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    तिब्बत की सहायता कर रहे दंपत्ति की कहानी
    2017-01-25 10:16:59 cri

    चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में देश के भीतरी इलाकों से गये बहुत से हान जातीय कार्यकर्ता हैं जो तिब्बती लोगों की सहायता के लिए मेहनत से काम कर रहे हैं । उन में से एक दंपत्ति मा शिनमींग और सुन लिंगलिंग की कहानी ने दूसरे लोगों को गहरी छाप छोड़ी है । क्योंकि तिब्बत की सहायता करने वाले भीतरी इलाकों से गये कार्यकर्ताओं में ये प्रथम ऐसा दंपत्ति हैं जो पति और पत्नी दोनों डाक्टर डिग्री प्राप्त बुद्धिजीवि हैं, और दोनों ही तिब्बती लोगों की मदद के लिए दो बार तिब्बत जा चुके हैं ।

    मा शिनमींग चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की ल्हासा कमेटी के उप सचिव हैं । वह दक्षिणी चीन के युननान प्रांत के एक गरीब ई जातीय परिवार में जन्म हुआ था । समाज और सरकार की मदद में उन्हों ने अपना अध्ययन समाप्त किया । स्नातक होने के बाद उन्हों ने देश के लिए अपनी जिम्मेदारी की याद करते हुए मातृभूमि के निर्माण में अपना योगदान पेश करना चाहा । वर्ष 2010 में मा शिनमींग तिब्बत की सहायता के लिए प्रथम बार ल्हासा गये ।

    तिब्बत जा पहुंचने के बाद मा शिनमींग को आश्चर्य रूप से यह पता लगा कि तिब्बत में कितना मनोहर प्राकृतिक दृश्य प्राप्त है और यहां के लोग अति मेहनत से काम कर रहे हैं । तिब्बत की सहायता के लिए भीतरी इलाकों के बहुत से कार्यकर्ता भी वहां जाकर पूरी शक्ति से योगदान कर रहे हैं । ल्हासा में अपना पद संभालने के बाद ही मा शिनमींग ने शहर में बस बदलने के कार्य में भाग लिया । उन्हों ने जीजान से काम कर पुरानी बसों के नुकसान को मुआवजा देने और नयी बसों के कर्मचारियों को प्रशिक्षण करवाने जैसे की समस्याओं को हल किया ।

    बस के ड्राइवर हूंगलीन ने कहा,"बस बदलते समय हम ने अनेक बार मीटिंग में भाग लिया था । कुछ लोगों ने सरकार से अधिक मुआवजा मांगना चाहा, लेकिन सरकार ने धैर्यपूर्वक लोगों को आर्थिक भत्ता देने की नीतियों का परिचय दिया । सरकार के अफसरों ने हमारे साथ आमने सामने बातचीत की । बाद में सभी ड्राइवरों ने खुशी से पुरानी बसों को छोड़कर नयी बसें बदलने पर सहमत किया है ।"

    बस बदलने के बाद मा शिनमींग ने किसानों व चरवाहों के नये निवास के निर्माण, शोतन त्योहार के आयोजन, रेडियो व टेलीविजन की पूर्ण कवरेज और सांस्कृतिक उद्योग पार्क की रूपरेखा बनाने आदि के कार्यों में हिस्सा लिया । ल्हासा शहर के निर्माण ने मा शिनमींग को जीवन के तेज ट्रैक पर पहुंचाया । ल्हासा में काम करने के चार सालों के दौरान मा शिनमींग को एक भी पूरा सप्ताहांत नहीं मिला था ।

    उन्हों ने कहा,"तिब्बत आने से पहले मुझे यह बताया गया था कि तिब्बत में काम करते समय एक ही साल में छह महीनों के लिए भीतरी इलाके में वापस होकर आराम कर सकते हैं । लेकिन यहां आकर मुझे एक सप्ताह में सात दिन करना पड़ता है । वर्ष 2020 तक खुशहाल समाज का निर्माण समाप्त करने के लिए तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के सभी विभागों को अपनी सारी शक्ति लगा देनी पड़ती है ।"

