07 जनवरी 2021

2021-01-07 09:48:38

अनिलः सबसे पहले यह जानकारी...नए साल के पहले अंक के साथ...

आप सभी के लिए साल 2021 ढेर सारी खुशियां लेकर आए, यही कामना करते हैं।

जापान में बच्चों की जन्मदर लगातार कम होते जा रही है। इसी बीच वहां एक अलग ट्रेंड देखने को मिल रहा है। जापान के लोगों में कुत्ते-बिल्लियां पालने का शौक इतना बढ़ गया है कि वहां बच्चों से अधिक रजिस्ट्रेशन पालतू जानवरों का हो गया है। बता दें जापान में अगर आप पालतू जानवरों को अपने साथ रखते हैं या फिर उसे विदेश यात्रा पर ले जाते हैं, तो उसका रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है।

दरअसल, इस अनोखे चलन के बारे में अर्थव्यवस्था पर नजर रखने वाला Goldman Sachs ने पता लगाया। जापान की अर्थव्यवस्था में गिरावट के लिए कम जन्मदर को जिम्मेदार मानते हुए कंपनी ने जब कई देशों के आर्थिक ट्रेंड पता किया, तो पाया कि बच्चों की जगह पालतू पशु ले चुके हैं। कंपनी की इस रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि जापान में पशु कैसे बच्चों को रिप्लेस कर चुके हैं।

साल 2014 में जापान में 15 साल के आयु के लगभग 16.5 मिलियन बच्चे थे, जबकि पालतू पशु जैसे कुत्ते-बिल्लियों की संख्या 21.3 मिलियन थी। ये पालतू जानवर बच्चों की जगह ले रहे हैं और यहां के जोड़ों में संतान पैदा करने का चाव भी बहुत कम हो गया है। हालांकि, इसके पीछे कई सारी वजहें हैं, जिनमें से एक वजह जापानियों का काम के लिए ऑब्सेशन माना जाता है। इस देश में लोग छुट्टियां लेने से इतना बचते हैं कि खुद कंपनियों ने ऐसा नियम बना दिया कि हर कर्मचारी को सालाना कम से कम 14 दिनों की छुट्टी लेनी ही होगी, ताकि उनका मानसिक स्वास्थ्य सही रहे।

खास बात तो ये है कि काम के प्रति दीवानगी पुरुषों-महिलाओं में एकदम बराबर है। ऐसे में कोई भी संतान की जिम्मेदारी लेने से बचना चाहता है। बिजनेस इनसाइडर की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अगर जोड़ों ने संतान जन्म पर ध्यान नहीं दिया, तो अगले 20 सालों में यहां की 35 फीसदी आबादी 80 साल से अधिक आयु वालों की होगी। वहीं अगले 5 ही सालों में यानी 2025 तक जापान का हर 3 में से 1 इंसान 65 साल की उम्र से अधिक का होगा।

विशेषज्ञों ने इसको लेकर चिंता जाहिर करते हुए कहा है कि अगर जापान में जनसंख्या बढ़ाने पर ध्यान नहीं दिया गया, तो अगले 50 सालों में ये आबादी घटकर महज 80 मिलियन रह जाएगी और 100 सालों में ये 40 मिलियन हो जाएगी। यानी जापान में बुजुर्ग आबादी के बढ़ने के साथ-साथ देश की जनसंख्या घट रही है।

इन सब के बीच जापान पालतू जानवरों के मामले में सुपरपावर भी बन गया है। इस देश में युवाओं से अधिक है। औसत आय के मामले में दूसरे देशों से काफी आगे जापान में लोग अपने पालतू पशु की देखभाल भी शानदार तरीके से करते हैं। इसमें साफ-सफाई, खाना और समय पर टीकाकरण ही नहीं है, बल्कि लोग ज्यादातर वीकेंड पर जानवरों के लिए शॉपिंग करते हैं और नए ट्रेंड के कपड़े लेते हैं। जापान में कुत्तों के लिए कई बड़े इंटरनेशनल ब्रांड डिजाइनर कपड़े बनाने लगे हैं।

