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    039 दक्षिण केलिए उतर की दिशा में बढ़ना
    2017-08-01 19:51:55 cri

    दक्षिण केलिए उतर की दिशा में बढ़ना 南辕北辙

    "दक्षिण के लिए उतर की दिशा में बढ़ना"कहानी को चीनी भाषा में"नान युआन पेई त्स"(nán yuán běi zhé) कहा जाता है।

    बहुत प्राचीन काल की बात थी, एक व्यक्ति थाई हांग पहाड़ के क्षेत्र में रहता था। एक दिन, वह छु राज्य जाना चाहता था। छु राज्य थाई हांग पहाड़ के दक्षिण में स्थित था। सो वहां जाने के लिए इस व्यक्ति को दक्षिण की दिशा में जाना चाहिए था। लेकिन गाड़ी पर बैठते ही उसने कारवान को उत्तर की ओर जाने का हुक्म दिया। गाड़ी बड़ी तेज़ गति के साथ उत्तर की दिशा में दौड़ने लगी।

    रास्ते में एक परिचित व्यक्ति इस व्यक्ति से मिल गया। उसने थाई हांग वासी से पूछा:"आप यहां किधर जा रहे हैं?"

    थाई हांग वासी ने जवाब में कहा:"मैं छु राज्य जाना चाहता हूं।"

    "ओह, छु राज्य दक्षिण में स्थित है। आप उल्टी दिशा उत्तर में जा रहे हैं।" परिचित ने उसे समझाया।

    "कोई बात नहीं। मेरा यह घोड़ा बढ़िया नस्ल का है। दिन में वह हजार ली (दो ली एक किलोमीटर के बराबर है) और रात में आठ सौ ली दौड़ सकता है।" थाई हांग वासी ने कहा।

    तो परिचित व्यक्ति ने कहा:"भैया, आप का घोड़ा कितनी ही तेज़ी से क्यों न दौड़ता है, फिर भी उत्तर की ओर चलने से आप छु राज्य नहीं पहुंच सकेंगे।"

    उस व्यक्ति ने फिर कहा:"कोई बात नहीं। मेरे पास पर्याप्त धन दौलत है। लम्बी यात्रा के लिए काफ़ी है। कई दिनों के सफ़र में भी भूख का खतरा नहीं है।"

    "यात्रा का पैसा ज्यादा होने पर भी काम नहीं चलेगा, क्यों कि उत्तर की दिशा में आप छु राज्य नहीं पहुंच सकते।" परिचित व्यक्ति ने ऐसा कहा।

    "चिंता की कोई बात नहीं है। मेरा कारवान बढ़िया कारवान है, वह गाड़ी को बड़ी आराम से चला सकता है, कोई उसका कोई जवाब नहीं है।"थाई हांग वासी ने फिर कहा।

    कहते ही उसने कारवान को फिर रास्ता पकड़ने को कहा। गाड़ी फिर तेज़ गति के साथ उत्तर की ओर दौड़ने लगी। यह व्यक्ति नहीं समझता था कि उसका घोड़ा कितनी भी तेज़ी से दौड़े तो हो, उसकी धन राशि जितनी भी ज्यादा हो और उसका कारवान कितना भी कुशल हो, उतना वह छु राज्य से दूर चला जाएगा।

    "दक्षिण के लिए उतर की दिशा में बढ़ना"यानी चीनी भाषा में"नान युआन पेई त्स"(nán yuán běi zhé) नाम की इस नीति कथा ने हमें बताया है कि किस भी काम करने के लिए उसका लक्ष्य साफ़ होना चाहिए और इसके विपरीत कोशिश से बचना चाहिए। वरना आप का लक्ष्य कभी प्राप्त नहीं हो सकता।

    इस"दक्षिण के लिए उतर की दिशा में बढ़ना"शीर्षक कहानी एक और रूप है, जो इस प्रकार है:

    ईसा पूर्व पांचवीं से तीसरी शताब्दी तक चीन का युद्धरत रज्य काल था। उस काल में चीन की भूमि पर अनेक राज्य स्थापित हुए, जो एक दूसरे से लड़ रहे थे। सभी राजा दूसरों पर विजय पाकर महा राजा बनने की कोशिश में थे और अपने महत्त्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए बुद्धिमान सहायकों की खोज भी कर रहे थे। वेई राज्य का राजा भी महा राज बनने का सपना देख रहा था, वह अपने पड़ोसी राज्य चाओ पर हमला बोलने को तैयार में था। खबर सुनकर वेई राज्य का सहायक, मंत्री ची ल्यांग बाहर से जल्दी वापस लौटा और वेई राजा को मनाने राजमहल जा पहुंचा।

