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    23 आग बुझाने में देर
    2017-04-11 19:03:11 cri

    आग बुझाने में देर 书生救火

    "आग बुझाने में देर"नाम की नीति कथा को चीनी भाषा में"शू शंग च्यु हुओ"(shū sheng jiù huǒ) कहा जाता है। इसमें"शू शंग"प्राचीन काल में साक्षरता के लिए एक विशेष शब्द है। पुराने जमाने में अधिक लोग अनपढ़ थे, तो ज्ञानी लोगों के सम्मान में"शू शंग"कहा जाता है। यहां तीसरे शब्द"च्यु"का अर्थ है बचाना और चौथा शब्द"हुओ"का अर्थ है आग।

    प्राचीन काल में चाओ राज्य के व्यक्ति छङ यांगखान के घर में एक दिन आग लग गयी। आग मकान की छत पर लगी थी, लेकिन उसे बुझाने के लिए घर में लकड़ी की सीढ़ी नहीं थी। घर के सभी लोग बेहद चिंतित थे।

    छङ यांगखान ने तुरंत अपने पुत्र छङ यांगन्यु को बन श्वेई शी के घर सीढ़ी लेने भेजा।

    छङ यांगन्यु बचपन से पढ़ता आ रहा था और अब तक पढ़ता आ रहा था। उसने ज्ञान कितना सीखा था, इसका साफ़ पता नहीं था, पर प्राचीन जमाने वाले विद्वानों के शिष्टाचार के बारे में वह ज़रूर पारंगत था।

    पिता के आदेश के बाद छङ यांगन्यु ने पहले उस प्रकार का कपड़ा पहना, जो दूसरे परिवार में मेहमान बनने के समय पहना जाता था। फिर वह विद्वान की ही तरह बड़े आरामदेह कदम के साथ धीरे-धीरे बन श्वेई शी के घर की ओर बढ़ा।

    बन श्वेई शी के घर पहुंच कर उसने तीन बार हाथ जोड़ कर नमस्ते कहा, फिर बैठक के कमरे में बड़े शिष्टाचार के साथ बैठ गया।

    बन श्वेई शी ने समझा कि छङ यांगन्यु मेहमान के रूप में आया है, तो उसने तुरंत उसके स्वागत में चायपान पेश किया। छङ यांगन्यु ने विनम्रता से जवाब दिया।

    इसके बाद बन श्वेई शी ने पूछा:"आप इस समय हमारे घर तशरीफ लाये हो, क्या कोई काम है?"

    छङ यांगन्यु ने आने का मकसद बताते हुए कहा:"दरअसल हमारे घर पर आफ़त आ पड़ी है। मकान आग से जल रहा है। छत में लगी आग बहुत भीषण है, पर छत पर चढ़ने के लिए सीढ़ी नहीं है। घर वाले बहुत चिंतित हैं। सुना है कि आपके घर में सीढ़ी है, क्या आप हमें आग बुझाने के लिए उधार दे सकते हैं?"

    अपनी बात कहने के बाद छङ यांगन्यु ने बार-बार हाथ जोड़ कर नमस्ते किया। उसकी बातें सुनकर बन श्वेई शी को बड़ी चिंता हुई। उसने कहा:"तुम बड़े उल्लू हो। जब पहाड़ पर खाना खाते समय बाघ आ धमका हो, तो कोई भी खाना छोड़ कर भाग जाना चाहता है। जब नदी में पांव धोते समय मगरमच्छ आ पहुंचा, तो ऐसा कोई नहीं होगा जो, अपने जूते को जान से अधिक मूल्यवान समझे। तुम्हारे घर पर आग छत पर भी पहुंच चुकी है, इस समय तुम किस तरह का शिष्टाचार दिखा रहे हो।"

    इतना कहते ही बन श्वेई शी पीठ पर सीढी लादे छङ यांगन्यु के घर की ओर दौड़ा, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। छङ यांगन्यु का घर जल कर राख हो चुका था।

    यह कहानी हमें बताती है कि अलग-अलग हालत में काम करने का तरीका अलग-अलग होना चाहिए। खासकर आपात स्थिति में जरूरत से ज्यादा शिष्टाचार दिखाने से काम खराब हो सकता है।

    ठूंठ के पास खरगोश का इंतजार 守株待兔

    "ठूंठ के पास खरगोश का इंतजार"नाम की नीति कथा को चीनी भाषा में"शोउ चू ताई थू"(shǒu zhū dài tù) कहा जाता है। इसमें"शोउ"का अर्थ है बैठकर रहना,"चू"का अर्थ है पेड़ का ठूंठ, जबकि"ताई"का अर्थ है इंतज़ार करना और"थू"है खरगोश। कुल मिलाकर कहा जाए तो"शोउ चू ताई थू"का अर्थ निकलता है कि ठूंठ के पास यह आस लगाए बैठा रहना कि बहुत से खरगोश आकर ठूंठ से टकराकर मर जाएंगे।

    प्राचीन सोंग राजवंश (960-1279) के दौर में, एक किसान अपना खेत जोत रहा था। अचानक खेत के पास झाड़ियों में से एक खरगोश तेजी से बाहर निकला। जल्दबाजी में वह खेत की मेढ़ पर खड़े एक पेड़ से टकरा गया और वहीं बेहोश होकर गिर पड़ा। किसान ने पास जाकर देखा कि वह खरगोश मर चुका है।

    दरअसल खरगोश की गति बहुत तेज़ थी, इसलिए पेड़ पर टकराने से उसकी मौत हो गयी। किसान की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। बिना मेहनत किए ही उसे खरगोश मिल गया। वह सोचने लगा कि आने वाले समय में भी यदि इसी तरह खरगोश मिलता रहा, तो मेहनत नहीं करनी पड़ेगी?

    इसके बाद किसान ने खेतीबाड़ी का काम छोड़ दिया और रोज़ वह पेड़ के नीचे बैठे खरगोश का इंतजार करने लगा कि कोई दूसरा खरगोश पेड़ पर टकराएगा।

    कहानी का अगला भाग तो आप खुद ही जान गए होंगे कि रोज़ पेड़ के नीचे बैठे इंतजार करते करते किसान का खेत बंजर पड़ गया। पर उसे फिर कोई खरगोश नहीं मिला। किसान इस मुगालते में था कि खरगोश बार-बार पेड़ से टकराकर मर जाएगा।

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