फाइजर वैक्सीन से वैक्सीनेटरों की मौत पर क्यों चुप है पश्चिमी मीडिया

2021-01-16 18:18:17

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स्थानीय समय के अनुसार, 14 जनवरी को नॉर्वे में अचानक पता चला कि 23 बुजुर्ग लोगों की मृत्यु फाइजर वैक्सीन के इंजेक्शन लगने के बाद हो गई थी। उनमें से 13 लोगों की मौत के कारणों का स्थानीय दवा निगरानी एजेंसी द्वारा मूल्यांकन किया गया था और इसे वैक्सीन के दुष्प्रभावों से संबंधित माना गया था।

वर्तमान में, नॉर्वे में केवल 25 हज़ार लोगों को फाइजर टीका लगाया गया है, और 23 लोगों की मौत एक बड़ा अनुपात है। उस दिन, जर्मनी ने भी कहा कि फाइजर टीका लगाए जाने के बाद 10 लोगों की मौत हुई है। वहीं फ्रांस में एक व्यक्ति की मौत फाइजर वैक्सीन लगाए जाने के बाद हो गई। इन मामलों को लेकर नॉर्वे,जर्मनी और अन्य देशों में प्रासंगिक एजेंसियों ने मौतों पर ध्यान केंद्रित किया है जो अंतर्निहित बीमारियों वाले बुजुर्ग लोग हैं। इससे भी अधिक आश्चर्य की बात यह है कि पश्चिमी मुख्य धारा वाले मीडिया इस पर खामोश रहे हैं, जो चीन जैसे अन्य देशों में टीकों की "अविश्वसनीयता" के बारे में उनके प्रचार के बिलकुल विपरीत है।

फाइजर वैक्सीन वर्तमान में बड़े पैमाने पर टीकाकरण के लिए दुनिया में सबसे व्यापक रूप से अनुमोदित वैक्सीन है। इसकी बाजार में पहुंच के बाद से, कई देशों में अक्सर टीकाकरण के बाद गंभीर प्रतिक्रियाएं और यहां तक ​​कि मौत के मामले सामने आए हैं।

रूसी अख़बार "इज़वेस्टिया" ने 15 तारीख को कहा कि ट्विटर जैसे अमेरिकी सोशल मीडिया रूसी "सैटेलाइट-वी" कोरोना रोधी टीके के बारे में सकारात्मक समाचारों के प्रवाह को प्रतिबंधित कर रहा है। रूसी सांसद कोंस्टेंटिन कोसाचेव के मुताबिक, तथ्यों से साबित हुआ है कि अमेरिका द्वारा अपनाए गए सभी उपाय अमेरिकी कंपनियों को प्रतिस्पर्धा में भारी वाणिज्यिक हितों के साथ लाभान्वित करने के लिए हैं। अमेरिका का सबसे बड़ा विचार मनुष्यों को नियंत्रित करना है। यदि अमेरिकी कंपनियां कोरोना रोधी टीकों की दुनिया की एकमात्र आपूर्तिकर्ता बन जाती हैं, तो दुनिया को पूरी तरह से अमेरिका पर ही भरोसा पड़ेगी।

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