नीलमः उधर अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा एक कंपनी को चांद की सतह से चट्टानें चुन कर लाने के लिए एक अमेरिकी डॉलर का भुगतान कर रही है। 'लूनर आउटपोस्ट' नामक कंपनी को नासा ने यह ठेका दिया है। यह कंपनी नासा के लिए चांद से यह नमूने लेकर देगी।नासा ने चार ऐसे अनुबंध किए हैं जिनके तहत कुछ कंपनियां नासा के लिए बेहद कम खर्च में चांद से नमूने जुटाएंगी। जिन अन्य कंपनियों ने नासा से ये अनुबंध जीते हैं, उनमें कैलिफॅार्निया स्थित मास्टेन स्पेस सिस्टम्स, टोक्यो की आई-स्पेस और उसी की यूरोपियन सहायक कंपनी शामिल है। नासा इन कंपनियों को चांद की सतह से कंकड़, पत्थर और मिट्टी लेकर आने के लिए भुगतान करेगा। नासा के अनुसार, ये नमूने 50 ग्राम से 500 ग्राम वजन के बीच हो सकते हैं।

नासा के एक प्रवक्ता ने बताया, "ये कंपनियां हमारे लिए नमूने एकत्र करेंगी और फिर हमें दृश्य सबूत प्रदान करेंगी, साथ ही उससे जुड़ा डेटा भी देंगी। इससे चांद से संबंधित और जानकारी हमें प्राप्त होगी।"लूनर आउटपोस्ट के सीईओ जस्टिन सायरस ने बीबीसी से बातचीत में कहा, "यह मिशन 2023 में होना है, लेकिन हम कुछ लेंडर कंपनियों से बात कर रहे हैं जिनकी मदद से इसकी लॉन्च डेट थोड़ा पहले भी रखी जा सकती है।"

अमेरिका के कोलाराडो में स्थित लूनर आउटपोस्ट एक रोबोटिक्स कंपनी है। नासा से मिले अनुबंध के अनुसार, इस कंपनी को चांद के साउथ पोल यानी दक्षिणी ध्रुव से चट्टानें एकत्र करने के लिए एक अमेरिकी डॉलर मिलेगा। लेकिन इस मिशन के लिए जो रकम नासा इन कंपनियों को देने वाला है, वो इन कंपनियों के लिए सिर्फ प्रेरणा नहीं है, बल्कि मिशन से इन्हें कई वैज्ञानिक लाभ होने की उम्मीद है, जैसे कि चांद की सतह से संसाधनों को निकालने का अभ्यास करने की अनुमति मिलना।

सायरस कहते हैं, "इस मिशन से बड़ा बदलाव आने वाला है, खासकर उस सोच में जो अंतरिक्ष की खोज को लेकर रहती है।" सायरस की कंपनी ब्लू ओरिजन जैसी कुछ अन्य कंपनियों के संपर्क में है, जो विशेष रूप से चांद तक उड़ान भरने पर काम कर रही हैं। अमेजन के संस्थापक जेफ बेजोस की ब्लू ओरिजन को खड़ा करने में मुख्य भूमिका रही है। जापान की जिस कंपनी के साथ नासा ने अनुबंध किया है, उसे पांच हजार अमेरिकी डॉलर दिए जाएंगे और कंपनी 2022 में चांद के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र से नमूने एकत्र करेगी। हाल में चीन ने अपना चांग ई-5 मून लैंडर चांद के उत्तर पश्चिमी हिस्से में उतारा है. ये लैंडर चांद से मिट्टी और पत्थर के नमूने पृथ्वी पर भेजने के लिए तैयार किया गया है।

अनिलः अब अगली ख़बर से रूबरू करवाते हैं। बर्गर एक ऐसा फास्टफूड है, जिसे ज्यादातर लोग खाना पसंद करते हैं। केवल विदेश ही नहीं भारत में भी लोग बर्गर के दीवाने हैं। यहां के बाजारों में 10 रुपये से लेकर आपको 500 रुपये तक के बर्गर मिल जाएंगे, लेकिन क्या आपने कभी 4,330 रुपये का एक बर्गर खाया है। अधिकांश लोगों का जवाब नहीं ही होगा। कई लोग तो ये सोच रहे होंगे कि साढ़े चार हजार रुपये का बर्गर मिलता कहां है। अब हम आपको इस बर्गर से जुड़ी विशेषता के बारे में बताएंगे।