    तिब्बती पठार पर ऑक्सीजन के अभाव और वायु-दबाव कम होने की वजह से लोग अक्सर बीमार हो जाते हैं । भीतरी इलाकों में रहते समय मा शिनमींग बहुत तंदुरुस्त हुआ था, पर तिब्बत के कठोर मौसम में मा शिनमींग गठिया आदि बीमारियों से लगे हुए थे । बीमार होने के बावजूद मा शिनमींग बैसाखी पर काम करते रहे थे और गांवों का दौरा भी करने गये थे ।

    मा शिनमींग की कहानी में उन की पत्नी सुन लिंगलिंग का भाग अनिवार्य है । मा शिनमींग और सुन लिंगलिंग देश में प्रथम ऐसा दंपत्ति है जो पति और पत्नी दोनों ही साथ-साथ तिब्बत की सहायता के लिए ल्हासा गये थे । पर ऐसा करने से उन के परिवार को अधिक बोझ लेना पड़ता था । लेकिन पति के देश के लिए योगदान करने की भावना से सुन लिंगलिंग को बहुत प्रेरित किया गया और वह भी अपने पति के साथ-साथ तिब्बत की सहायता की राह पर पाँव बढ़ा चली ।

    उन्हों ने कहा,"मेरा पति एक ऐसा आदमी है जो जभी अच्छी बात सामने आती है , वह हमेशा दूसरे को देते हैं और उन के दिल में हमेशा दूसरे की हित मौजूद है । मुझे भी उन की इस पवित्र आस्था-चरित्र से प्रेरित किया गया है ।"

    सुन लिंगलिंग ने जापान और अमेरिका के विश्वविद्यालयों में न्यायशास्त्र का पीएचडी पढ़ा था । चीन के वकीलों में वह सबसे पहले ही विदेशों से संबंधित कानूनी सेवाओं से शरीक हुई थी । पर मातृभूमि की सेवा करने के लिए उन्हों ने विदेश के पद से त्याग देकर चीनी सामाजिक विज्ञान अकादमी के जापानी अनुसंधान विभाग में अध्ययनकर्ता का पद सँभाला । चार साल बाद उन्हों ने अपना अध्ययन को रोककर अपने पति के साथ मिलने के लिए तिब्बती सामाजिक विज्ञान अकादमी में नौकरी खोजी । उन की सहपाठी, अकादमी के तहत पत्रिका तिब्बत अनुसंधान की संपादक ल्यू हूंग च्वान ने कहा,"अध्यापिका सुन जापान का अनुसंधान करती थीं । पर अपने पति के साथ-साथ तिब्बत की सहायता करने के लिए वह हमारे पत्रिका के संपादकीय ओफिस में तीन साल काम कर चुकी हैं । उन्हों ने अपना दिल और बहुत समय तिब्बत को दे दिया है और इससे उन की महान प्यार की भावना जाहिर हुई है ।"

    तिब्बत में काम करते समय सुन लिंगलिंग ने पत्रिका का काम समाप्त करने के साथ-साथ तिब्बत के ऐतिहासिक व आधुनिक क्षेत्रों के दसेक मुद्दों और अनुसंधान परियोजनाओं को पूरा किया और बीस लाख शब्दों की अनुसंधान रिपोर्टें लिखीं ।

    तिब्बत की सहायता करने के कार्यों में ऐसा एक विभाग होता है कि सरकार में हरेक अफसर को एक गरीब परिवार की मदद करने की जिम्मेदारी उठानी पड़ती है । मा शिनमींग की मदद के प्राप्तकर्ता तूईलूंगडेगेन काउटी में रहने वाले जूगा परिवार हैं । मा शिनमींग अकसर अपनी पत्नी के साथ मक्खन व चाय लिये जूगा परिवार देखने जाते हैं । मा शिनमींग तिब्बत के किसानों व चरवाहों के साथ बहुत घनिष्ठ संबंध बनाये रखते हैं । अगर कोई तिब्बती लोग दिक्कत में फंसे हुए हैं तो वे अकसर अपने पैसे से इन तिब्बती भाइयों की मदद करते हैं । ल्हासा सरकार के एक उच्च पदाधिकारी सुन डे-कांग ने कहा,"मा शिनमींग सरकार में नागरिक मामलों के जिम्मेदार हैं । वह अकसर अनाथालय और नर्सिंग होम में अनाथ और अकेले वयोवृद्ध देखने जाते हैं । पर वह हमेशा अपने पैसे से इन लोगों की मदद करते हैं ।"

