राकेशः पत्र लिखने और ई-मेल के हमारे पते इस प्रकार हैं, पी. ओ. बॉक्स न 4216, सी. आर. आई.-7, पेइचिंग, चीन, 100040। आप हमें नई दिल्ली के पते पर भी पत्र लिख सकते हैं, नोट कीजिए, नई दिल्ली में हमारे दो पते हैं। पहला पता हैः हिन्दी विभाग चाइना रेडियो इंटरनेशनस, पहली मंजिस, ए ब्लॉक छ बटा चार, वसंत विहार, नई दिल्ली, पोस्ट-110057।
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ललिताः कार्यक्रम का अगला गीत सुनिए, इसे गाया है अल्का यागनिक और राठौर ने।
गीत के बोलः
लः दिन सारा गुज़ारा तोरे अँगना
अब जाने दे मुझे मोरे सजना
मेरे यार शब-ब-ख़ैर
ओ मेरे यार शब-ब-ख़ैर
रः आसान है जाना महफ़िल से
ओ कैसे जाओगे निकल कर दिल से
मेरे यार शब-ब-ख़ैर
ओ दिलबर दिल तो कहे तेरी राहों को रोक लूँ मैं
आई बिरहा की रात अब बतला दे क्या करूँ मैं
याद आएँगी ये बातें तुम्हारी
तड़पेगी मोहब्बत हमारी
मेरे यार शब-ब-ख़ैर
लः मैं धरती तू आसमाँ मेरी हस्ती पे छा गया तू
सीने के सुर्ख़ बाग़ में दिल बनके आ गया तू
अब रहने दे निगाहों में मस्ती
ओ बसा ली मैने ख़्वाबों की बस्ती
मेरे यार शब-ब-ख़ैर
रः ये चंचल ये हसीन रात हाय काश आज ना जाती
हर दिन के बाद रात है इक दिन तो ठहर जाती
कोईइ हमसे बिछड़ के न जाता
जीते का मज़ा आ जाता
मेरे यार शब-ब-ख़ैर
राकेशः इसी गीत को सुनना चाहा था जमील रेडियो श्रोता संघ जगदीशपुर गया से एम के जमील अहमद, शाहिन प्रवीण, गोरा प्रसाद, एस हुमायूं काबरी, मलीका हूड़कू, विद्यानंद रामदयाल, बाबू, मोना, जुनेद, जे के खान। अप्सरा रेडियो श्रोता संघ, कठोकर तालाब, गया से बच्चू परवाना, मोसरत जहां, बाबू सिंह, विजय कुमार सिंह, यासमीन बानो, मो जमाल मिस्त्री, रिनू रुही, निक्की और दानिश।
ललिताः कार्यक्रम का अंतिम गीत सुनिए, फिल्म "फिर वही दिल लाया हूं" से, आशा की आवाज में, संगीत दिया है श्री ओ. पी. नैय्यर ने।
गीत के बोलः
आँखों से जो उतरी है दिल में
तसवीर है एक अन्जाने की
खुद ढूँढ रही है शमा जिसे
क्या बात है उस परवाने की
आँखों से जो उतरी है दिल में
वो उसके लबों पर शोख हँसी
रँगीन शरारत आँखों में
साँसों में मोहब्बत की ख़ुशबू
वो प्यार की धड़कन बातोन में
दुनिया मेरी, बदल गयी
बनके घटा निकल गयी
तौबा वो नज़र मस्ताने की
खुद ढूँढ रही है शमा जिसे
क्या बात है उस परवाने की
आँखों से जो उतरी है दिल में
अंदाज़ वो उसके आने का
चुपके से बहार आये जैसे
कहने को घड़ी भर साथ रहा
पर उमर गुज़ार आये जैसे
उनके बिना, रहूनँगी नहीं
किस्मत से अब जो कहीं मिल जाये खबर दीवाने की
खुद ढूँढ रही है शमा जिसे
क्या बात है उस परवाने की
आँखों से जो उतरी है दिल में
राकेशः और इसे सुनना चाहा है मऊनाथ भंजन से जनाब फैज अहमद फैज, जिशान अहमद फैज, सलमान अहमद फैज, इमरान अहमद फैज, मुहम्मद शाहीद अंसारी, नूरुल हसन अंसारी, रसा तसलीम, तवा तसलीम तथा बेबी फरअत। इस के साथ ही हमारा आज का यह कार्यक्रम समाप्त होता है। अगले कार्यक्रम तक के लिए आज्ञा दीजिए, नमस्कार।
ललिताः नमस्कार।