ल्हासा-न्यिंगची रेल मार्ग के निर्माण को दो साल हो गए हैं। इसी दौरान निर्माताओं ने कई भौतिक और इंजीनियरिंग कठिनाईयों का सामना कर दिया है ।
ल्हासा-न्यिंगची रेल मार्ग का निर्माण 19 दिसंबर 2014 में शुरू हुआ । इसकी कुल लंबाई कोई चार सौ किलोमटीर होता है, जो भावी सछ्वांग-तिब्बत रेल मार्ग का महत्वपूर्ण भाग बनेगा। इसमें 36 अरब 60 करोड़ युआन की पूंजी लगायी जाएगी और सात साल में इसका निर्माण पूरा होगा।
ल्हासा-न्यिंगची रेल मार्ग का 90 प्रतिशत भाग समुद्री सतह से 3000 मीटर ऊंचे पठार पर बना है, जहां भौतिक स्थिति अत्यंत जटिल है। इस रेलवे लाइन में पुलों और सुरंगों की लंबाई 301 किलोमीटर होगी। लेकिन निर्माणकर्ता कई कठिनाईयों को दूर कर इस योजना को आगे बढ़ा रहे हैं।
ल्हासा-न्यिंगची रेल मार्ग परियोजना के प्रमुख वांग रे ने कहा,"ल्हासा से शाननान तक लम्बे सुरंग का निर्माण किया जा रहा है । लेकिन यहां की भूवैज्ञानिक स्थितियां बहुत खराब है । रेल मार्ग के नीचे नींव रेत से भरा हुआ । ऐसे नींव में ड्रिलिंग करने में अत्यंत कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है । इस के सिवा चट्टान के अंदर में बहुत अधिक दबाव मौजूद है जिससे कभी कभी इंजीनियरिंग वाहनों को भी उड़ाया जाता है ।"
ल्हासा-न्यिंगची रेलमार्ग के निर्माण की अपनी विशेषता मौजूद है यानी रेल लाइन का 70 प्रतिशत भाग सुरंग ही होता है । ल्हासा-न्यिंगची रेलमार्ग की कुल लम्बाई चार सौ किलोमीटर है जबकि इसमें 301 किलोमीटर सुरंग ही है । उन में 16 किलोमीटर लम्बे सांग-जू-लींग सुरंग का निर्माण अत्यंत मुश्किल है । इस सुरंग की भूवैज्ञानिक स्थितियों में चट्टान दबाव, उच्च तापमान और पानी रिसाव आदि समस्याएं मौजूद रही हैं । परियोजना के तकनीशियन श्वान लूंग ने कहा,"सुरंग के भीतर तापमान बहुत उन्नत है । कभी कभी हम सुरंग के जमीन पर अंडा रखे, तो अंडा एक ही क्षण में पकाया गया है।"
भूवैज्ञानिक स्थितियों से पैदा कठिनाइयों का सामना करने के लिए निर्माताओं ने अनेक नयी तकनीकों का इस्तेमाल किया । इस रेल मार्ग के ऊपर निर्मित जांगमू पुल चीन में प्रथम ऐसा विशाल पुल है जिस में प्रयुक्त स्टील पाइप का व्यास बदलने वाला है । इस पुल के निर्माण में भी अनेक नया विश्व रिकोर्ड कायम किये गये हैं । परियोजना के एक निर्देशक चांग लीच्वन ने कहा,"पुल के मुख्य भागों को अगले साल में जोड़ा जाएगा । लेकिन सर्दियों में काम बन्द किया जाना पड़ेगा क्योंकि तापमान और तेज हवा से सुरक्षा और स्थायीत्व पर बूरा प्रभाव पड़ेगा । इस्पात का वेल्डिंग करने और सीमेंट की जमावट होने से भी उचित तापमान होना चाहिये । हम ने इस पुल के निर्माण में सिकुड़न-रहित सीमेंट का प्रयोग किया है जो उच्च दबाव का प्रतिरोध करने में भी सक्षम है ।"
ल्हासा-न्यिंगची रेल मार्ग के निर्माण से तिब्बत स्वायत्त प्रदेश को भीतरी इलाकों के सछ्वांग, युन्नान और क्वेइचाओ आदि प्रांतों को जोड़ा जाएगा जो तिब्बत के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है । तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की विकास व रुपांतर कमेटी के उप प्रधान कल्सांग त्सेवांग ने कहा,"जन जीवन के सुधार में रेल मार्ग की अपूरणीय भूमिका साबित है । क्षेत्रीय विकास में और विभिन्न क्षेत्रों के आदान प्रदान को बढ़ाने में रेल मार्ग भी अहम महत्वपूर्ण है। ल्हासा-न्यिंगची रेल मार्ग प्रशस्त होने के बाद वह मौजूदा छींगहाई-तिब्बत रेल मार्ग से दबाव का साझा कर सकेगा और भीतरी इलाकों से तिब्बत जाने वाले मौजूदा राज मार्गों का भी और ज्यादा इस्तेमाल हो सकेगा । और सछ्वान-तिब्बत रेल मार्ग के निर्माण से असाधारण दृश्य तैयार किया जाएगा ।"