17 दिसंबर 2020

2020-12-17 14:08:24

अनिलः सबसे पहले यह जानकारी। अमेरिका के व्हाइट हाउस में हमेशा नए राष्ट्रपति के आने से पहले साफ-सफाई की जाती है। पुराने राष्ट्रपति के सामान को हटाकर नए राष्ट्रपति की पसंद के मुताबिक किचन से लेकर सेमिनार रूम तक तैयार किया जाता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि ये सब काम महज 5 घंटों के अंदर पूरा कर लिया जाता है। यानी केवल 5 घंटों में विशालकाय राष्ट्रपति भवन को पूरी तरह से बदल दिया जाता है। चलिए बताते हैं ये व्यवस्था कैसे काम करती है।

यहां बता दें कि नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन 20 जनवरी को व्हाइट हाउस में आने वाले हैं। इससे पहले दिन तक मौजूदा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भवन में बने रहेंगे। ट्रंप के शिफ्ट करते ही तेजी से राष्ट्रपति भवन की साफ-सफाई शुरू हो जाएगी। आमतौर पर नए राष्ट्रपति के आने और पुराने राष्ट्रपति के भवन से जाने के बीच केवल 5 ही घंटों का फर्क रहता है। इतने ही समय में नए राष्ट्रपति के मुताबिक सारे बदलाव कर लिए जाते हैं।

Exploring the White House नाम की किताब की लेखिका केट एंडरसन ने सीएनएन से बातचीत के दौरान बताया कि इस सफाई को और ज्यादा खास इसलिए भी माना जाता है, क्योंकि इसके लिए प्रोफेशनल हायर नहीं किए जाते हैं। इससे सुरक्षा को खतरा हो सकता है। इसलिए आम दिनों में वाइट हाउस में रहने वाला स्टाफ ही ये पूरी प्रक्रिया करता है।

व्हाइट हाउस को तैयार करते समय इस बात का ध्यान रखा जाता है कि नए राष्ट्रपति आएं, तो उन्हें अपनी किताबों और कपड़ों से लेकर टूथब्रश भी जगह पर मिले। हर एक सामान को नए राष्ट्रपति की पसंद और जरूरत को देखते हुए रखा जाता है। कोविड-19 के कारण इस बार साफ-सफाई के प्रक्रिया में काफी समय लगने वाला है। पूरे व्हाइट हाउस की डीप क्लीनिंग होगी।

कई लेयर में सफाई के चरणों को पूरा कर इस बात को पक्का किया जाएगा कि व्हाइट हाउस पूरी तरह से साफ और संक्रमण-मुक्त है। इसके साथ ही 5 घंटे की तैयारी का एक दिलचस्प हिस्सा ये भी है कि व्हाइट हाउस में मौजूदा सामान का एक कैटेलॉग तैयार किया जाता है और इसे आने वाले राष्ट्रपति को भेजा जाता है।

बता दें कि व्हाइट हाउस में कुल 132 कमरे हैं।  इसमें 35 बाथरूम, 412 दरवाजे, 147 खिड़कियां, 28 अंगीठी, 8 सीढ़ियां और तीन लिफ्ट भी हैं। छह मंजिला इस इमारत में दो बेसमेंट, दो पब्लिक फ्लोर और बाकी के फ्लोर को अमेरिकी राष्ट्रपति के लिए सुरक्षित रखा गया है। इसके अलावा व्हाइट हाउस में पांच फुलटाइम शेफ काम करते हैं और भवन के अंदर 140 मेहमानों के एकसाथ रात्रि भोजन की व्यवस्था है।

नीलमः अब समय हो गया है अगली जानकारी का। 14 दिसंबर को साल का दूसरा और आखिरी सूर्य ग्रहण देखा गया। भारतीय समयानुसार, यह सूर्य ग्रहण शाम 7 बजकर 3 मिनट से शुरू हुआ और 15 दिसंबर की रात 12 बजकर 23 मिनट पर समाप्त हुआ।

यहां बता दें कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ग्रहण को अशुभ घटना के रूप में देखा जाता है, जिसका नकरात्मक प्रभाव इंसानों पर पड़ता है।

बता दें कि ग्रहण का प्रभाव सिर्फ इंसानों पर ही नहीं बल्कि पशु-पक्षियों पर भी पड़ता है। इस वजह से ग्रहण के दौरान पशु-पक्षी अजीब हरकतें करने लगते हैं। इसमें सूर्य ग्रहण से लेकर चंद्र ग्रहण तक शामिल है।

