आग बुझाने के लिए लकड़ी लाना 抱薪救火
तीसरी नीति कथा का शीर्षक है:"आग बुझाने के लिए लकड़ी लाना", इसे चीनी भाषा में"पाओ शिन च्यो हुओ"(bào xīn jiù huǒ) कहा जाता है। इसमें"पाओ शिन"का अर्थ है लकड़ी लाना और"च्यो"का अर्थ है बचाना, जबकि"हुओ"का अर्थ है आग।
चीनी ऐतिहासिक कहानी नामक ग्रंथों में यह कथा शामिल है कि चीन के युद्धरत राज्य (ईसा पूर्व 475 से ईसा पूर्व 221 तक के समय,) छिन राज्य की सैन्य शक्ति लगातार बढ़ती गई, अपनी सीमा का विस्तार करने के लिए वह अकसर वेई राज्य पर आक्रमण करता रहा।
एक साल, वेई राज्य का नया राजा गद्दी पर बैठा। इस मौके का लाभ उठाकर छिन राज्य ने वेई राज्य पर हमला बोल दिया। ताकतवर हमलावरों के आगे वेई राज्य की सेना को कई बार हार का मुंह देखना पड़ा और छिन राज्य की सेना ने उसके दो शहरों को अपने कब्जे में ले लिया।
दूसरे साल, छिन राज्य ने फिर एक बार वेई पर धावा बोला और उसके तीन शहरों को छीन लिया। विजय पाने के बाद छिन राज्य की सेना ने वेई राज्य की राजधानी की दिशा में चढ़ाई करना शुरू किया। नाजुक घड़ी में वेई के राजा ने हान राज्य से सहायता मांगी। हान राज्य की सेना तो आई, पर वह भी छिन राज्य की शक्तिशाली सेना से पराजित हो गई। लाचार होकर वेई राजा ने छिन राज्य को अपनी भूमि का एक भाग भेंट कर युद्ध विराम का समझौता किया।
इसके उपरांत तीन साल तक शांति बरकरार रही, तब छिन राज्य ने पुनः वेई राज्य पर फतह अभियान चलाना शुरू किया। युद्ध में वेई के और दो शहर खो गए और दर्जनों हजार सैनिक मारे गए। छिन राज्य के हमलों का मुकाबला करने के लिए वेई, हान और चाओ तीनों राज्यों ने संयुक्त मोर्चा बनाया। किन्तु तीनों राज्यों की संयुक्त सेना भी छिन राज्य की तगड़ी सेना के सामने नहीं टिकी और कुल एक लाख पचास हजार सैनिकों की जान गंवानी पड़ी। इस भारी पराजय से वेई का राजा बहुत भयभीत हो गया। उसने फिर से छिन राज्य को देश की कुछ भूमि भेंट कर युद्ध बन्द करवाना चाहा। भय से हारे उसके सेनापति और मंत्रियों ने भी राजा के इस मत का समर्थन किया।
उस समय सु ताई ( Su Dai) नाम का एक राजनीतिज्ञ था, वह शक्तिशाली छिन का मुकाबला करने के लिए दूसरे सभी राज्यों को एकसूत्र में बांधकर विशाल संयुक्त मोर्चा बनाने का पक्षधर था।
वेई राजा की यह योजना सुनकर सु ताई तुरंत वेई राजा के पास गया और छिन राज्य को भूमि की भेंट कर शांति पाने की योजना के विरोध में यह तर्क दिया:"महाराज, छिन हमलावर को बहुत लालच है। वह जितना संभव हो, उतनी भूमि हड़पने की कोशिश कर रहा है। उसे भूमि देकर शांति समझैता करने की सोच गलत है। क्योंकि महाराजा की तमाम भूमि भेंट कर भी उसे संतुष्ट नहीं किया जा सकता है। यह ऐसी स्थिति ऐसी है, जब आग धधक रही हो, उसे बुझाने के लिए आप पानी की जगह घास और लकड़ी लाकर लगातार आग पर डाल रहे हों। जब तक घास और लकड़ी पूरी तरह जल कर खत्म नहीं होती, तब तक आग जलती रहेगी। इसी तरह लोभी छिन राज्य भी महाराजा की सभी भूमि हड़पने के बाद ही दम लेगा।"
लेकिन वेई राजा सु ताई का सुझाव नहीं माना। शांति की चाह में वह छिन राज्य को अपनी भूमि का टुकड़ा-टुकड़ा देता रहा। कुछ साल के बाद छिन राज्य ने वेई राज्य को पूरी तरह हड़प कर अपने क्षेत्र में शामिल कर दिया।
"आग बुझाने के लिए लकड़ी लाना"यानी चीनी भाषा में"पाओ शिन च्यो हुओ"(bào xīn jiù huǒ) शीर्षक कहानी के आधार पर चीन में यह कहावत है कि आग बुझाने के लिए लकड़ी मत डालो।