हाथी को बचाना 大象报恩
कहानी"हाथी को बचाना"को चीनी भाषा में इसे"ता श्यांग पाओ अन"(dà xiàng bào ēn) कहा जाता है। इसमें"ता श्यांग"है हाथी, जबकि"पाओ अन"का अर्थ है भलाई के बदले भलाई करना है।
बहुत पहले की बात है। दक्षिण चीन के क्वांगतोंग प्रांत में एक शिकारी रहता था। वह तीर चलाने में पारंगत था और कोई भी जानवर उसके निशाने से नहीं बच सकता था।
एक दिन, शिकारी अपने तीर-कमान लेकर घने जंगल में पहुंचा। दोपहर में थकान होने पर वह एक बड़े पत्थर पर सो गया।
सपने में उसे लगा जैसे कि कोई उसे झकझोर रहा हो। आंखें खुली तो उसे बड़ा आश्चर्य हुआ कि एक विशाल हाथी की सूंड ने उसे जकड़ कर रखा है। पहले पहल शिकारी ने छटपटा कर खुद को छुड़ाना चाहा, पर फिर सोचा कि हाथी बेहद शक्तिशाली है, वह अपनी ताकत के बूते उसकी पकड़ से छूट नहीं सकता। तो उसने अपना भाग्य भगवान भरोसे छोड़ दिया।
इसी बीच हाथी उसे एक बड़े से पेड़ के पास ले आया और उसे नीचे जमीन पर रख दिया। हाथी ने अपनी लम्बी सूंड को आकाश की ओर उठाकर ज़ोर की आवाज़ दी। इसे सुनकर दूसरे हाथी चारों ओर पेड़ के पास आ पहुंचे और ऐसा लगा जैसे हाथी उसे मारना न चाहते हों।
शिकारी बड़े असमंजस में था। उसेसमझ में नहीं आ रहा था हाथी आखिर करना क्या चाहते हैं, इस पर वह बड़े आश्चर्य में हाथी की ओर देखने लगा। तभी हाथियों के दल का नेता हाथी उसके आगे झुक कर बैठ गया और उसकी नज़र पहले पेड़ के ऊपर की ओर दौड़ी, फिर शिकारी पर। बार-बार वह ऐसा करता रहा। शिकारी को लगा कि शायद हाथी चाहता है कि वह पेड़ पर चढ़ जाए,तो वह हाथी के पीठ पर बैठा और पेड़ पर चढ़ भी गया। फिर भी शिकारी को पता नहीं था कि वह पेड़ पर क्या करेगा।
इसी बीच दूर से शेर की हुंकार सुनाई दी। सभी हाथी भय के मारे कांपते हुए ज़मीन पर बैठ गये और दल का नेता हाथी याचना की मुद्रा में शिकारी की ओर देखने लगा। तब शिकारी को समझ में आया कि असल में हाथी शेर से अपने को बचाना चाहता है।
शिकारी ने तीर कमान निकाल कर खूंखार शेर पर तीर मारा। अचूक ताकतवर बाण से शेर वहीं ढेर हो गया। पेड़ के नीचे झुके सभी हाथी उठ गए और खुशी के मारे झूम-झूम कर नाचने लगे। लम्बी-लम्बी सूंड हवा में आगे बढ़ाकर शिकारी का आभार जताने लगे।
शिकारी भी बड़ा खुश हुआ। उसने एक हाथी की सूंड थपथपथायी,तो दूसरे हाथी के जांघ को छुआ। नेता हाथी ने अपनी सूंड से धीरे-धीरे शिकारी के कपड़ों को खीचा, मानो हाथी उस से अपनी पीठ पर बैठने के लिए कह रहा हो। इसपर शिकारी फिर उसकी पीठे पर बैठ गया। हाथी उसे घने जंगल की रहस्य भरी जगह ले गया। उसने सूंड से ज़मीन पर ढके पत्तों की मोटी मोती परत हटायी। ज़मीन के नीचे एक गड़ढा दिखा,जिसमें कई हाथियों के दांत दफ़न थे।
शिकारी को लगा कि अपनी जान बचाने की वजह से शुक्रिया अदा करने के लिए हाथी उसे हाथीदांत भेंट स्वरूप देना चाहता है, तो उसने रस्सी से कुछ हाथीदांत एक साथ बांधे और वह फिर हाथी के पीठे पर चढ़कर बैठ गया। हाथी ने शिकारी को हाथीदांत सहित जंगल से बाहर पहुंचाया। हाथी से विदा लेने के बाद शिकारी घर लौटा। इस असामान्य आपबीती की याद करते ही वह कहा करता था कि हाथी सचमुच वफ़ादार और ईमानदार पशु होता है।