एक रिपोर्ट के मुताबिक, ग्रहण के दौरान मकड़ियों की कुछ प्रजातियों के व्यवहार में अचानक बेचैनी सी हो जाती है और वो अपने ही जाले को तोड़ने लगती हैं और जब ग्रहण खत्म हो जाता है तो वो उसे फिर से बनाना शुरू करती हैं। कुछ ऐसा ही बदलाव पक्षियों में भी हो जाता है। जहां आमतौर पर वो दिनभर इधर से उधर उड़ते फिरते हैं, लेकिन ग्रहण के दौरान वो अचानक अपने घर की ओर लौट जाते हैं।

साल 2010 में हुए एक शोध के मुताबिक, अर्जेंटीना और ब्राजील जैसे देशों में पाई जाने वाली बंदरों की एक प्रजाति, जिसे 'नाइट मंकी' (रात का बंदर) कहा जाता है, चंद्र ग्रहण होते ही डर जाते हैं। जहां आमतौर पर वो पेड़ों पर उछल-कूद मचाते हैं, लेकिन ग्रहण के दौरान उन्हें पेड़ों पर चलने में भी डर लगता है।

ग्रहण के दौरान चमगादड़ों में भी बदलाव आता है। ग्रहण के दौरान उन्हें भ्रम हो जाता है कि रात हो गई है और वो उड़ना शुरू कर देते हैं। इसके अलावा सुपर मून के दौरान जब चांद ज्यादा चमकदार होता है तो बत्तखों के व्यवहार में भी बदलाव दिखने लगता है।

वैज्ञानिकों ने जंगली बर्फीली बत्तख गीज पर एक शोध किया था और उस दौरान उन्होंने उसके शरीर में एक छोटी सी डिवाइस फिट कर दी तो पाया कि सुपर मून के दौरान बत्तख के दिल की धड़कन बढ़ जाती है। साथ ही उनके शरीर का तापमान भी बढ़ जाता है। हालांकि ग्रहण खत्म होने पर वो अपने आप फिर से ठीक हो जाते हैं।

आमतौर पर हिप्पोपोटामस, जिसे दरियाई घोड़ा भी कहते हैं, पानी में ही रहते हैं, लेकिन सूर्य ग्रहण के दौरान वो बेचैन होकर सूखे जगहों की ओर चल पड़ते हैं। एक ग्रहण के दौरान जिम्बाब्वे में कुछ ऐसा ही देखा गया था। हालांकि आधे रास्ते में अगर ग्रहण खत्म हो जाता है और रोशनी वापस आ जाती है, तो वो वापस लौट आते हैं।

अनिलः एक और जानकारी। फसल, फल और सब्जियों की खेती करने वाले किसान के साथ ही आपने कई कारोबारियों की सफलता की कहानी पढ़ी होगी। लेकिन दुनिया में एक शख्स ऐसा भी है, जो बिच्छुओं का जहर बेचकर ही अमीर बन गया। दरअसल, मिस्र की राजधानी काहिरा का रहने वाला मोहम्मद हम्दी बोष्टा नामक एक 25 वर्षीय युवक नम कंपनी का मालिक है। हम्दी इतने महंगे कीमत पर जहर बेचता है, जिसे जानकर आप भी चौंक जाएंगे। बता दें कि इस अजीबोगरीब शौक को पालने वाले हम्दी पुरातत्व में स्नातक की पढ़ाई कर रहे थे, लेकिन उन्हें मिस्र के विशाल रेगिस्तान और तटों में बिच्छू के शिकार का काफी शौक था। ऐसे में उन्होंने पढ़ाई को छोड़ अपना पैशन पूरा करने का सपना देखा और आज वह जहर का व्यापार कर मिस्र के सबसे अमीर शख्स में से एक है।

