकता है ? हैरानी होती है जान कर। 

यह जान कर खुशी हुई कि विज्ञान एवं तकनीकी के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाने वाले चीन द्वारा ही आख़िर, बुढ़ापे को काफी समय तक रोकने अथवा चिरयौवन का राज़ ढूढ़ लिया गया है। मैं तो चाहूँगा कि सीआरआई चीन की इस ईज़ाद का लाभ अपने तमाम सुनने वालों को पहुंचाये, ताकि उनकी संख्या में कभी कमी न आये और उसकी आवाज़ फ़िज़ा में सदैव गूंजती रहे। 

संविधान सम्बन्धी जानकारी में सऊदी अरब के अजीबोगरीब कानून एवं उसके अलिखित संविधान के बारे में जान कर हैरानी हुई कि कैसे वहां कुरान में लिखी गई बातों को ही सर्वोच्च मानकर फैसले लिए जाते हैं।

कार्यक्रम में पेश श्रोता-मित्रों की राय में उत्तराखंड के भाई वीरेन्द्र मेहता की राय सुन कर एहसास हुआ कि वे वास्तव में कितनी शिद्दत से कार्यक्रम सुनते हैं। आज कार्यक्रम में पेश जोक्स कुछ घिसे-पिटे से लगे। बहरहाल, एक श्रमसाध्य प्रस्तुति के लिये आपका तहेदिल से आभार।

सुरेश जी पत्र भेजने के लिए शुक्रिया।

अनिलः अब बारी है, अगले ख़त की। जिसे भेजा है, खंडवा मध्य प्रदेश से, दुर्गेश नागनपुरे ने। लिखते हैं कार्यक्रम में आपने आस्ट्रेलिया के ब्रिसबेन में रहने वाले एक 30 वर्षीय शख्स के बारे में बताया कि उनका सपना सच हो गया और वह 75 करोड़ रुपये की लॉटरी जीत चुके हैं । हमारी ओर से उन्हें बधाई । हम उनसे यही कहेंगे कि इस पैसे को वह कुछ निर्धन व्यक्तियों में भी बांटें ।

साथ ही आपने धरती के सबसे कठोर जीव कहे जाने वाले 'वॉटर बीयर' यानी टार्डिग्रेड्स के बारे में जानकारी दी। यह हमने पहली बार आपके कार्यक्रम के माध्यम से सुनी।

जबकि आपने संविधान के बारे में भी बताया। यह जानकारी इस छब्बीस जनवरी यानि गणतंत्र दिवस के अवसर पर सुनकर मन को बहुत ही अच्छा लगा । धन्यवाद।

दुर्गेश जी पत्र भेजने के लिए धन्यवाद।

नीलमः अब शामिल कर रहे हैं, एक और पत्र। जिसे भेजा है, खुर्जा, यूपी. से तिलक राज अरोड़ा ने। लिखते हैं आप दोनों को सादर प्रणाम...

हमें आपका टी टाइम कार्यक्रम बेहद पसंद आता है। इस कार्यक्रम में जो जानकारियां सुनवायी जाती हैं, वह विशेष रूप से पसंद आती हैं। पिछला कार्यक्रम सुनकर दिल खुशी से झूम उठा। ब्रिस्बेन वासी 30 वर्षीय एक शख्स ने पॉवर बॉल लॉटरी में 10 मिलियन डॉलर का जेक पाट हासिल किया वाली जानकारी सुनकर दिल अति प्रसन्न हुआ।

टार्डिगेड वाटर बीयर जीव को खोलते हुए पानी मे डाल दीजिये, भारी वजन के नीचे कुचल डालिये या अंतरिक्ष में फेक दीजिये यह जीव फिर भी मरते नही हैं यह सुनकर वाकई में बहुत आश्चर्य हुआ। इस तरह की जानकारी पहली बार सुनी ।

वहीं चीन के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी जीन थेरेपी ईजाद की है, जिसकी वजह से वो बुढ़ापे को काफी समय तक रोका जा सकता है, जिससे उसकी जिंदगी थोड़ी लंबी हो जाएगी और आप जवान नजर आयेंगे। यह जानकर बहुत खुशी हुई। इसके साथ ही कार्यक्रम में फिल्मी गीत सुनकर आनंद आया। वहीं श्रोताओं के पत्र सराहनीय लगे। शानदार कार्यक्रम पेश करने के लिए धन्यवाद।

अनिलः अब पेश है, आज के प्रोग्राम का आखिरी खत। जिसे भेजा है, पंतनगर, उत्तराखंड से वीरेंद्र मेहता ने। लिखते हैं, नमस्कार, नी हाउ - 

टी टाइम प्रोग्राम का नया अंक सुना - आज की जानकारी का आगाज ऑस्ट्रेलिया के ब्रिसबेन से किया गया। जिसकी 75 करोड़ रुपए की लॉटरी लगी , पर सबसे अच्छी बात यह है कि, इसके बावजूद भी उन्होंने अपने काम को नहीं छोड़ा और वही टार्डिग्रेड्स  से जुड़ी जानकारी बिल्कुल नई थी । जिसके बारे में मैंने और जानने की कोशिश की, जो कि एक माइक्रो एनिमल है ।और यह कीचड़ , जंगल से लेकर समुद्र तक पाया जाता है। जिसका साइज लगभग 0.1 से लेकर 1.5 mm तक होता है और इसके पास स्वास प्रक्रिया के लिए कोई ऑर्गन नहीं होता है। बल्कि यह अपने पूरे शरीर से गैस का एक्सचेंज करते हैं । और वहीं चीन के वैज्ञानिकों द्वारा इंसानों के उम्र बढ़ाने पर शोध के बारे में सुना। पर अब देखना यह होगा कि यह इंसानों पर यह कब लागू होता है। और आपके द्वारा संविधान से दी गई महत्वपूर्ण जानकारी अच्छी लगी और जानकर हैरानी भी हुई कि कुछ देशों के पास अपना कोई लिखित संविधान तक नहीं है । अंत में सभी श्रोता - बंधुओं की प्रतिक्रिया सुनी । सुंदर प्रोग्राम की प्रस्तुति के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद ।

मेहता जी, पत्र भेजने के लिए धन्यवाद।

इसके साथ ही श्रोताओं की टिप्पणी संपन्न होती है। अब पेश हैं जोक्स...

पहला जोक..

पत्नी: अगर मेरी किसी राक्षस के साथ भी शादी हो जाती तो भी मैं इतना दुखी न होती जितनी तुम्हारी साथ हूंपति : पगली !! खून के रिश्तों में कहां शादी होती है।

दूसरा जोक

संजू: यार, तू कल इतना दुखी क्यों था?राहुल: मेरी पत्नी ने साड़ी के लिए मुझसे 5,000 रुपये लिए थे।संजू: लेकिन आज इतना खुश क्यों हो रहा है?राहुल: मेरी पत्नी वही साड़ी पहनकर तेरी पत्नी से मिलने जा रही है 

तीसरा जोक

पत्नी मायके से फोन करती है पति को: अपना ध्यान रखना, सुना है बहुत डेंगू फैल रहा हैपति-मेरा सारा खून तो तू पी गई, मच्छर क्या “रक्त दान” करने आएगा??

रेडियो प्रोग्राम