Web  hindi.cri.cn
    परंपरागत तिब्बती चिकित्सा पद्धति का विकास और संरक्षण
    2017-02-07 15:37:08 cri

     

    परंपरागत तिब्बती चिकित्सा पद्धति तिब्बती संस्कृति का अहम भाग माना जाता है । आधुनिक काल में प्रविष्ट होने के बाद हमें यह पक्का विश्वास है कि परंपरागत संस्कृति का संरक्षण करने की अहम आवश्यकता है । चीन सरकार ने दीर्घकाल तक परंपरागत तिब्बती चिकित्सा पद्धति का विकास और संरक्षण करने में भरसक प्रयास किया है ।

    24 वर्षीय तिब्बती लड़का वांगगा तिब्बती चिकित्सा कॉलेज में अध्ययन कर रहे हैं । उन्हों ने कहा कि तिब्बती चिकित्सा का अध्ययन करना काफी मुश्किल है । उन्हें हर रोज़ पाँच-छह घंटे चिकित्सा संहिता का व्यारूया करना पड़ता है । लेकिन वांगगा के बचपन से का सपना है कि वह किसी दिन एक डाक्टर बनेगा । इसलिए अपना सपना साकार करने के लिए कष्ट काम करना लायक है ।

    वांगगा ने कहा,"मेरा घर नागरी प्रिफेक्टर में स्थित है । वहां मेडिकल की स्थिति अपेक्षाकृत पिछड़ी हुई हैं, और डाक्टर भी कम है । सो मैं एक डाक्टर बनना चाहता हूं और मैं तिब्बती चिकित्सा पद्धति के जरिये तिब्बत के गांववासियों की सेवा करना चाहता हूं ।"

    तिब्बती चिकित्सा कॉलेज देश में एक ही ऐसा कॉलेज है जहां विशेष तौर पर परंपरागत तिब्बती चिकित्सा का अनुसंधान किया जाता है । कॉलेज में कुल 1100 से अधिक छात्र हैं । अपनी स्थापना से अभी तक के 25 सालों में कॉलेज हमेशा से परंपरागत तिब्बती चिकित्सा पद्धति के विकास और संरक्षण को प्राथमिकता देता रहता है । कॉलेज के डाइरेक्टर निमा त्सेरिंग ने कहा कि यह शब्द " वारिस " तिब्बती चिकित्सा के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण है । वारिस का मतलब है परंपरागत सांस्कृतिक विरासत सीखने का प्रतिभा । उत्कृष्ट प्रतिभा प्राप्त करने से तिब्बती चिकित्सा बनाये रखने की गारंटी हो सकेगी ।

    उन्हों ने कहा,"हमारे कॉलेज में गैर-भौतिक सांस्कृतिक विरासत के पाँच राष्ट्र स्तरीय वारिस हैं । तिब्बती चिकित्सा का 3800 साल का इतिहास प्राप्त है । परंपरागत संस्कृति का वारिस दिलाया जाना ही पड़ेगा । इस के अतिरिक्त सैद्धांतिक व्यवस्था और पुराने विशेषज्ञों की कौशल के संरक्षण को भी बनाये रखना ही चाहिये । हम अक्सर वृद्ध लोक चिकित्सकों को निमंत्रित करते हैं जो कॉलेज में अध्यापकों और छात्रों को क्लास देते रहे हैं ।"

    परंपरागत तिब्बती चिकित्सा पद्धति विश्व भर में सुप्रसिद्ध है । निमा त्सेरिंग ने कहा कि परंपरागत तिब्बती चिकित्सा के संरक्षण में केंद्र सरकार और स्वायत्त प्रदेश की सरकार ने इधर के वर्षों में तिब्बती चिकित्सा कॉलेज में प्रमुख विषयों और उपाधियों के निर्माण में भारी पूंजी डाली है ।

    उन्हों ने कहा,"केंद्र सरकार ने हमारे तिब्बती चिकित्सा कॉलेज को विषय व व्यवसाय की स्थापना तथा प्रतिभाओं के प्रशिक्षण में जोरदार समर्थन किया है । साथ ही स्वायत्त प्रदेश की सरकार ने भी कॉलेज में बुनियादी उपकरणों के निर्माण, परियोजना के पूंजीनिवेश और अध्ययन के विकास को भी सहायता दी है ।"