हम्दी ने अलग-अलग प्रजाति के 80,000 हजार से भी ज्यादा बिच्छू और सांप पाल रखे हैं। इन सांप और बिच्छुओं से जहर निकालकर दवा बनाने वाली कंपनियों को बेच दिया जाता है। बिच्छुओं का जहर निकालने के लिए यूवी लाइट (अल्ट्रावॉयलेट लाइट) की मदद से हल्का सा इलेक्ट्रिक शॉक दिया जाता है। इलेक्ट्रिक शॉक लगते ही बिच्छुओं का जहर बाहर आ जाता है और उसे स्टोर कर लिया जाता है। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बिच्छू के एक ग्राम जहर से करीब 20,000 से 50,000 तक एंटीवेनोम (विषरोधक) डोज बनाए जा सकते हैं। मोहम्मद हम्दी बोष्टा बिच्छुओं के जहर को यूरोप और अमेरिका में सप्लाई करते हैं। यहां  की दवा निर्माता कंपनियां इसका इस्तेमाल एंटीवेनम डोज और हाइपरटेंशन जैसी तमाम बीमारियों की दवाइयां बनाने में करती हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि बिच्छू का एक ग्राम जहर बेचने पर उन्हें 10 हजार यूएस डॉलर यानी करीब 7 लाख रुपए मिलते हैं।

नीलमः दोस्तो, आपको एक और खबर से रूबरू करवाते हैं। ब्रिटेन में एक नवजात बच्चे के इलाज के लिए करीब 16 करोड़ रुपये चाहिए, जिसके लिए उसके माता-पिता ने क्राउड फंडिंग की मुहिम शुरू कर दी। दरअसल, आठ हफ्ते के एडवर्ड को जेनेटिक स्पाइनल मस्कुलर अट्रोफी (एसएमए) बीमारी है। इसका इलाज सबसे महंगा है, इसके लिए सबसे महंगी दवाई जोलगेनेस्मा इंजेक्शन का इस्तेमाल किया जाना है। 

इस इंजेक्शन की कीमत 17 लाख पाउंड यानी कि करीब 16.79 करोड़ रुपये है। एडवर्ड के माता-पिता जॉन हॉल और मेगन विलीस ने इसके लिए क्राउड फंडिंग का रास्ता अपनाया है और अब तक 1.17 करोड़ रुपये इसके लिए जुटा लिए हैं। हालांकि अभी बहुत ज्यादा राशि जुटाने की जरूरत है।

एडवर्ड के माता-पिता का कहना है कि वे अपने बच्चे की जान बचाने के लिए हरसंभव कोशिश करेंगे। बता दें कि तीन साल पहले एसएमए का इलाज उपलब्ध नहीं था, लेकिन साल 2017 में 15 बच्चों को ये दवा दी गई, जिससे सभी बच्चे 20 हफ्ते ज्यादा तक जीवित रहे। 

यह इंजेक्शन ब्रिटेन में उपलब्ध भी नहीं है, इसके लिए अमेरिका, जापान, ब्राजील या जर्मनी से संपर्क करना होगा।जेनेटिक स्पाइनल मस्कुलर अट्रोफी होने पर शरीर में एसएमएन1 जीन की कमी हो जाती है, इससे मांसपेशियों का विकास रुक जाता है। ब्रिटेन में हर साल ऐसे 60 बच्चों का जन्म होता है, जो एमएमए से ग्रस्त होते हैं।

अनिलः इसी के साथ प्रोग्राम में जानकारी देने का सिलसिला संपन्न होता है। अब समय हो गया है श्रोताओं की टिप्पणी का।

पहला पत्र हमें आया है, केसिंगा उड़ीसा से सुरेश अग्रवाल का। लिखते हैं, हर बार की तरह दिनांक 10 दिसम्बर को साप्ताहिक "टी टाइम" के तहत दी गयी तमाम जानकारी भी काफी सूचनाप्रद लगी। इसके साथ ही यह भी महसूस हुआ कि जानकारियों को कम शब्दों में समेटा जाना चाहिये था। कोविड-19 महामारी के दौर में सोने की क़ीमत में उछाल के कारणों पर प्रदत्त महत्वपूर्ण जानकारी के लिये शुक्रिया।  रूस के एक अमीर शख्स द्वारा 4900 रुपये का बर्गर खाने के लिये हेलीकॉप्टर पर दो लाख रुपये लुटाया जाना, यह तो सरासर फ़िज़ूलखर्ची है। यदि अपनी ज़रूरत से ज़्यादा था, तो ज़रूरतमंदों पर ख़र्च किया जा सकता था।   हाँ, पत्नी से हुये झगड़े का गुस्सा शांत करने 450 किलोमीटर पैदल चलने वाले इटली के शख़्स के प्रति हम हार्दिक सहानुभूति रखते हैं, क्योंकि आज के युग में इतने पत्नी परायण कहाँ मिलते हैं।

