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    काशिन-बेक रोग से ग्रस्त तिब्बतियों की मदद
    2017-06-06 15:04:15 cri

    दक्षिण पश्चिमी चीन के सछ्वान प्रांत के आबा तिब्बती स्वायत्त प्रदेश में रांगथांग नामक एक छोटा तिब्बती नगर स्थित है । पर इस सुन्दर नगर में बहुत से लोग काशिन-बेक नामक एक विशेष रोग से ग्रस्त होते रहे हैं । काशिन-बेक रोग (Kaschin-Beck disease) एक ऐसा भयानक बीमारी है जिससे ग्रस्त होने वाले लोग कोई भारी काम नहीं कर सकते और कभी कभी उन्हें चलने में भी बहुत मुश्किलें पेश आती हैं।

    रांगथांग काउटी में काशिन-बेक रोग की गंभीर स्थिति चलती है । काउटी की सिर्फ चालीस हजार से कम जनसंख्या होती है जबकि काशिन-बेक रोग से ग्रस्त लोगों की संख्या दस हजार से अधिक है । ऐसे रोग के प्रभाव से इस क्षेत्र के आर्थिक व सामाजिक विकास को रोका गया है और लोगों के जीवन स्तर को भी बूरा प्रभाव पड़ता है । रोग का मुकाबला करने के लिए स्थानीय सरकार ने भरसक कोशिश की है । रांगथांग काउटी के अस्पताल के प्रधान ल्याओ हूंग ने कहा,"काशिन-बेक रोग पैदा होने का कारण इस क्षेत्र के विशेष प्राकृतिक वातावरण, जल और खानपान की आदत आदि से संबंधित है । और अभी तक रोगियों को पूरी तरह से ठीक करवाना मुश्किल है । लेकिन सरकार ने जनता के स्वास्थ्य स्तर को उन्नत करने के लिए अधिकाधिक निवेश लगाना शुरू किया है और इधर के वर्षों में यहां के शिशुओं और किशोरों में काशिन-बेक रोग लगने की स्थिति बहुत सुधर गयी है ।"

    काशिन-बेक रोग के प्रसार से न सिर्फ स्थानीय अर्थतंत्र के विकास को रोका गया है बल्कि इस क्षेत्र में रहने वाली जनता को सुखमय जीवन से वंचित किया जा रहा है । केंद्र सरकार ने इस सवाल पर काफी ध्यान दिया है । भूतपूर्व प्रधानमंत्री वन च्या पौ ने वर्ष 2006 में स्थानीय सरकार को काशिन-बेक रोग के प्रसार को रोकने में भरसक कोशिश करने की आज्ञा दी । इस के बाद चीनी राज्य परिषद, वित्त मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय ने सब रांगथांग काउटी को भारी सहायता प्रदान करना शुरू किया । काउटी के गरीबी उन्मूलन विभाग के प्रधान जू त्से मींग ने कहा कि प्रदेश और काउटी दोनों की सरकारों के प्रयास से काशिन रोग के प्रसार को नियंत्रित कर दिया गया है । उन्हों ने कहा,"काशिन-बेक रोग लगने का कारण शायद यहां के लोगों के खाद्य पदार्थों या पेयजल से संबंधित है । इसलिए स्थानीय लोगों के खाद्य पदार्थों का बदलाव देना चाहिये । दूसरी बात है कि बच्चों को संक्रमित क्षेत्रों में से स्थानांतरित करने की आवश्यकता है । संक्रमित क्षेत्रों में पेयजल की स्थिति खराब थी । इस में सुधार लाने के बाद लोगों का स्वास्थ्य स्तर काफी उन्नत हुआ है । अभी तक कुल दो हजार परिवारों को संक्रमण-रहित क्षेत्र में स्थानांतरित किया गया है ।"

    इस पदाधिकारी का कहना है कि रांगथांग काउटी की सरकार ने बीते कई सालों में काशिन-बेक रोग के प्रसार को रोकने के लिए तीस करोड़ युवान खर्च किया है और स्थानीय जनता के जीवन स्तर को उन्नत करने के लिए और अधिक पूंजी लगायी है । काशिन-बेक रोग से ग्रस्त लोगों को चिकित्सीय बीमा व्यवस्था में शामिल करवाया गया और काउटी में एक कल्याण केंद्र तथा पाँच नर्सिंग होम स्थापित किये हैं ।

    वर्ष 2009 में स्थापित रांगमूदा नर्सिंग होम में काशिन-बेक रोग से ग्रस्त अनेक बुजुर्ग रोगी रहते हैं । यहां रहने वाले सभी रोगियों को निःशुल्क इलाज और सेवा प्राप्त है । इस के अतिरिक्त हरेक रोगी के लिए प्रति माह सौ युवान की भत्ता भी मिल पाती है । इस नर्सिंग होम के प्रधान गालमू ने कहा,"हमारे नर्सिंग होम में कुल 120 बिस्तर प्राप्त हैं । एक कमरे में दो आदमी रहते हैं । नर्सिंग होम में सभी उपकरणों का खर्च सरकार का होता है । कुछ रोगी अपने खुद की देखभाल करने के लिए असमर्थ हैं, तो हमारे कर्मचारी उन की पूरी देखभाल करते रहे हैं । उन की खानपान आदि सभी चीज़ें भी सरकार देती है ।"

