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    032 असमान व्यवहार का कारण
    2017-06-13 19:41:22 cri

    सुन वू के सैनिकों का प्रशिक्षण 孙武练兵

    "सुन वू के सैनिकों का प्रशिक्षण"नाम की कहानी को चीनी भाषा में"सुन वू ल्यान पिंग"(sūn wǔ liàn bīng) कहा जाता है। इसमें"सुन वू"व्यक्ति का नाम है, जबकि"ल्यान"का अर्थ है अभ्यास करना और"पिंग"का अर्थ है सैनिक।

    चीन के वसंत-शरद काल के समय (ईसा पूर्व 770 से ईसा पूर्व 476 तक के समय ) सुन वू नाम का एक मशहूर सेनापति था। उसकी सैन्य कृति——सुन ची की रणनीति आज भी विश्व में प्रसिद्ध है।

    सुन वू की रण नीति पढ़कर तत्कालीन वु राज्य का राजा वु वांग बहुत प्रभावित हुआ। उसने सुन वू को अपनी सेना के सेनापति नियुक्त किया।

    एक दिन, राजा वु वांग ने सुन वू को राज महल में बुलाया और उससे कहा: "आपकी रचना--सुन ची की रणनीति मुझे बहुत पसंद है। आपने अच्छी पुस्तक लिखी है। क्या आप अपने सैन्य सिद्धांत के मुताबिक राजमहल की स्त्रियों को भी सैन्य प्रशिक्षण दे सकते हैं?"

    सुन वू ने जवाब में हां भरा और कहा:"मैं कर सकता हूं।"

    राजा वु वांग ने अपने महल की एक सौ अस्सी महिलाओं को इकट्ठे कर उन्हें सुन वू के हवाले कर दिया और महिला सेना का गठन करने का काम सौंपा।

    सुन वू ने सभी स्त्रियों को दो दलों में बांट कर दो सैन्य टुकड़ियां बनायी और राजा की दो रानियों को उनका नेता नियुक्त किया, सभी स्त्रियों को हथियार भी प्रदान किए गए।

    सुन वू ने नव गठित स्त्री सेना को बताया:"तुम लोग मेरे आदेश के मुताबिक काम करो। जब मैं आगे देखने का आदेश जारी करता हूं, तो तुम लोग आगे देखो, मैं बाईं ओर देखने को कहूं, तो तुम्हें वहीं देखना होगा, मेरा आदेश न मानने वाले को सज़ा दी जाएगी।"

    सैन्य अभ्यास का नियम साफ़-साफ़ बताने के बाद सुन वू ने दंड देने वाला सामान भी सामने रखे जाने की व्यवस्था की। इसके बाद सुन वू ने सैन्य अभ्यास का आदेश जारी किया, लेकिन राजमहल की स्त्रियां सुन वू के प्रबंध को महज खेल समझकर ठहाके मारने लगी।

    इसे देखकर सुन वू ने खुद को दोषी बताते हुए कहा कि सैन्य प्रशिक्षण के लिए उसका आदेश स्पष्ट नहीं रहा होगा, उसने फिर एक बार स्पष्ट शब्दों में आदेश दोहराया। अभ्यास दोबारा शुरू हुआ। स्त्रियां फिर लोट मोट कर ठहाके मारने लगी। तीन बार अभ्यास शुरू किया गया, तीनों ही बार स्त्रियों में ठहाके के साथ अव्यवस्था उत्पन्न हुई।

    सुन वू ने इस बार उन्हें माफ नहीं किया, उसने दोनों स्त्री सैन्य टुकड़ियों के नेताओं को नियम का उल्लंघन करने के आरोप में मौत की सज़ा देने का आदेश दिया।

    राजा वु वांग ने जब देखा कि सुन वू ने उसकी प्रिय रानियों को जान से मारने का आदेश दे दिया है, तो वह बहुत चिंतित हो गया। उसने अपने आदमी सैन्य मैदान में भेजकर सुन वू से उन दोनों रानियों को माफ़ करने को कहा, लेकिन सुन वू अपने निश्चय पर डटा रहा और उसके आदेशानुसार दोनों रानियों का वध कर दिया गया। फिर स्त्रियों में से दो नए नेता चुनी गई और सैन्य अभ्यास फिर से शुरू किया गया। इस बार सभी स्त्रियां आदेश का अनुसरण करते हुए अभ्यास करने लगी। अन्त में स्त्रियों का सैन्य प्रशिक्षण काफ़ी सफल हुआ।

    राजा वु वांग ने जब देखा कि उसके प्यार दुलार से बुरी आदतों वाली राज महल की स्त्रियां भी सुन वू के प्रशिक्षण से अब अनुशासित सैनिकों की तरह बन गई थी, तो उसे समझ में आया कि सुन वू सचमुच एक सुयोग्य सेनापति है। उसने सुन वू को वु राज्य की सभी सेना सौंप दी और सुन वू के कमान में वु राज्य की सेना ने कई भारी विजय प्राप्त की। परिणामस्वरूप वु राजवंश उस जमाने का शक्तिशाली राज्य बन गया ।

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