अफगानिस्तान से आए छात्र नासिर शिनच्यांग में 4 साल तक चीनी भाषा सीखी है। उसे शिनच्यांग की रंग बिरंगी संस्कृति और अच्छे जीवन वातावरण बहुत पसंद है। उसके अनुसार, पहले मेरे पापा चीन में व्यापार करते थे। यहां उन्होंने रंगीन संस्कृति के प्रति रुचि दिखायी। वे चीनी मित्रों को बहुत पसंद करते हैं। उन्होंने मुझे बताया कि भविषय में तू भी एक व्यापारी बन सके। इसलिए मुझे स्थानीय भाषा सीखने की जरूरत है। मुझे चीनी सुलेखन का बड़ा शौक है। शिनच्यांग में अनेक दर्शनीय स्थल हैं, जो देखने योग्य है। यहां का वातावरण बहुत अच्छा है। वातावरण के अलावा यहां भी बहुत सुरक्षित है। यह अति महत्वपूर्ण है।
तबासुंग एक सुन्दर अफगानी लड़की है, जो अच्छी चीनी भाषा बोल पाती है। स्नातक के बाद की योजना की चर्चा में उस ने कहा कि वह स्वदेश वापस लौटकर चीनी भाषा सिखाएगी, ताकि चीन के प्रति अफगान जनता की समझ बढ़े। उस के अनुसार, मैं संभवतः स्वदेश वापस लौटूंगी और वहां एक चीनी भाषा की शिक्षक बनूंगी। मैं चीन के इतिहास और प्राचीन चीनी साहित्य आदि सीखना चाहती हूं। इस तरह मैं अपने देश, यानी अफगानिस्तान में लोगों को चीन की संस्कृति के बारे में ज्यादा जानकारी दे सकूंगी।
क्षेत्रीय शैक्षिक सहयोग का विकास को आगे बढ़ाने के लिए हाल में चीन के शिनच्यांग प्रांत चीन-मध्य एशियई देशों के उच्च शिक्षालय लीग, नये रेशम मार्ग अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्य अकादमी सहित अंतर्राष्ट्रीय शैक्षिक सहयोग के आवाजाही प्लेटफार्म का स्थापना कार्य कर रहा है। शिनच्यांग विश्वविद्यालय के अंतर्राष्ट्रीय आवाजाही व सहयोग ब्यूरो की प्रधान हेरिगुल नियाज़ ने कहा, इधर के कई सालों में अंतर्राष्ट्रीय आवाजाही व सहयोग में अनेक बड़ी परियोजनाएं हैं। उदाहरण के लिए 2016 के सितम्बर माह में हम ने शिनच्यांग की राजधानी उरूमछी में चीन-मध्य एशियाई देशों के विश्वविद्यालयों के प्रेजिडंत मंच का आयोजन किया। एक पट्टी एक मार्ग से जुड़े 7 देशों के 51 उच्च शिक्षालयों ने इस लीग में भाग लिया। हमारे लीग की स्थापना का मकसद है एक खुला व अंतर्राष्ट्रीय प्लेटफार्म की रचना करना है, ताकि देश विदेश के उच्च शिक्षालय सूचना, संसाधन एवं उपलब्धियों का उपभोग कर सकें।
2016 में केवल शिनच्यांग विश्वविद्यालय द्वारा रूस व कजाकस्तान आदि देशों को भेजने वाले छात्रों की संख्या 120 से ज्यादा थी। हेरिगुल नियाज़ ने बताया, इस मंच के आयोजन के बाद शिनच्यांग विश्वविद्यालय भी अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक अनुसंधान सहयोग और छात्रों की अदला-बदली जैसे क्षेत्रों में भारी प्रगति हासिल की गयी। मिसाल ले, गत वर्ष के सितम्बर माह से अब तक हम ने रूस, कजाकस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकस्तान समेत कई देशों के उच्च शिक्षालयों के साथ सहयोग किया। हमने हमारे छात्रों को उन देशों में एक सत्र या एक साल के लिए पढ़ने के लिए भेजा। यह हमारे द्वारा मध्य एशिया और एक पट्टी एक मार्ग से जुड़े देशों की जानकारी पाने में अहम भूमिका अदा करता है।
उच्च शिक्षालयों के बीच सहयोग व आवाजाही के निरंतर गहरा होने के साथ साथ चीनी भाषा और चीनी परम्परागत संस्कृति का असर भी निरंतर विस्तृत किया जाता रहता है। कुछ देशों ने चीनी भाषा की पढ़ाई को राष्ट्रीय शिक्षा सिस्टम में शामिल किया। विदेशों में चीनी भाषा सीखने वाले लोगों की संख्या दिन ब दिन बढ़ती रहती है। 2011 से 2016 के बीच केवल गिरगिस्तान और रूस में पंजीगृत चीनी छात्रों की संख्या40880 तक पहुंची है।