दरअसल, ये बर्गर अमेरिका के एक रेस्टोरेंट में मिलता है, जिसकी कीमत 59 अमेरिकी डॉलर यानी 4330 रुपये है। इस महंगे बर्गर की खासियत ये है कि इस पर सोने का वर्क लगाया गया है। ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए इस बर्गर का नाम 24 कैरेट बर्गर रखा गया है। आपको बता दें कि कैरेट सोने की शुद्धता को मापने का पैमाना होता है।

साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक कोलम्बिया के बोगोटा में एक रेस्तरां ने दुनिया के पसंदीदा खाद्य पदार्थों को शानदार व्यंजनों में बदल दिया है। ये रेस्टोरेंट ग्राहकों को लुभाने के लिए 24 कैरेट बर्गर जैसा खास व्यंजन भी बना रहा है।

रेस्टोरेंट के शेफ मारिया पाउला ने बताया कि रेस्टोरेंट में हैमबर्गर को पहले प्लास्टिक से पैक किया जाता है और फिर उसपर सोने की परत चढ़ाई जाती है। पाउला ने इस बर्गर को बनाने से जुड़ी सावधानीपूर्वक प्रक्रिया को भी बताया। उन्होंने कहा, ''यह क्षतिग्रस्त हो सकता है। अगर यह आपकी उंगली पर चिपक जाती है तो इससे नुकसान हो सकता है।"

जानकारी देने का सिलसिला यहीं संपन्न होता है। अब बारी है श्रोताओं के पत्रों की।

पहला पत्र हमें भेजा है खंडवा मध्य प्रदेश से दुर्गेश नागनपुरे ने। सबसे पहले उन्होंने नव वर्ष पर शायरी भेजी है।

मिजाज मस्ती का खुशहाल नया लाया हैसुहाने ख्वाब का कमाल नया लाया है,दिलों को ख्वाहिशों को और हवा दे देनातुम्हारे वास्ते यह साल नया आया हैHappy New Year 2021

नीलमः दुर्गेश जी, आगे लिखते हैं कि आदरणीय भाई अनिल पांडेय जी और बहन नीलम जी नमस्कार और शुभ संध्या। सर्वप्रथम हमारी ओर से आपको और सभी श्रोता बंधुओं को नववर्ष 2021 की हार्दिक शुभकामनायें। आप सभी को भी नव वर्ष की शुभकामनाएं।

आगे लिखते हैं, 31 दिसंबर दिन गुरुवार का टी टाइम प्रोग्राम बहुत ही शानदार लगा। आपने कार्यक्रम में लकड़ी के सैटेलाइट , अजमेर राजस्थान निवासी बिजनेसमैन धर्मेंद्र अनीजा जी के बारे में बहुत विस्तार से बताया और साथ ही रंग बदलने वाली मछली स्कार्पियन फिश के बारे में जानकर हमें बहुत खुशी मिली। सीआरआई हिन्दी सेवा के प्यारे उद्घोषक भाई-बहन और श्रोता बंधु इस नववर्ष ईश्वर की कृपा से एकदम स्वस्थ और मुस्कुराते रहें,हमारी शुभकामनायें आपके साथ हैं। धन्यवाद

दुर्गेश जी बहुत-बहुत धन्यवाद।

अनिलः अब पेश है खुर्जा, यूपी से तिलक राज अरोड़ा का पत्र। लिखते हैं भाई अनिल पाण्डेय जी बहन नीलम जी, सप्रेम नमस्ते।

कार्यक्रम टी टाइम 31 दिसंबर का सुना और पसंद आया। कार्यक्रम की जितनी भी प्रंशसा की जाये उतनी ही कम है। सऊदी अरब में चार नए तेल और गैस क्षेत्रों की खोज वाली जानकारी सुनी और पसंद आयी।

जापान की एक कंपनी और क्योटो विश्वविद्यालय साथ मिलकर दुनिया की पहली लकड़ी की सैटेलाइट बनाने पर काम कर रहे हैं, इस विस्तार पूर्वक जानकारी की जितनी भी तारीफ की जाए, उतनी ही कम है।

अजमेर जिले के बिज़नेसमैन धर्मेंद्र ने अपनी पत्नी को चाँद पर जमीन खरीदने का तोहफा दिया, यह सुनकर दिल खुशी से झूम उठा।

स्कार्पियन फिश मछली गिरगिट की तरह ही रंग बदलती है यह जानकर बहुत ही आश्चर्य हुआ।कार्यक्रम में गीत सुनकर बहुत ही आनंद आया।

