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    12 लोमड़ी ने बाघ को डराया
    2017-01-25 13:07:36 cri

    लोमड़ी ने बाघ को डराया   狐假虎威

    "लोमड़ी ने बाघ को डराया"कहानी को चीनी भाषा में"हू च्या हू वेइ"(hú jiǎ hǔ wēi) कहा जाता है, इसमें पहले शब्द"हू", दूसरे टॉन का उच्चारण है, यह लोमड़ी का मतलब है,"च्या"का मतलब उधार लेना है, तीसरे शब्द"हू", तीसरे टॉन का उच्चारण है, इसका अर्थ बाघ है। अंतिम शब्द"वेई"का मतलब है"खूंख्वारी"। कुल मिलाकर कहा जाए, तो"हू च्या हू वेइ"का मतलब निकलता है कि लोमड़ी बाघ के साथ चलने से बाघ की खूंख्वारी उधार लेती है। यहां हम सक्षिप्त में इसे "लोमड़ी ने बाघ को डराया"कहते हैं।

    जंगल में बाघ को राजा माना जाता है, वह सभी तरह के जानवरों का शिकार कर सकता है। अतः सभी जंगली जानवर उससे बेहद डरते हैं और उससे दूर दूर रहते हैं।

    एक दिन, एक लोमड़ी भी बाघ के पंजों में फंस गई, बाघ ने जैसे ही उसे खाने के लिए मुंह खोला, लोमड़ी के मुंह से आवाज निकली:"तुम्हारे अंदर मुझे खाने कि हिम्मत कैसी आयी, क्या तुम्हें नहीं पता कि मैं स्वर्ग लोक के सम्राट द्वारा जंगल में जानवरों पर शासन करने के लिए भेजी गयी हूं। यदि तुमने मुझे मार कर खाया, तो स्वर्ग के सम्राट तुम्हें नहीं छोडेंगे।"

    बाघ ने हुंकार भरते हुए और मन ही मन सोचा:"यह सभी जानते हैं कि मैं ही जानवरों का राजा हूं। वह कौन होता है, खुद को राजा बताने वाला।"

    लोमड़ी बड़ी चालाक थी, बाघ के भाव हाव से उसने भांप लिया था कि बाघ को अपनी बात पर संदेह है, तो उसने कहा:"अगर तुम्हें यकीन नहीं हो, तो हम जायजा लेकर देख सकते हैं। मैं आगे-आगे चलूंगी, तुम मेरे पीछे आओ और देखने की कोशिश करो कि जंगल में रहने वाले जानवर मुझ को देखकर डर के मारे भागते हैं या नहीं। तुम गौर करना कि कौन मुझसे नहीं डरता ।"

    बाघ ने सोचा:"लोमड़ी सही कह रही है, मुंह की बातों पर कैसे विश्वास किया जाय , आंखों से जो देखा, वही सच होता है। मैं लोमड़ी के बिल्कुल पीछे-पीछे चलूंगा, तो वह मुझे धोखा देकर मेरे पंजों से नहीं भाग पाएगी।"

    सो लोमड़ी आगे-आगे चली और बाघ उसके पीछे हो लिया। दोनों घने जंगल के अन्दर बढ़ने लगे। लोमड़ी को पता था कि बाघ उसके पीछे चल रहा है, तो उसे इस बात का डर भी नहीं था कि दूसरे जानवर उसे मार कर खा जायें। इसलिए वह बड़े घमंड का स्वांग करते हुए शान और बड़े आराम से आगे बढ़ रहा था। बाघ को डर था कि कहीं लोमड़ी इस बहाने भाग न जाए, तो वह लोमड़ी से बिल्कुल सटे हुए चल रहा था। बहस की जरा भी गुंजाइश नहीं थी कि बाघ को देख कर खरगोश और बंदर जैसे छोटे जानवर तो डर के मारे दूर भाग गए, और जंगली सुअर और भेड़िया भी जान बचाते हुए भाग निकले, जहां तक शक्तिशाली गैंडा भी दुम दबा कर दूर झाड़ियों में जा छिपा। लोमड़ी और घमंडी हो गयी, वह सीना और पेट आगे फुला कर चलने लगी। पास चल रहा बुद्धू बाघ बिलकुल धोखे में आ गया, वह समझ रहा था कि जंगली जानवर सचमुच लोमड़ी से डर कर भाग गए हैं, इसलिए वह लोमड़ी को बड़े आदर की नजर से देखने लगा और उसके आगे नतमस्तक हो गया। उसने यह सोचने की जरा भी कोशिश नहीं की कि जंगल के जानवर वास्तव में उससे डरते हैं, न कि लोमड़ी से।

    "लोमड़ी ने बाघ को डराया"यानी चीनी भाषा में"हू च्या हू वेइ"(hú jiǎ hǔ wēi) नीति कथा से हमें यह पता चलता है कि बदनीयत लोग दूसरों की शक्ति का बेजा लाभ उठाकर अपना उल्लू सीधा करते हैं और दूसरों को डराते हैं। लेकिन इससे वह अपनी कमजोर असलियत को नहीं बदल सकते।


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