Web  hindi.cri.cn
    038 ड्रैगन को मार डालने का कौशल
    2017-07-25 19:36:51 cri

    शत फुट डंडा लम्बा नहीं है 百尺竿头更进一步

    "शत फुट डंडा लम्बा नहीं है", इसे चीनी भाषा में"पाई छी कान थोउ कंग चिन ई पू"(bǎi chǐ gān tóu,gèng jìn yī bù) कहा जाता है। इसमें"पाई छी"का मतलब है सौ फुट, "कान थोउ"का अर्थ है डंडा का ऊपरी भाग,"कंग चिन ई पू"का अर्थ है और आगे बढ़ जाना। कुल मिलाकर कहा जाए, तो"पाई छी कान थोउ कंग चिन ई पू"का मतलब"सौ फुट लम्बे डंडे से एक कदम आगे बढ़ना है।"

    आज से एक हजार वर्ष पहले, चीन के सोंग राज्य काल (वर्ष 960 से वर्ष 1297 तक) में चिंग छन (Jing Cen) नाम का एक महा भिक्षु थे। उन्होंने लोगों को शिक्षा देने केलिए एक काव्य बनाया, जो इस प्रकार है:शत फुट लम्बा डंडा खास नहीं है, मोक्ष पाना शायद ही सत्य है, शत फुट से भी लम्बा अवश्यक है, दसवें लोक में प्रवेश असली मुक्ति है।

    एक दिन, आचार्य चिंग छन बौद्ध मंदिर के शिक्षा भवन में बौद्ध सूत्रों पर व्याख्यान दे रहे थे। भवन में उपस्थित सभी लोग उनका उपदेश बड़े ध्यान से सुनते थे। उनकी बातें इतनी रूचिकर थी कि विशाल भवन में आचार्य की आवाज़ छोड़कर तनिक भी ध्वनि नहीं सुनाई भी नहीं पड़ी। आचार्य का उपदेश सुनने के बाद एक भिक्षु ने उठकर नमस्कार किया और आचार्य से बौद्ध धर्म के सर्वोच्च स्थान के संबंध में प्रश्न किए। दोनों में गहन अध्ययन की बातें चलीं और बातचीत विनम्र और स्नेह से भरी दिखी।

    आचार्य चिंग छन ने उस भिक्षु को समझाते हुए कहा:"सौ फुट लम्बा बांस का डंडा ज्यादा लम्बा नहीं माना जा सकता है। उससे भी फुट-फुट लम्बा होना चाहिए। दसवां स्वर्ग लोक सच्चे मायने की उच्चतम ऊंचाई कहा जा सकता है।"

    "शत फुट डंडा लम्बा नहीं है"यानी चीनी भाषा में"पाई छी कान थोउ कंग चिन ई पू"(bǎi chǐ gān tóu,gèng jìn yī bù) नाम की इस कहानी से चीन में यह कहावत प्रचलित हो गया कि सौ फुट लम्बे डंडे से एक कदम आगे बढ़ो। अर्थात प्रगति की कोई सीमा नहीं है, सौ फुट लम्बाई से भी लम्बा होने की असलियत होती है, हमें चाहिए कि एक-एक कमद आगे बढ़े और ज्यादा से ज्यादा प्रगति पाए।

    चोउ ची की सौंदर्य प्रतिस्पर्धा 邹忌比美

    "ची की सौंदर्य प्रतिस्पर्धा"कहानी को चीनी भाषा में"चोउ ची पी मेई"(zōu jì bǐ měi) कहा जाता है। इसमें"चोउ ची"व्यक्ति का नाम है।"पी"का अर्थ है तुलना, जबकि"मेई"का अर्थ है सौदर्य।

    प्राचीन चीन के छीक्वो राज्य के प्रमुख मंत्री चोउ ची असाधारण सुन्दर और सुडौल था। एक सुबह वस्त्र और टोपी पहनने के बाद उसने पत्नी से पूछा:"तुम्हारी नज़र में मैं और शहर के उत्तरी भाग में रहने वाले श्यु कांग दोनों में से कौन ज्यादा सुन्दर है?"

    पत्नी ने उसकी सराहना करते हुए कहा:"आप असाधारण सुन्दर है। आप के सामने श्यु कांग कुछ भी नहीं है।"

    शहर के उत्तरी भाग में रहने वाला श्यु कांग छीक्यो राज्य में अत्यन्त मशहूर सुन्दर पुरूष था। चोउ ची बराबर इस आशंका से दूर नहीं हो सकता था कि वह श्यु कांग से ज्यादा सुन्दर है। तो, उसने अपनी उपपत्नी से पूछा :"तुम कहो कि मैं और उत्तरी शहर में रहने वाले श्यु कांग में से कौन ज्यादा सुन्दर है?"

    उसकी उपपत्नी ने जवाब देते हुए कहा:"श्यु कांग आप के सानी कभी नहीं होगा।"

    एक दिन, कोई मेहमान घर आया। मौका पाकर चोउ ची ने उससे भी यह सवाल पूछा:"मैं और श्यु कांग में से कौन अधिक सुन्दर है?"

    तो मेहमान ने कहा:"श्यु कांग आप से ज्यादा सुन्दर नहीं है।"

    एक बार, उत्तरी शहर का श्यु कांग भी चोउ ची के घर आया। इस बार चोउ ची ने विशेष रूप से शक्ल सूरत, कद काठी और चाल चरन पर श्यु कांग से अपने की तूलना की। उसे साफ़-साफ़ लगा कि वह श्यु कांग से ज्यादा सुन्दर नहीं है। फिर उसने आइने में अपने को फिर आजमाया, तो और पक्का अनुभव हुआ था कि श्यु कांग उससे ज्यादा सुन्दर है।

    रात को एकांत में सोच-विचार करने के बाद चोउ ची इस निष्कर्ष पर जा पहुंचा था कि उसकी पत्नी इसलिए उसे सुन्दर बताती थी, क्योंकि वह उसे प्यार करती है। उसकी उपपत्नी इसलिए उसे सुन्दर कहती थी, क्योंकि वह उससे डरती है। जब मेहमान ने उसे सुन्दर कहा, क्योंकि वह उससे मदद मांगने के लिए आया था। असल में वह श्यु कांग से ज्यादा सुन्दर नहीं है।

    "चोउ ची की सौंदर्य प्रतिस्पर्धा"यानी चीनी भाषा में"चोउ ची पी मेई"(zōu jì bǐ měi) नाम की यह नीति कथा कहती है कि किसी भी को अपने को सही समझना चाहिए, और दूसरों की खुशामद से दूर रहना चाहिए। वरना तो ठीक निष्कर्ष नहीं निकाल सकता।

    1  2  3  
    © China Radio International.CRI. All Rights Reserved.
    16A Shijingshan Road, Beijing, China. 100040