कार्यक्रम में पेश श्रोताओं की राय एवं जोक्स भी ठीक-ठाक थे। धन्यवाद। सुरेश जी पत्र भेजने के लिए शुक्रिया।

नीलमः अब शामिल करते हैं अगला पत्र। जिसे भेजा है खंडवा मध्य प्रदेश से दुर्गेश नागनपुरे ने। लिखते हैं। आदरणीय अनिल पांडेय जी और बहन नीलम जी आपको हमारा सादर प्रणाम और वेरी गुड इवनिंग। मुझे आपका टी टाइम प्रोग्राम इतना पसंद है कि मैं आपका यह प्रोग्राम सुने बिना इक पल भी नही रह सकता। मुझे दिनांक 10 दिसंबर गुरुवार का टी टाइम कार्यक्रम बेहद लाजवाब लगा । कार्यक्रम में पेश सभी जानकारियां बहुत ही रोचक थी । रूस के एक अमीर शख्स मार्टीनोव ने बर्गर खाने के लिए खर्च किए 2 लाख रुपए यह जानकर हमें बहुत आश्चर्य हुआ । वही आपके द्वारा सोने की कीमतों और इटली के एक शख्स ने अपना गुस्सा शांत करने के लिए 450 किलोमीटर पैदल चलकर अपने गुस्से पर काबू पाया । कुल मिलाकर सभी जानकारियां बहुत अच्छी लगी। दुर्गेश जी पत्र भेजने के लिए धन्यवाद।

अनिलः अब प्रस्तुत है खुर्जा यूपी से तिलक राज अरोड़ा का पत्र। लिखते हैं, भाई अनिल पांडेय जी बहन नीलम जी, सादर प्रणाम। हम चायना रेडियो से प्रसारित कार्यक्रम सुनते हैं और बेहद पसंद आते हैं। कार्यक्रम टी टाइम 10 दिसंबर का सुना और पसंद आया। कार्यक्रम की जितनी भी प्रंशसा की जाये उतनी ही कम है।

कार्यक्रम में सोना कितना सोना है इस पर विस्तारपूर्वक जानकारी बहुत ही पसंद आयी। सोना की कीमतों में उछाल और कारण बताए यह जानकारी काबिले तारीफ लगी।

मार्टिनोव अपनी प्रेमिका को साथ लेकर 2 लाख रुपये खर्च करके हेलीकॉप्टर में बैठकर बर्गर खिलाने के लिये ले गया। यह जानकारी बेहतरीन लगी। सच ही कहा है पैसा बात को या स्वाद को।

इटली का रहने वाला एक शक्स पत्नी से कहा सुनी होने पर पैदल 450 किलो मीटर दूर तक चला गया यह जानकारी भी सुनी। इंसान गुस्से में कुछ भी कर सकता है।

गीत तेरी उंगली पकड़ के चला ममता के आंचल में पला माँ ओ मेरी माँ सुनकर कुछ समय के लिये बहुत ही भावुक हो गये। गीत बहुत ही पसंद आया।

कार्यक्रम में श्रोताओ के पत्र सराहनीय लगे।

कार्यक्रम में जोक्स सुनकर बहुत ही आनंद आया।

बेहतरीन कार्यक्रम टी टाइम सुंदर आवाज के साथ सुनवाने के लिये आप का दिल से शुक्रिया प्रकट करते है।

अरोड़ा जी प्रोग्राम के बारे में टिप्पणी भेजने और तारीफ करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।

इसी के साथ आज के प्रोग्राम में श्रोताओं की टिप्पणी यही संपन्न होती है।

अब बारी है जोक्स यानी हंसगुल्लों की।

पहला जोक

मास्टर जी - दशमलव किसे कहते हैं...?पप्पू - जब 10 से लव हो जाए,उसी को दशमलव कहते हैं...!!!

दूसरा जोक

पप्पू जलेबी बेच रहा था, लेकिन कह रहा थाआलू ले लो आलू ले लो....राहगीर- लेकिन ये तो जलेबी है.पप्पू- चुप हो जा! वरना मक्खियां आ जाएंगी।

तीसरा जोक

डॉक्टर - आपका लड़का पागल कैसे हो गया...?.बाप - वो पहले जनरल बोगी में सफर करता था...!.डॉक्टर - तो...?.बाप - लोग बोलते थे थोड़ा खिसको-थोड़ा खिसको,तभी खिसक गया...!!!

रेडियो प्रोग्राम