मौत से बेखौफ 不死奥秘
नीति कथा"मौत से बेखौफ"चीनी भाषा में"पू स आओ मी"(bù sǐ ào mì) कहा जाता है। इसमें"पू"का अर्थ है नहीं, जबकि"स"का अर्थ है मरना या मौत होना और"आओ मी"का अर्थ है रहस्य।
प्राचीन चङ राज्य में फान नाम का एक धनी बुजुर्ग रहता था। उसका पुत्र चीह्वा स्वाभाव में बड़ा स्वच्छंद और खुशमिजाज था। वह विभिन्न तरह के बहादुर और बुद्धि वालों को अपने घर में रखकर पालना पसंद करता था।
राज्य में चीह्वा का कोई सरकारी पद नहीं था,लेकिन राजा भी उसका सम्मान करता था और उसे एक बहुत असाधारण व्यक्ति समझता था। समाज में ऐसा सम्मानीय स्थान पाने के कारण चीह्वा कभी-कभी बहुत घमंडी व्यवहार करता था और दूसरों से खुशामद चाहता था। जिसे वह खुद पसंद नहीं करता, उसकी घोर उपेक्षा करता। चीह्वा समाज के विभिन्न वर्गों के असामान्य लोगों को घर में रखने के शौकीन था, किन्तु वह उनकी भावना पर कोई महत्व नहीं देता था।
एक दिन, चीह्ना के दो आदमी किसी काम के लिए बाहर गए। वे रास्ते में सांग छ्युकाई नाम के एक गरीब व्यक्ति के घर में विश्राम के लिए रूके। बातचीत में दोनों लोगों ने अपने मालिक चीह्वा के असीम वैभव और सामाजिक प्रभाव की खूब तारीफ की और कहा कि वह लोगों का भाग्य तय कर सकता था।
सांग छ्युकाई एक गरीब व्यक्ति था। चीह्वा आदमियों की बातें सुनने के बाद उसने चीह्वा से मिलने जाने का निश्चय किया।
सांग छ्युकाई की उम्र अधिक थी। दिखने में भी अच्छा नहीं था। साथ ही उसकी वेशभूषा भी अच्छा नहीं थी। चीह्वा ने उसे अपने घर में रख तो दिया, पर उस पर ज़रा भी महत्व नहीं देता था। चीह्वा के अधीनस्थ दूसरे लोग भी सांग छ्युकाई को बेकार समझते थे और अकसर उसका मजाक उड़ाते थे। लेकिन सांग छ्युकाई इस सबको बड़े धैर्य के साथ सह लेता था और कभी भी गुस्सा नहीं आता था।
एक दिन, चीह्वा के आदमी एक ऊंचे मंच के पास आए। उन्होंने सांग छ्युकाई की हंसी उड़ाना चाहा और उससे कहा कि अगर वह इस ऊंचे मंच पर से नीचे कूदे और ज़रा भी चोट नहीं लगेगी, तो उसे सौ ल्यांग (दो सौ ग्राम के बराबर) का सोना इनाम के रूप में दिया जाएगा।
सांग छ्युकाई बिना हिचकते ऊंचे मंच पर चढ़ा और आराम से नीचे कूद पड़ा। साथ ही उसे ज़रा भी खरोच नहीं आयी। किन्तु चीह्वा के सभी आदमी उसकी इस सफलता को संयोग समझते थे।
फिर एक दिन, किसी ने सांग छ्युकाई से मजाक में कहा:"इस गहरे तालाब में सोने चांदी का एक संदूक है। यदि तुझमें साहस है, तो तालाब में कूद कर उसे बाहर निकाल कर ला। वह भी तुम्हारा हो जाएगा।"
सांग छ्युकाई फिर बिना हिचके तालाब में डुबकी लगा कर वह संदूक निकाल कर बहार ला गया। इस बार सभी आदमी सांग छ्युकाई को अलग दृष्टि से देखने लगे।
और एक दिन, चीह्वा के घर के एक गोदाम में आग लगी। सांग छ्युकाई बड़ी बहादुरी के साथ आग के सागर में घुसकर गोदाम में रखे तमाम रेशमी कपड़ों को निकाल कर बचाया और इस की कोशिश में उसे शारीरिक नुकसान भी नहीं पहुंची। सभी लोग उसे जादूगर समझने लगे और उसका देवता की भांति व्यवहार करते रहे।
इन घटनाओं के बाद सांग छ्युकाई ने चीह्वा के आदमियों में एक विशेष स्थान बनाया । सभी लोग उसका सम्मान करते थे और उससे जादू सीखना चाहते थे। उनकी मांग पर सांग छ्युकाई ने बड़े ईमानदारी के साथ कहा:"असल में मैं किसी भी तरह का जादू नहीं जानता हूं। मैंने सुना था कि चीह्वा दूसरों की जिंदगी तथा अमीरी गरीबी को तय कर सकता है, सो मैं उनके यहां आया। वहां आने के बाद मैं अपने जीने-मरने की बात भूल गया हूं। जब कोई घटना हुई, तो बिना स्वार्थ और बहादुरी के साथ उस घटना से निपटने की कोशिश करता हूं। पर सच भी कहूं, अगर किसी घटना को निपटाने के लिए दोबारा वहीं काम किया जाय, शायद ही मैं कर पाऊं।"
चीह्वा के सभी आदमियों ने सांग छ्युकाई के तर्क के समर्थन में हां भरी और तब से उन्होंने दूसरों की अवहेलना करना छोड़ दिया।