    तिब्बती चिकित्सा कॉलेज के निर्माण से तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में परंपरागत चिकित्सा के संरक्षण का प्रतीक होता है । वर्ष 2006 में तिब्बती चिकित्सा पद्धति को चीनी राष्ट्रीय गैर-भौतिक सांस्कृतिक विरासत की संरक्षण सूची के पहले ग्रुप में शामिल कराया गया था । इधर के वर्षों में स्वायत्त प्रदेश की सरकार ने इस के संरक्षण में अनेक कदम उठाये हैं और तिब्बती चिकित्सा के विकास को अधिकाधिक सहायता प्रदान की है । तिब्बती चिकित्सा के शिक्षण, अनुसंधान और संबंधित उद्योंगों के विकास में सब भारी प्रगतियां प्राप्त हो चुकी हैं । आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2013 तक स्वायत्त प्रदेश में कुल 30 पब्लिक तिब्बती चिकित्सालय रखे हुए हैं जिन में कुल 2232 कर्मचारी कार्यरत हैं । यह संख्या पूरे प्रदेश के सभी चिकित्सकों का 14.8 प्रतिशत रहती है । तिब्बती चिकित्सा के विकास से अधिकाधिक रोगियों को लाभ मिल पाया है ।

    लेकिन यह भी मानते हैं कि आधुनिक चिकित्सा के विकास से परंपरागत चिकित्सा को प्रभावित होता रहा है और साथ ही परंपरागत औषधीय संसाधनों के संरक्षण का अभाव भी पड़ता है । तिब्बती चिकित्सा कॉलेज के ग्रेजुएट स्कूल के प्रधान यांग-गा ने कहा कि तिब्बती परंपरागत चिकित्सा के विकास में आधुनिक चिकित्सा के रोग-निदान और अनुसंधान तरीके से बहुत सीखा जा सकता है । उदाहरण के लिए आधुनिक विज्ञान और यंत्रों के जरिये डाक्टर मानव शरीर की संरचना के आंतरिक अंगों को साफ-साफ देख पाते हैं । लेकिन दूसरे क्षेत्रों में तिब्बती परंपरागत चिकित्सा की भी अपनी श्रेष्ठता मौजूद है । इसलिए यांग-गा का मानना है कि सर्वप्रथम तिब्बती औषधीय संसाधनों के संरक्षण को मजबूत करना चाहिये, ताकि तिब्बती चिकित्सा के निरंतर विकास की गारंटी हो सके ।

    उन्हों ने कहा, " हम अनेक बार यह अपील करते रहे हैं कि परंपरागत औषधीय सामग्रियों का संरक्षण के बिना तिब्बती चिकित्सा का विकास भी असंभव होगा । क्योंकि बहुत सी जड़ी बूटी पहाड़ी या ठंडे क्षेत्रों में उगती हैं, उनमें बहुत से विलुप्त होने की कगार पर होते नज़र आ रहे हैं । आजकल हमारे नेताओं को भी यह महसूस है कि परंपरागत औषधीय सामग्रियों का जरूर ही संरक्षण किया जाना पड़ेगा । और प्रदेश में जड़ी बूटियां बोने की योजना भी शुरू की गयी है । अभी तक हमें अनुभव जमा करने की आवश्यकता है । क्योंकि परंपरागत औषधीय सामग्री तिब्बती चिकित्सा की नींव है, इस के बिना परंपरागत चिकित्सा का विकास असंभव है ।"

    अब तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की सरकार तिब्बती चिकित्सा को संयुक्त राष्ट्र मानव अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की नामसूची में शामिल करवाने की कोशिश कर रही है । पर तिब्बती चिकित्सा का प्रचार फिर भी मुश्किल है । तिब्बती चिकित्सा कॉलेज के ग्रेजुएट स्कूल के प्रधान यांग-गा ने विजिटिंग स्कॉलर के रूप में अमेरिका के हार्वर्ड विश्वविद्यालय में अध्ययन किया था । उन्हों ने कहा कि विदेशों में सांस्कृतिक आदान प्रदान करने से परंपरागत चिकित्सा का प्रसार किया जा सकेगा ।

    उन्हों ने कहा,"हमें विदेशों में तिब्बती चिकित्सा का प्रसार करना चाहिये और साथ ही तिब्बती दवाइयों को भी विदेशी बाजारों में दाखिल करवाना चाहिये । लेकिन अभी तक पश्चमी देशों में तिब्बती दवाइयों के प्रति विश्वास का निर्माण नहीं है । क्योंकि पश्चिमी लोग मौखिक विवरण को नहीं मानते , उन्हें जो चाहिये वह है उपचार का डेटा । यही संदर्भ में तिब्बती चिकित्सा अभी भी कमजोर है।"

    यांग-गा ने कहा कि देश के आर्थिक विकास से तिब्बती चिकित्सा के विकास के लिए मौका तैयार हो गया है । विश्वास है कि सभी पक्षों के प्रयत्न के साथ साथ विश्व भर में अधिक से अधिक लोगों को तिब्बती चिकित्सा की जानकारियां प्राप्त हो जाएंगी और तिब्बती चिकित्सा के इस्तेमाल से अधिकाधिक रोगियों को लाभ मिलेगा ।

    ( हूमिन )

    © China Radio International.CRI. All Rights Reserved.
    16A Shijingshan Road, Beijing, China. 100040