गरीब साधु और धनी साधु 穷和尚富和尚
"गरीब साधु और धनी साधु"कहानी को चीनी भाषा में"छोंग ह शांग ह फ़ू ह शांग"(qióng hé shang hé fù hé shang) कहा जाता है। इसमें"छोंग"का अर्थ है गरीब,"ह शांग"तो साधु है और"फ़ू"का अर्थ धनी है।
बहुत पहले की बात थी। एक अमीर भिक्षु और एक गरीब भिक्षु थे।
एक दिन, गरीब भिक्षु ने अमीर भिक्षु से कहा:"मैं बौद्ध धर्म के तीर्थ स्थल नानहाई सागर जाना चाहता हूं। आप की क्या राय है?"
धनी भिक्षु ने जवाब में कहा:"नानहाई सागर यहां से बहुत दूर है, वहां जाने आने में कई हजार ली (दो ली एक किलोमीटर के बराबर है। एक हज़ार ली तो पाँच सौ किलोमीटर की दूरी है) का रास्ता तय करना है। वहां जाने केलिए आप के पास कौन सा साधन उपलब्ध है? "
गरीब भिक्षु ने कहा:"मेरे लिए पानी भरने की एक बोतल और खाना खाने का एक कटोरा काफ़ी है।"
अमीर भिक्षु ने ठहाका मार कर कहा:"कुछ साल पहले मैंने भाड़े पर एक जहाज़ लेकर तीर्थ नानहाई सागर जाने की ठान ली थी, लेकिन धनी होने पर भी अब तक मैंने यह तैयारी पूरी नहीं की, तो एक बोतल और एक कटोरे के साथ आप क्या कर सकते हैं?आप केलिए नानहाई सागर जाना दिवास्वप्न होगा।"
एक साल के बाद अमीर भिक्षु जहाज़ भाड़े पर लेने केलिए पैसा जुटाने में अभी भी लगा रहा था कि गरीब साक्षु नानहाई सागर की तीर्थयात्रा पूरा कर वापस आ चुका था।
खैर, कहते हैं कि खाली संकल्प करने से ज्यादा काम आता है ठोस काम करने से।