    सन 1997 में मा शिनमींग दंपत्ति ने दूसरे सहपाठियों के साथ तिब्बत के गरीब छात्रों की मदद के लिए एक विशेष छात्रवृत्ति कोष स्थापित किया और किसानों व चरवाहों के बच्चों को सर्दियों के कपड़े प्रदान करने का मुहिम आमंत्रित किया ।

    मा शिनमींग ने कहा,"हम हमेशा देशभक्ति और जातीय एकता की बात करते रहते हैं, लेकिन हमें जो बात करते हैं, उसे कायम करना ही चाहिये । तिब्बत में जो काम किया जा रहा है , वह जातीय एकता के लिए ही होता है । हमें अपनी मेहनती से, अपनी कोशिश से देश के लिए कुछ ही काम करना चाहिये , यही है देशभक्ति । अगर हम सब मिलकर कोशिश करें, तो देश आशावान रहेगा और चीनी सपना सच हो जाएगा ।"

     

    तिब्बत की सहायता देने के बारे में कुछ जानकारियां

    चीन के भीतरी इलाकों की तुलना में तिब्बत स्वायत्त प्रदेश का सामाजिक-आर्थिक विकास पिछड़ा हुआ है । नये चीन की स्थापना के बाद केंद्र सरकार ने तिब्बत की सहायता के लिए अनेक कदम उठाये हैं और वहां अनेक कार्यकर्ता भेजे । तिब्बत के विकास में गति देने के लिए चीन सरकार ने सन 1980 से तिब्बत की सहायता के मुद्दे पर कुल चार सम्मेलन आयोजित किया और भीतरी इलाकों के ठोस प्रांतों द्वारा तिब्बत के एक एक क्षेत्रों की सहायता करने का फैसला कर लिया । सन 1980 के दशक में भीतरी इलाकों से तिब्बत की सहायता के लिए भेजे गये कार्यकर्ताओं की संख्या 31 हजार तक जा पहुंची जो स्वायत्त प्रदेश में सभी कार्यकर्ताओं का आधा भाग रहा ।

    सन 1984, 1994 और 2001 में केंद्र सराकर ने तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में क्रमशः 43, 62 और 79 महत्वपूर्ण परियोजनाओं का निर्माण शुरू किया । पूंजी और सामग्री के सिवा भीतरी इलाकों से बड़ी मात्रा के कार्यकर्ता भी भेजे गये । सहायता की परियोजनाओं में यातायात, ऊर्जा, पर्यटन, खेल, चिकित्सा और शिक्षा आदि शामिल हुए । इन क्षेत्रों से संबंधित विशेषज्ञ व कुशल कामगार भी तिब्बत के निर्माण स्थल गये । इस के बाद तिब्बत में बड़ी मात्रा के आधुनिक सांस्कृतिक भवन, खेल मैदान, होटल, शॉपिंग मॉल आदि खड़े होने लगे हैं ।

    नयी शताब्दी में केंद्र सरकार ने तिब्बत में भारी पूंजीनिवेश लगाकर अनेक आधुनिक उत्पादन परियोचनाएं निर्मित कीं । इस में नागरी जियोथर्मल पावरप्लांट, शी-छ्वान नदी जल संरक्षण परियोजना, स्वायत्त प्रदेश तिब्बती दवा कारखाना, ल्हासा रिंग रोड परियोजना और सीमांत बंदरगाहों का विस्तार आदि 70 आधुनिक परियोजनाएं समाप्त की गयी हैं । इन नयी आधुनिक परियोजनाओं की समाप्ति पर तिब्बत में सामाजिक-आर्थिक विकास व समृद्धि को बहुत बढ़ावा दिया गया है ।

    केंद्र सरकार और भीतरी इलाकों की सहायता से तिब्बत में कृषि, बिजली उद्योग, दूरसंचार, परिवहन, वाणिज्यि, वित्त, विज्ञान, स्वास्थ्य, रेडियो व टीवी और शिक्षा व संस्कृति आदि के क्षेत्रों में भारी प्रगतियां हासिल हो चुकी हैं ।

    ( हूमिन )

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