    50 वर्षीया तिब्बती महिला छ्वोलो काशिन-बेक रोग से ग्रस्त हैं । उन की मां भी ऐसे रोग की शिकार हैं । छ्वोलो नर्सिंग होम में छह सालों के लिए रह चुकी हैं । उन्हें नर्सिंग होम में प्राप्त मदद के प्रति काफी संतोष लगता है । उन्हों ने कहा,"यहां का जीवन अच्छा लगता है । यहां के सेवक हमारे लिए सफाई या कपड़े धोने आदि का काम करते हैं । जब हमें चलने में मुश्किल होती है , तब वे हाथों में हाथ डालकर हमारे साथ चलते हैं ।"

    अब रांगथांग काउटी में काशिन-बेक रोग से ग्रस्त सभी रोगियों को चिकित्सा बीमा तंत्र में शामिल कराया गया है और उन की इलाज लागत की गारंटी हो चुकी है । कुछ रोगियों की हालचाल अच्छी होने लगी है और उन के जीवन स्तर का काफी सुधार दिखता है । सरकार के अथक प्रयास के जरिये स्थानीय लोगों ने स्वास्थ्य की आदत अपनायी है और उन के खाद्य पदार्थों में जौ के अतिरिक्त फल, सब्जी और किस्म किस्म के अनाज आदि भी शामिल होने लगे हैं । कामना है कि रांगथांग काउटी में रहने वाले सभी लोगों का जीवन बेहतर रहेगा ।

     

        रांगथांग काउटी के बारे में संक्षिप्त परिचय

    रांगथांग काउटी चीन के सछ्वान प्रांत के तिब्बती पठार पर स्थित है जिस की औसत ऊँचाई 3200 से अधिक मीटर होती है । रांगथांग में सन 1958 में काउटी स्तरीय शासन रखा गया था । प्राचीन काल के मींग राजवंश में इस क्षेत्र के शासक ने केंद्र शासन की अधीनता स्वीकार करना शुरू किया था ।

    यह चर्चित है कि सन 1935 में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व वाली लाल सेना ने रांगथांग क्षेत्र से गुजर कर वहां अस्थायी तौर पर एक जनवादी सरकार स्थापित की थी । नये चीन की स्थापना के बाद केंद्र सरकार ने रांगथांग काउटी सरकार औपचारिक तौर पर स्थापित की थी । अब रांगथांग सरकार का क्षेत्रफल 6800 किलोमीटर विशाल होता है जिसकी जनसंख्या लगभग 40 हजार तक रहती है और अस्सी प्रतिशत से अधिक निवासी तिब्बती चरवाहे ही हैं । तिब्बती जाति के अलावा हान, ह्वेई, मंगोलियाई और म्याओ आदि जातीय लोग भी हैं ।

    रांगथांग काउटी पहाड़ी क्षेत्र में स्थित है । काउटी में कुल 60 पहाड़ हैं जो 4500 मीटर से अधिक ऊँचे हैं । रांगथांग काउटी में छह मुख्य नदियां बहती हैं जिनका समृद्ध पनबिजली संसाधन प्राप्त है । सन 2013 तक रांगथांग में कुल 13 पनबिजली स्टेशन निर्मित किये गये हैं । सभी निर्माणाधीन पनबिजली घरों का निर्माण समाप्त करने के बाद काउटी में तीस मेगावाट बिजली का उत्पादन क्षमता प्राप्त होगी । रांगथांग काउटी में खनिज पदार्थों के अलावा जंगली जीव, वनस्पतियों और बहुमूल्य जड़ी-बूटियों का भंडार भी मौजूद है ।

    सन 2010 के आंकड़ों के अनुसार रांगथांग काउटी का कुल उत्पादन मूल्य 35 करोड़ युवान तक रहा । दो साल बाद काउटी में प्रति व्यक्ति के लिए उत्पादन मूल्य 56 हजार युवान तक पहुंचा । अब रांगथांग काउटी में खाद्य पदार्थ प्रोसेसिंग, बिजली, मशीनरी, चमड़े और सिलाई आदि उद्योग स्थापित हैं । नये चीन की स्थापना से पहले रांगथांग काउटी में कोई राज्य मार्ग नहीं था । सन 1966 से काउटी में राज्य मार्ग का निर्माण शुरू किया था । सन 2010 तक काउटी में कुल 342 किलोमीटर राज्य मार्ग निर्मित हो गये हैं । अब काउटी में सभी टाउनशिपों में राज्य मार्ग फैलाये गये हैं ।

    रांगथांग क्षेत्र में समृद्ध सांस्कृतिक संसाधन प्राप्त है । घासमैदान में फैले हिम पर्वत, झरना, मंदिर, झील आदि से गठित सुन्दर सुन्दर चित्र दिख रहे हैं । यहां के सुन्दर प्राकृतिक दृश्यों और रंग-बिरंगे सांस्कृतिक स्थलों से पर्यटकों को आकर्षित किया जा रहा है । जिस के आधार पर पर्यटन का विकास करने की बड़ी संभावना है ।

     (हूमिन)

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