कार्यक्रम में श्रोताओ के पत्र सराहनीय लगे।

जोक्स ने भी दिल खोल कर हँसाया। बेहतरीन कार्यक्रम टी टाइम सुंदर आवाज के साथ सुनवाने के लिये बहुत बहुत शुक्रिया।

अरोड़ा जी, प्रोग्राम के बारे में तारीफ करने के लिए धन्यवाद।

नीलमः दोस्तो, अब प्रस्तुत करते हैं अगला पत्र। जिसे भेजा है, पंतनगर उत्तराखंड से वीरेंद्र मेहता ने। लिखते हैं, नमस्कार, नी हाउ - 

नव वर्ष की एक बार फिर से आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं और आप सभी के स्वस्थ जीवन की कामना करता हूं । नीलम जी और अनिल जी द्वारा नव वर्ष में भी यूं ही टी टाइम प्रोग्राम में नई-नई जानकारियां , ज्ञानवर्धक बातें और बहुत सारा मनोरंजन हम सभी श्रोताओं तक मिलता रहे। टी-टाइम प्रोग्राम के नए अंक में सऊदी अरब में चार नए तेल और गैस जैसे स्रोतों की खोज की गई के बारे में संक्षिप्त में जानकारी ज्ञानवर्धक लगी । और वही जापान द्वारा भविष्य में लकड़ी के सेटेलाइट पर कार्य करने की पहल सराहनीय है । सचमुच अगर ऐसा होता है तो इससे पर्यावरण को सुरक्षित रखने में मदद मिलेगी । राजस्थान के अजमेर में बिजनेसमैन धर्मेंद्र अनीजा का अपनी पत्नी सपना को चांद पर जमीन का सपना का तोहफा अजीबो - गरीब लगा । और   रंग बदलने वाली स्कॉर्पियन फिश की खोज वह उससे संबंधित जानकारी भी अच्छी लगी  ।और वही संगीत में " चेहरे में मेरे जुल्फों को फैलाओ किसी दिन " गाने के बोल अच्छे लगे । सभी श्रोता बंधुओं द्वारा दी गई प्रतिक्रियाएं भी सुनी । सुंदर प्रोग्राम की प्रस्तुति के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद ।।

मेहता जी पत्र भेजने के लिए शुक्रिया।

अनिलः अब पेश प्रोग्राम का आखिरी पत्र। जिसे भेजा है, केसिंगा, उड़ीसा से सुरेश अग्रवाल ने। लिखते हैं आदरणीय अनिलजी एवं नीलमजी, नमस्कार।

"टी टाइम" सन 2020 वर्षान्त अंक भी पूरे मनोयोग से सुना, जिसमें पेश सामग्री एवं श्रोता-मित्रों की टिप्पणियाँ लाज़वाब लगीं। आशा है कि "टी टाइम" की प्रस्तुति नव-वर्ष में और भी निखार के साथ सामने आयेगी। धन्यवाद।

सुरेश जी हम आपके जल्द स्वस्थ होने की कामना करते हैं।

श्रोताओं की टिप्पणी के बाद वक्त हो गया है, जोक्स यानी हंसगुल्लों का।

पहला जोक

प्रेमिका – जानू हम न्यू ईयर के दिन पार्टी करेंगेप्रेमी – ओह नहीं मेरी बीवी बीमार हैमुझे उसे अस्पताल ले जाना हैप्रेमिका – क्या तुम शादी शुदा हो ?तुमने मुझे धोखा दिया ?प्रेमी – पर मैंने तो पहले ही बताया था नाकि मेरे घर एक मुसीबत है ।

दूसरा जोक

नए साल के लिए हिंदी में जोक्सएक तो आप मुस्कराते भी खूब हो,फिर दूसरा शरमाते भी खूब हो,दिल तो चाहता आप कोHappy New Year के दावत पर बुलाऊँमगर सुना हैआप खाते भी खूब हो!!दावत कैंसिल ।

तीसरा जोक

न्यू ईयर के दिन पप्पू रोटी काएक निवाला खुद खा रहा थाऔर एक पास बैठी मुर्गी कोखिला रहा थाये देख उसके दोस्त कोआश्चर्य हुआ और पूछा ये क्या कर रहा हैपप्पू – ओये दिखता नहीं,में चिकन के साथ रोटी खा रहा हूँ!

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