    वेई राजा चाओ राज्य पर धावा बोलने की योजना बनाने में जुटा था, जब ची ल्यांग को इस तरह जल्दबाजी से लौटे देखकर उसे बड़ा ताज्जुब हुआ और उसने पूछा कि तुम इतनी जल्दबाजी में मुझ से मिलने आया हो, ज़रूर कोई आवश्यक काम होगा।

    ची ल्यांग ने कहा:"महामहिम राजा, अभी रास्ते में मैं ने एक आश्चर्यजनक बात देखी है, जिसे मैं राजा को सुनाने आ पहुंचा हूं।"

    वेई राजा को कौतुहट हुई। उसने ची ल्यांग से जल्दी से कहानी बताने को कहा।

    चील्यांग ने कहानी इस प्रकार शुरू की:"रास्ते में मैंने एक गाड़ी देखी है, जो उत्तर की दिशा में जा रही है। मैंने गाड़ीवान से पूछा:'तुम कहां जा रहे हो? '

    गाड़ीवान ने कहा:'मैं छु राज्य को जा रहा हूं।'

    मुझे ताज्जुब हुआ कि छु राज्य तो दक्षिण में स्थित है, वह क्यों उत्तर की दिशा में जा रहा है। तो मैंने फिर पूछा:'छु राज्य दक्षिण में है, तुम्हारी गाड़ी क्यों उत्तर की ओर जा रही है?'

    गाड़ीवान ने बड़ी लापरवाही से कहा:'कोई बात नहीं, मेरा घोड़ा बहुत तेज गति से दौड़ सकता है, वह मुझे छु राज्य ले जाएगा।'

    मुझे और समझ में नहीं आ सका, तो पूछा:'मान लो, तुम्हारा घोड़ा बहुत बढिया है,लेकिन फिर भी यह दिशा छु राज्य को नहीं जाती है।'

    उसने फिर लापरवाही से कहा:'चिंता मत, मेरे पास धन दौलत बहुत है।'

    मैंने फिर आश्चर्य के साथ पूछा:'मान लो, तुम्हारे पास पैसा काफी है, फिर

    भी यह रास्ता छु राज्य को जाने वाला नहीं है।'

    गाड़ीवान ने परिहास करते हुए कहा:'तो क्या हर्ज होगा?मैं गाड़ी हांकने में कुशल हूं।'"

    ची ल्यांग ने कहानी सुनाते हुए कहा:"महामहिम राजा, उस गाड़ीवान ने अंत तक भी मेरी सलाह नहीं मानती और वह उत्तर की दिशा में चला गया।"

    वेई राजा ने कहानी का मज़ा लेकर हंसते हुए कहा:"दुनिया में इसी प्रकार का बुद्धु भी है।"

    ची ल्यांग ने मौका पाकर कहा:"महामहिल राजा, आप सभी राजाओं का मुखिया बनना चाहते हैं न, तो इसके लिए पहले देश के सभी लोगों से समर्थन मिलना चाहिए। लेकिन आप महज अपनी शक्ति के बल पर अपने से छोटे चाओ राज्य पर विजय पाने से अपनी प्रतिष्ठा बढ़ाना चाहते हैं, इस का निश्चय ही ठीक उलटा परिणाम निकलेगा, जैसा कि उस गाड़ीवान के ही ले लीजिए, जो दक्षिण में स्थित छु राज्य को जान के लिए उलटे उत्तर की दिशा में दौड़ रहा हो, इस तरह जितना वह तेज़ गति से दौड़ेगा, उतना छु राज्य पहुंचने के लक्ष्य से ज्यादा दूर होता जाएगा। महाहिम आप का लक्ष्य भी पूरा होना असंभव है।"

    वेई राजा को तब मालूम हुआ कि असल में ची ल्यांग ने इस कहानी से उन्हें चाओ राज्य पर हमला बन्द करने के लिए समझाने की कोशिश की है। अच्छी तरह सोचने पर उन्हें ची ल्यांग का तर्क सही लगा और मानना भी पड़ा और उसने अंत में चाओ राज्य पर हमले की योजना त्याग दी।

    चीन में"दक्षिण के लिए उतर की दिशा में बढ़ना"शीषर्क नीति कथा काफी लोकप्रिय है, जो अकसर लक्ष्य की उलटी दिशा में कोशिश करने की हरकत बताने में प्रयोग किया जाता है।

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